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जन्म-जयंती पर विशेष
-खुशबू
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे पहले लोकप्रिय नेता कहे जाने वाले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और अपने नाम भर से ही अंग्रेजों की बेचैनी बढ़ाते रहे अमर शहीद पंडित चंद्रशेखर ‘आजाद’ की आज जन्म जयंती है।
बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि के चिखली गांव में हुआ था। वहीं चंद्रशेखर आजाद का जन्म भी 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले का भाबरा में हुआ था।
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तिलक का नारा “स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच, जिसका हिंदी में अर्थ होता है- स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा”, देशवासियों की धमनियों में लहू बनकर ऐसा दौड़ा कि उसका नतीजा आजाद भारत के तौर पर सामने आया, इतिहास के अनुसार, तिलक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पहले नेता थे। ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों ने उन्हें “भारतीय अशांति का जनक” कहा था। उन्होंने स्वदेशी का उपयोग, शिक्षा और स्वराज जैसे महत्वपूर्ण विषयों को आधार बनाया। उनका आदर्शपूर्ण जीवन, संघर्ष और देशप्रेम आज भी सभी भारतीयों के मन में राष्ट्रवाद की भावना जागृत करता है।
मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाके भाबरा में जन्मे चंद्रशेखर को आजादी के संघर्ष के दौरान महज 15 वर्ष की उम्र में जज के सामने पेश होना पड़ा तो उनके बयान ने उन्हें नया नाम दिया- ”मेरा नाम आजाद, मेरे पिता का नाम स्वाधीन, और मेरा घर जेल है।” 1926 में भारत के ट्रेन के वायसराय को उड़ाने के प्रयास में, 1925 में काकोरी ट्रेन रॉबरी में शामिल आजाद एक भारतीय क्रांतिकारी थे। चंद्रशेखर आजाद से अंग्रेजी हुकूमत थर-थर कांपती थी, उन्होंने कहा था कि “मैं आज़ाद था, आज़ाद हूं, आजाद रहूंगा” और वो सच में अपनी अंतिम सांसों तक आजाद रहे। उनके राष्ट्रप्रेम ने देश के लाखों युवाओं के हृदय में स्वाधीनता की लौ जलाई।
इन दोनों महान हस्तियों में अपना बलिदान दिया ताकि हम आजादी और समानता की खुली हवा में सांस ले सकें इसी के साथ इन दोनों महान स्वतंत्रता सेनानियों की जयंती पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर आज 23 जुलाई 2020 गुरुवार को इन्हें श्रद्धांजलि दी और नमन किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा, ‘भारत मां के दो वीर सपूत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद को उनकी जन्म-जयंती पर शत-शत नमन’।
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