पुणे: ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती राष्ट्रपति के नाम पत्र लिख समलैंगिकता का विरोध किया।उन्होंने लिखा कि यदि समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता मिली तो भारत की प्रभुता, एकता व अखंडता का विनाश होगा। शंकराचार्य आज यहाँ पुणे प्रवास पर है जहाँ वर्धमान सभागार में आयोजित धर्मसभा में आशीर्वचन पूर्व उन्होंने राष्ट्रपति के नाम समलैंगिक मामले पर पत्र लिखा।
समलैंगिक शादी को लेकर पूरे देश भर में नई बहस छिड़ी हुई है और वहीं सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दिलाने की मांग से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई भी चल रही है।
शंकराचार्य ने पत्र द्वारा कहा कि विवाह एक पवित्र संस्कार है, जो केवल नर और नारी के मध्य ही संभव हैं। इसका मूल प्रयोजन नर व नारी का पति पत्नी के रूप में धार्मिक कृत्यों का एक साथ मिलकर अनुष्ठान करना तथा सृष्टि कार्य को आगे बढ़ाने संतानों की उत्पत्ति करना है। वेदों में भी यही लिखा है।
शंकराचार्य ने उल्लेख किया कि हिंदू धर्म में 8 प्रकार की विवाह पद्धति है, जिसमें स्त्री पत्नी होती है व पुरुष पति होता है। “लेकिन समलैंगिकता में कौन पति होगा? कौन पत्नी? यह कैसे तय होगा? उन्होंने प्रश्न किया। सनातनी हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता को पाप की श्रेणी में आती है। संस्कृति में यह दोष पूर्ण माना गया है। उनके अनुसार ऐसी परंपरा से धर्म और संस्कृति का केवल नाश होगा। उन्होंने कहा सर्वोच्च न्यायालय यदि इस पर सहमति प्रदान करती है, तो यह निर्णय परस्पर विरोधी परिणाम को जन्म देगा।
“सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति भारत के नागरिक हैं तो उन्हें अपना कर्तव्य समझना चाहिए व हमारे वैदिक भारतीय सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का परीक्षण करके समझना चाहिए कि नर नारी के विवाह को ही धार्मिक व सामाजिक मान्यता मिलती रही है,”उन्होंने कहा।
शंकराचार्य के अनुसार इस बात का उदाहरण आसपास में रहने वाले जीव जंतु पशु पक्षियों से भी सीखा जा सकता है। वह इस तरह कृत्य कभी नहीं करते हैं। “फिर दिमागदार मानव इस तरह का कृत्य क्यों करना चाहता है, जो अशोभनीय है?” उन्होंने प्रश्न किया । उन्होंने आपत्ति जताई कि समलैंगिक युगल पहले ही प्रकृति धर्म के विरुद्ध यौनाचार का आचरण कर चुके हैं और अब विवाह जैसे धार्मिक संस्कार के रूप में वैधानिक मान्यता चाहते हैं। “मान्यता देने से भारत की प्रभुता एकता और अखंडता को विनाश की ओर जाएगी,” उन्होंने कहा ।
राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र में शंकराचार्य ने अनुरोध किया है कि भारत सरकार को वह यह निर्देश दे कि सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से माननीय सर्वोच्च न्यायालय तक धर्म प्रेमियों की यह बात पहुंचाई जाए।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो