तो भाइयों और बहनों, एक बार फिर से हमारी प्यारी दुनिया में चाइनीज़ माल की पोल खुल गई है। वही फुस्स्स्स माल, जो दीवाली की लाइट्स दो घंटे में टांय-टांय-फिस्स हो जाती हैं, और मोबाइल चार्जर चार्ज करने से पहले खुद ही “धुआँ-धुआँ”। अब ये माल सिर्फ़ हमारे बाजारों में ही नहीं, बल्कि युद्ध के मैदान में भी अपनी असलियत दिखा रहा है। और इस बार मंच पर है पाकिस्तान, जो चाइनीज़ जे-10 फाइटर जेट्स के साथ “बनियान-उन-मरसूस” नाम का कोई ऑपरेशन चलाने चला था। नतीजा? फुस्स्स्स! चाइनीज़ माल ने फिर से धोखा दे दिया, और पाकिस्तान का सपना हवा में उड़ गया—बिल्कुल उनके जे-10 जेट्स की तरह, जो शायद आसमान में कम और जमीन पर ज्यादा समय बिता रहे हैं।
13 मई को, जब हमारे नरेंद्र भाई मोदी ने अदमपुर एयर बेस से पाकिस्तान को “सिंदूरी चटकारा” मारा, तो चाइना की अविक चेंगडु एयरक्राफ्ट के शेयर 9.31% तक धड़ाम से गिर गए। अरे भाई, ये तो वही कंपनी है जो जे-10 फाइटर जेट बनाती है, जिसे पाकिस्तान ने “राफेल का काल” बताकर खरीदा था। लेकिन जब बात युद्ध के मैदान की आई, तो ये जेट्स “काल” तो दूर, “काल सेंटर” तक नहीं पहुँच पाए। दूसरी तरफ, हिंदुस्तान की डिफेंस कंपनियों के शेयर आसमान छू रहे हैं। क्यों? क्योंकि हमारा माल “मेड इन इंडिया” है, और वो फुस्स्स्स नहीं होता।
अब जरा सोचिए, पाकिस्तान ने चाइनीज़ माल पर कितना भरोसा किया होगा। उनके फौजी तो शायद जे-10 जेट्स को देखकर सीना तानकर कह रहे होंगे, “बस अब हिंदुस्तान गया!” लेकिन जैसे ही ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने अपने राफेल और स्वदेशी हथियारों का जलवा दिखाया, चाइनीज़ जेट्स की हवा निकल गई। एक बार फिर चाइनीज़ माल की पोल दुनिया के सामने नंगी हो गई! हमारे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “सिंदूर की सटीकता और निष्पादन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।” और पाकिस्तान? वो तो बस ड्रोन और मिसाइल्स फेंकने की कोशिश करता रहा, जो हमारे एयर डिफेंस सिस्टम ने बच्चों के पतंग की तरह काट दिए।
ये तो वही बात है, जब आप चाइनीज़ खिलौना गन खरीदते हो, और पहली गोली चलाने से पहले वो “खटाक” करके टूट जाती है।
पाकिस्तान ने सोचा, “चाइना का माल है, अब तो खेल खत्म!” लेकिन खेल तो तब शुरू हुआ, जब चाइनीज़ माल ने उनके सारे सपनों को चकनाचूर कर दिया। ऊपर से, ऑस्ट्रियाई सैन्य इतिहासकार टॉम कूपर ने तो जैसे पाकिस्तान की कब्र पर आखिरी फावड़ा मार दिया। कूपर साहब, जो हवाई युद्ध के मामले में दुनिया के टॉप एक्सपर्ट्स में गिने जाते हैं, ने कहा, “जब एक पक्ष दूसरे के न्यूक्लियर हथियार स्टोरेज को बमबारी कर रहा हो, और दूसरा पक्ष जवाब देने की हालत में भी न हो, तो ये मेरी किताब में साफ-सुफ्फ जीत है।” अरे वाह, टॉम भाई, आपने तो पाकिस्तान की हालत को “फुस्स्स्स” से “फ्लॉप” तक का सफर करवा दिया।
अब चाइनीज़ माल की “बेमिसाल” क्वालिटी की बात कर लेते हैं। ये वही चाइना है, जो भारत, एशिया, और अफ्रीका के बाजारों में सेकंड ग्रेड, टुच्चा, और टिकाऊपन से कोसों दूर सामान ठेलता है। इनकी वारंटी पर तो सिर्फ पाकिस्तानी ही भरोसा कर सकता है। यहां दिल्ली में तो दुकानदार पहले ही चेता देते हैं कि चाइनीज़ माल है कोई वारंटी नहीं मिलेगी। चाहे वो बच्चों के खिलौने हों, जो एक हफ्ते में टूट जाते हैं, या फिर इलेक्ट्रॉनिक्स, जो तथाकथित वारंटी खत्म होने से पहले ही “गुडबाय” कह देते हैं। और अब तो हद हो गई—ये लोग फाइटर जेट्स तक थर्ड ग्रेड बना रहे हैं! एक्स (X) पर एक भाई ने लिखा, “पाकिस्तान को चाइना ने पी एल-15 मिसाइल दी, जिसकी रेंज 100 किमी बताई गई। लेकिन असल में वो 10 किमी में ही फुस्स्स्स हो गई।” अरे, ये तो वही है कि आपने “5जी ” फोन खरीदा, और वो “0जी ” की स्पीड दे रहा हो।
पाकिस्तान की हालत अब हँसने-हँसाने वाली बन गई है। एक्स पर एक पोस्ट थी, “पाकिस्तानी चाइनीज़ बम उठाते हैं, और वो उनके हाथ में ही फट जाते हैं।” अरे भाई, जब तुम्हारा “मेड इन चाइना” हथियार ही तुम्हारे खिलाफ हो जाए, तो भारत जैसे दुश्मन की क्या जरूरत? पाकिस्तान ने शायद सोचा था कि चाइनीज़ जे-10 जेट्स और पी एल-15 मिसाइल्स के दम पर वो भारत को सबक सिखा देंगे। लेकिन हुआ क्या? भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में नौ आतंकी ठिकानों को राख में मिला दिया, और पाकिस्तान बस “सीजफायर” की गुहार लगाता रह गया। ऊपर से चाइना ने तो अब ढीठपन दिखाया, “हम तो हथियार दे ही नहीं रहे!” अरे चाइना भाई, पहले टुच्चा माल थमाओ, और जब वो फेल हो जाए, तो साफ मुकर जाओ। ये तो वही है कि दुकानदार आपको खराब माल बेच दे और फिर बोले, “बिल दिखाओ, तब रिफंड!” या फिर बेशर्मी से कहे, “मैंने तो कुछ बेचा ही नहीं!”
और हमारा हिंदुस्तान? वो तो बस अपनी ताकत का परचम लहरा रहा है। मोदी ने अदमपुर से जो हुंकार भरी, उसने न सिर्फ पाकिस्तान को, बल्कि चाइना को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। “आतंकवाद अगर तुम्हारी जमीन से चलेगा, तो तुम्हारा विनाश पक्का है!”—ये बयान तो जैसे चाइनीज़ माल की औकात बताने के लिए ही था। अगर चाइना सोचता है कि वो अपने फुस्स्स्स माल को दुनिया भर में डंप करके “सुपरपावर” बन जाएगा, तो वो “मेड इन चाइना” खयाली पुलाव पका रहा है। भारत का ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ आतंक के खिलाफ नहीं, बल्कि उस सस्ती, टुच्ची सोच के खिलाफ भी था, जो खराब माल को “विश्वसनीय” बताकर ठगती है। अगर चाइना सोचता है कि वो अपने फुस्स्स्स माल को दुनिया भर में डंप करके बच जाएगा, तो वो गलतफहमी में है।
तो दोस्तों, इस कहानी का सबक ये है—चाइनीज़ माल पर भरोसा करने से पहले दस बार सोच लो। चाहे वो दीवाली की लाइट्स हों, मोबाइल चार्जर हों, या फिर फाइटर जेट्स। क्योंकि जब बात असल इम्तिहान की आती है, तो चाइनीज़ माल बस एक ही आवाज करता है—फुस्स्स्स! और हाँ, पाकिस्तान को भी अब समझ आ गया होगा कि चाइना की “दोस्ती” सिर्फ सस्ते माल और खोखले वादों का धोखा है। बाकी, भारत का जवाब तो हमेशा से “जय हिंद” रहा है, और रहेगा।
*वरिष्ठ पत्रकार

वाह।सटीक व्यंग्य ।
आपका वक्तव्य मेरे लिए महत्व रखता है🙏