कोटा: पूरे विश्व में 1971 से लगातार आज के दिन विश्व नमभूमि (वेटलैंड) दिवस जिस आर्द्र भूमि दिवस भी कहा जाता है मनाया जा रहा है। ऐसा लगता है कि हमारी सरकारी और स्थानीय प्रशासन इस वेटलैंड दिवस को मजाक के रूप में ले रही है। हमारी सरकारों की कथनी करनी में बहुत बड़ा अंतर है।
कोटा के संदर्भ में बात करें तो पिछले कुछ सालों में शहर के मध्य काला तालाब नामक विशाल जलाशय को पाट कर वहां एक कथित सुंदरता के नाम पर छोटे से पार्क के रूप में बदल दिया गया। इसी प्रकार कोटा चंबल की नहर के किनारे उम्मेदगंज के तालाब को पास में ही ड्रेसिंग राउंड बनाकर खत्म करने की नासमझ कार्यवाही और पर काम करने वाले लोगों के लिए मजाक साबित हुई है।
हालाँकि राजस्थान सरकार ने कई नए वेटलैंड घोषित किए हैं उसके बावजूद भी वेटलैंड को बचाने की कोई नीति नहीं बनाई गई, अंधाधुंध विकास के नाम पर मानवीय बस्तियों को बसाने के लिए तालाबों को सिरे से नष्ट किया गया। कोटा में छात्र विलास उद्यान के पास कला दीर्घा के सामने छोटे से नाम भूमि को खत्म कर प्राइवेट बसों के लिए स्टैंड बना दिया गया। इतना ही नहीं किशोर सागर तालाब को सौंदर्य करण के नाम पर हर सरकारें उसको लगातार छोटा करती जा रही है। इस अनियोजित विकास से किसका कल्याण होता है समझ से बाहर है। उम्मीदगंज तालाब की ही बात करें तो यहां का वायुमंडल अधिक प्रदूषित हो गया है जिसका दुष्प्रभाव सभी जीव जंतु और मनुष्यों के स्वास्थ्य पर पर भी पड़ने वाला है। उम्मेदगंज के आसपास की कृषि भूमि भी अनुपजाऊ होकर समाप्त होने वाली है जिसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से खेती एवं किसानी पर दुष्प्रभाव पड़ना निश्चित है।
जहां भी ट्रैचिंग ग्राउंड बनते हैं वहां का भूगर्भ जल प्रदूषित हो जाता है एवं वातावरण में दुर्गंध फैल जाती है। सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश है कि नए ट्रैकिंग ग्राउंड नहीं बनाए जाएं। कचरे को प्रोसेस के माध्यम से विभाजित कर ट्रैचिंग ग्राउंड को धीरे-धीरे समाप्त किया जाए। कोटा में तो ठीक इसके उलट काम हुआ। ट्रेचिंग ग्राउंड को समाप्त करने के कागजी घोड़े भी दौड़ाए गए और प्राइवेट कंपनियों को भी बुलाया गया ।प्रतीकात्मक रूप से कचरे को पृथक करने का काम ऊंट के मुंह में जीरे के समान साबित हुआ। इन सब गलत कार्यों से अभी प्रवासी परिंदे ही मुंह मोड़ रहे हैं, कुछ समय बाद इंसान भी दूर भागने लगेंगे।
सरकारों को चाहिए कि तालाबों और नदियों को बचाने के लिए कोई ठोस कार्य योजना बनाई जाए। संबंधित विभागों को शक्ति संपन्न बनाया जाए। अभी जो वेटलैंड संबंधी कानून बने हुए हैं उनकी पालना सुनिश्चित कराई जाए। तभी मानव कल्याण भी हो सकता है।
किसी भी गांव का विकास वही होता है जहां पानी की उपलब्धता होती है और नम भूमि यानी कि तालाब गांव की सभ्यता और विकास के महत्वपूर्ण आयाम है। दुर्भाग्य है कि कथित विकास के नाम पर तालाबों को उजाड़ा गया है ।
*स्वतंत्र पत्रकार एवं पर्यावरणविद्