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सप्ताहांत विशेष
डॉ राजेंद्र सिंह*
जल प्रार्थना
तू ही तू है
तू ही तू है जल जहान में तू ही तू है।
भूमि, गगन, वायु, अग्नि का योग तू ही तू है।।
सकल सृष्टि का रंग बदलता, तू ही तू है।
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पंचतत्व से निर्मित जीवन तू ही तू है।।
ऊंच-नीच का भेद मिटाता तू ही तू है।
नारी -नदी से मिल दुनिया को एक बनाता, तू ही तू है।।
तू ही तू जीवन, जीविका, जमीर बनाता।
तू ही बनाता, तू ही चलाता, तू ही मिटाता।।
सदाचार, सादगी और समता तू लाता।
दसों दिशाओं में आती तेरी खुशबू है।।
सकल विश्व की प्यास बुझाता तू ही तू है।
जीव-जंतु, मानव, निसर्ग का प्यार बढाता तू हैं।।
तू ही ब्रह्म, तू ही बिष्णु, महेष सब तू ही तू है।
सदा, सनातन, नित्य ही नूतन, तू ही तू है।।
निर्माता तू, पालक तू ही और पोषक भी तू।
सकल विश्व है एक और एक ही तो तू है।।
तू ही तू है जल जहान में तू ही तू है।
तू ही तू है, तू ही तू है, तू ही तू है।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात, मैग्सेसे और स्टॉकहोल्म वॉटर प्राइज से सम्मानित, पर्यावरणविद हैं।
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