अक्सर दिल का दौरा (हार्ट अटैक) सुबह-सुबह होता है। कार्डियक अरेस्ट की संभावना सुबह-सुबह ही ज्यादा क्यों होती है? सर्दियों में काफी मरीज सुबह सुबह एमरजैंसी में अस्पताल लाये जाते हैं क्यों?
विश्व हृदय दिवस
सुबह लगभग 4 बजे हमारे शरीर में साइटोकिनिन हारमोन का प्रवाह बढ़ जाता है और ये हारमोन हृदय की गति को असंतुलित और अव्यवस्थित कर सकते हैं, रक्त चाप ( ब्लड प्रेशर) को बढ़ा सकते हैं, और ये इस सब चीजों से अचानक कार्डियक अरेस्ट की संभावना को बढ़ जाती है।शायद यही वजह की हमारे ऋषि मुनियों ने सुबह चार बजे उठ कर, योग की सलाह दी जिससे हम इस अपने शरीर में सुबह चार बजे अति सक्रिय सहानुभूति तंत्रिका तंत्र को योग द्वारा पैरासिंपथेटिक प्रणाली मेँ ले जा सके और रक्त चाप को अधिकाधिक बढ़ने से रोक सकें।
दिन में, हम सभी सतर्क और सक्रिय रहते हैं, जबकि रात में हम अपनी काफी संग्रहीत ऊर्जा का उपयोग करने के बाद थक कर सो जाते हैं। और हमारा ब्लड प्रेशर कम होता है। लेकिन हमारे शरीर मेँ एक जैविक घड़ी होती है जो समयबद्ध तरीके से शरीर के अंगों की प्रक्रिया का संचलन करती है और इस जैविक घड़ी के कारण, सुबह-सुबह, चार बजे, नींद के दौरान कम होने वाले रक्त चाप के प्रतिक्रिया स्वरूप सहानुभूति तंत्रिका तंत्र (sympathatetic nervous system) को सक्रिय कर दिया जाता है, और इससे रक्तचाप और हृदय गति में वृद्धि होती है। सर्कैडियन लय के कारण हृदय गति और रक्तचाप में अचानक होने वाली यह वृद्धि कभी कभी हृदय प्रणाली को चिड़चिड़ा बना देती है। और इसी कारण अकसर कई हृदय रोगियों को सुबह-सुबह कार्डियक अरेस्ट या दिल का दौरा पड़ जाता हैं। अगर ये प्रक्रिया मस्तिष्क की धमनियों पर असर करती है तो ये स्ट्रोक या फलिस के लिए भी जिम्मेदार हो सकती है ।
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ज्यादातर कार्डियक अरेस्ट सुबह 4 से 10 बजे के बीच होते हैं। इसकी पहली वजह सर्कैडियन रिदम ( जैविक -घड़ी) है, और दूसरी वजह सुबह-सुबह रक्त प्लेटलेट का अधिक चिपचिपा होना हैं.
सर्कैडियन सिस्टम सुबह रक्त में अधिक पीएआई-1 कोशिकाओं (Plasminogen activator inhibitor-1) को छोड़ता है, रक्त में पीएआई-1 की मात्रा जितनी अधिक होगी, रक्त के जमाने या थक्के बनने की संभावना उतनी ही अधिक होगी जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है या कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।
इतना ही नहीं लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पाया गया कि हृदय रोगियों में सुबह के समय रक्त में कुछ महत्वपूर्ण सुरक्षात्मक रसायनों का स्तर भी कम होता है। इससे उस समय उनके रक्त के थक्कों और दिल के दौरे का खतरा बढ़ सकता है।
सुबह का समय और नींद का अंतिम चरण दिल के दौरे और सभी प्रकार की हृदय संबंधी आपात स्थितियों के लिए सबसे जोखिम भरा समय होता है, जिसमें अचानक हृदय की मृत्यु, महा धमनी का फटना (Aortic Rupture) और स्ट्रोक शामिल हैं।
मधुमेह, उच्च रक्तचाप और नियमित धूम्रपान अधिक जोखिम बढ़ाने वाले कारक हैं, वर्तमान समय में पहले की तुलना में कम उम्र में ही दिल के दौरे और कार्डियक अरेस्ट के अधिकाधिक रोगी देखे जा रहे है। इसकी वजह है अनियमित जीवन शैली, अशांत नींद-जागने का चक्र, मानसिक/मनोसामाजिक तनाव में वृद्धि, शराब का सेवन, वायु प्रदूषण के साथ अस्वास्थ्यकर आहार की आदतें।
हृदय के अच्छे स्वास्थ्य के लिए, कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें, अपेक्षाकृत तनाव मुक्त जीवन बनाएं, स्वस्थ आहार लें , धीमी गति से चलने वाली सुबह की क्रियाएँ जैसे योग करें, ध्यान लगाएं , भजन की ओर अग्रसर हों ताकि ह्रदय आघात से बचा जा सके।
*डॉ सतीश के गुप्ता मेडिसिन में एमडी हैं, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में विजिटिंग सीनियर कंसल्टेंट फिजिशियन और इंटर्निस्ट हैं।