संस्मरण
– डॉ. राजेंद्र सिंह*
नीदरलैंड में है संयुक्त राष्ट्र संघ का एकमात्र जल संस्थान
नीदरलैंड समुद्र से नीचे का देश है। इस देश में मेरी पहली यात्रा वर्ष 2000 में हुई थी। मोरक्को के बाद दूसरा जल मंच इसी देश में आयोजित हुआ था। मेरे बहुत अच्छे साथी महोसूनमन जो भारत में अंतरराष्ट्रीय संस्था के डायरेक्टर थे उनके साथ ही यह यात्रा नीदरलैंड़ में आयोजित हुई। यह यात्रा बहुत ही सीखने लायक थी। सबसे बड़ी सीख इस देश के लोगों ने अपने देश को समुद्र से पानी बचाने के लिए जब भी समुद्र को नियंत्रण का प्रयास किया तो यह सफल नहीं हुए। जब समुद्र के साथ रहने लगें। नीदरलैंड़-फ्रांस और बैल्जियम इन तीनों देशों ने सैल्ड नदी की बाढ़ से मुक्ति के लिए नदी को बाँधने का काम किया था। नदी का बाँध हर बार टूट जाता था। फिर इन्होंने नदी की आजादी से रहने दिया और वनस्पति-पेड़, पौधे, जंगल इन सबको संरक्षित करके नदी का प्राकृतिक प्रबंधन किया। अब वह नदी अपनी आजादी से बहती है।
इस देश में अफ्रीका से विस्थापित होकर बड़ी संख्या में लोग आये। अब उनकी संख्या यहाँ काफी दिखती है। इस देश की अच्छी बात यह है कि विस्थापितों को लेकर यहाँ कोई तनाव नहीं है। यहाँ अब नए विस्थापित पहले की अपेक्षा कम आ रहे है। विस्थापितों व मूल नीदरलैंड़ वासियों के बीच अभी भी एक अच्छा रिश्ता दिखता है। यह अंतरराष्ट्रीय बाजार वाला देश है और बाजार केवल लाभ के लिए सोचता है। इसलिए नीदरलैंड़वासियों का नजरिया यू.के. से अलग है। इस देश में जब विश्व जल सम्मेलन हुआ था, तब जल के लाभ की बात कम थी और जल की सुरक्षा की बातें ज्यादा थी। लेकिन जब मेरा इस देश में 15 साल के बाद 2015 में जाना हुआ तो बड़ा परिवर्तन देखा और इस देश का अपना जो बाजारू भाव था, वह ज्यादा नजर आया। यहाँ दुनिया का सबसे बड़ा वैश्या बाजार है, उसमें भी विस्थापित होकर आयी महिलाओं की संख्या अधिक है। इस देश की जल के बारे में अपनी एक गहरी समझ है, उसका कारण यहाँ की आपदा है। इस देश में सैल्ड के साथ-साथ और कई नदियों की बाढ़ की मार दिखती रहती है। यह देश अंतरराष्ट्रीय बाजार के कारण दुनिया में ज्यादा जुड़ाव रखता है।
यह भी पढ़ें: मेरी विश्व शान्ति जल यात्रायें – 37
सैल्ड नदी यह नदी फ्रांस से शुरू होकर बेल्जियम होते हुए नीदरलैंड में जाकर समुद्र में मिल जाती है। यह नदी 500 कि.मी. तो बेल्जियम में बहती है और कुल 60 कि.मी. नीदरलैंड में फ्रांस के गोई शहर से शुरू होकर नोर्ड राज्य के कवेरी, डेनियन, बलेसिन होते हुए 150 कि.मी. लम्बी यात्रा पूरी करके बेल्जियम में हेन्नोट राज्य टोरनई और वेस्ट फिनंडर्स के एवलिन तथा ईस्ट फिलंडर्स ओडंड गेंट, डेनमोरोड टेम्स उसके बाद एंट्राप राज्य के एंट्राप शहर से नीदरलैंड के बेलहार्स और टेरेंजिम होते हुए बेलिनसिन समुद्र में मिल जाती है। इस नदी की यात्रा 18 अप्रैल 2015 को गेंट शहर से शुरू हुई। गेंट से टिजार्म डेल्डो ड्रम से एंट्रोट तक 18, 19 व 20 तारीख को, काट्रिक तथा ग्रोंट जेनिंग डील और रूपल की 21 तारीख को, फिर दोबारा से सेल्ड नदी में हो रहे सिगमा प्लान द्वारा सम्पादित विकास कार्यों को वहाँ के सरकारी अधिकारियों के साथ देखा और समझा।
जब तक लोगों का जल, जमीन से सम्बन्ध और सम्मान का भाव रहता है, तब तक वे उसे किसी को बिगाड़ने की इजाजत नहीं देते हैं। लेकिन जब जल और जमीन के साथ सम्बन्ध टूट जाते हैं तो वे अपनी जल जमीन और दूसरों की जल जमीन तथा लोगों के साथ हिंसा करने लगते हैं। पिछले 15 वर्षों में मध्य एशिया एवं अफ्रीका मेंं ऐसा ही हुआ है। इसलिये हमें इन सब घटनाओं से सीख लेकर पूरी दुनिया के लोगों को जल और जमीन में एक जैसा स्नेह और सम्मान देने की जरूरत है। इस घटना से पूर्व में फिलिस्तीन , जॉर्डन, इजराईल, सीरिया, टर्की, ईराक, स्वीड़न, जर्मनी, फ्रांस, यू.के. अमेरिका, आस्ट्रेलिया, भारत, चीन, पाकिस्तान, नेपाल, बंग्लादेश तथा अफ्रीका के केन्या, सोमालिया, ईथोपिया, सेनेगल आदि बहुत से देशों की यात्रा कर चुका था। मुझे पानी के लिए लाचार, बेकार, बीमार लोग और देश अतिक्रमण, शोषण, प्रदूषण, करने वाले शक्तिशाली लोग और देशों के बीच लड़ाई कैसी होती है, यह मैं देख चुका था।
हमें अब इसी 21वीं शताब्दी में जल पर हो रहे अतिक्रमण, प्रदूषण तथा उसके शोषण को रोकने के लिए “दुनिया का पानी और दुनिया के लोग एक हैं” इस दिशा में काम शुरू करना होगा। अन्यथा तीसरा विश्वयुद्ध जलयुद्ध के रूप में दुनिया के सामने एक बहुत बड़ा संकट बनकर खड़ा है। इस संकट से बचने का उपाय दुनिया को मिलकर करना होगा।
नीदरलैंड यूरोप महाद्वीप का एक प्रमुख देश है। यह उत्तरी-पूर्वी यूरोप में स्थित है। इसकी उत्तरी तथा पश्चिमी सीमा पर उत्तरी समुद्र स्थित है, दक्षिण में बेल्जियम एवं पूर्व में जर्मनी है। नीदरलैंड की राजधानी एम्सटर्डम है। “द हेग“ को प्रशासनिक राजधानी का दर्जा दिया जाता है। नीदरलैंड को अक्सर हॉलैंड के नाम संबोधित किया जाता है एवं सामान्यतः नीदरलैंड के निवासियों तथा इसकी भाषा दोनों के लिए डच शब्द का उपयोग किया जाता है।
इसका क्षेत्रफल 41543 वर्ग किलोमीटर है। लगभग 20% क्षेत्र समुद्री तल से नीचे है। लगभग 21% आबादी समुद्री तल से नीचे रहती है एवं लगभग 50% आबादी समुद्री तल से बस एक मीटर की ऊँचाई पर है।
इस देश की जलवायु लगभग सभी जगह एक समान है। जनवरी सबसे ठंडा महीना है। इसके पूर्व का अधिकांश हिम से ढका रहता है। नीदरलैंड्स में दक्षिण-पश्चिमी हवाएँ वर्ष के नौ महीने चलती हैं, इनसे जाड़े का ताप थोड़ा सा बढ़ जाता है, लेकिन अप्रैल से जून तक पश्चिमी हवाएँ चलती हैं, जो ग्रीष्म ऋतु को थोड़ा सा नम कर देती हैं। वायु की दिशा के कारण देश का पश्चिमी भाग पूर्वी भाग की अपेक्षा नम है। देश के मध्य की औसत वार्षिक वर्षा 27 इंच है। इस घने बसे देश में जंगल अल्प मात्रा में हैं। नीदरलैंड पहली संसदीय लोकतंत्र देशों में से एक है।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात जल संरक्षक हैं। प्रकाशित लेख उनके निजी विचार हैं।