सैरनी से परिवर्तन-5: मथारा गांव वाले अब दूसरों को भी रोज़गार देते हैं
– डॉ राजेंद्र सिंह*
धौलपुर के मथारा गांव हजारों की आबादी वाला गांव है। इस बड़े गांव में शांति की क्रांति हुई है। मथारा गांव का अर्थ भारतीय सभ्यता में मधुरा से बना है। यह गांव पहले बहुत समृद्ध रहा होगा, क्योंकि यह झील में बसा हुआ कटोरेनुमा आकार का है। लेकिन बरसों पहले यह बिना पानी का उजड़ कर बीरान हो गया था।
मथारा गांव के निर्भय सिंह ने कहा, “राजेंद्र भाई काई बात करो सु, मरता क्या नही करता। मैं तो पहले बंदूक लिए रहता था। मुझे अच्छे बुरे काम की पहचान नहीं थी। हम तो पेट भरने को अच्छा काम मानते है। हमारा पेट खाली था, न हमारे पास खाने के किए भोजन था, न ही पीने के लिए पानी था। इस कारण हमे दुनिया अपराधी कहती थी। हमने कभी किसी का बुरा नहीं किया। हमारे गांव में जब तरुण भारत संघ से चमन सिंह और रणवीर आया तो हमे विश्वास दिलाया कि, बादल से निकली पानी की बूंदों को पकड़ लोगे तो पीने के लिए पानी और खाने के लिए अनाज हो जायेगा। लेकिन हमारे जीवन में पानी न होने के कारण अनाज पैदा करना नहीं आता था। इसलिए हम घन-घोर पहाड़ियों के बीच आकर बसे थे। होली के बाद हम गांव छोड़कर निकल जाते थे, जब कभी अच्छी बारिश हो जाती थी तो तीन महीने तक गांव में रह लेते थे। वीरबानियों का सारा समय पानी लाने में ही निकल जाता था”।
अलवर में जल क्रांति करने वाली तरुण भारत संघ ने इन्हें पानी रोकना सिखाया और खुद काम करना सिखाया। जब पानी हो गया तो तरुण भारत संघ ने सैकड़ों परिवारों को तीस पाइप और 10 फव्वारे वितरित किए। यह इसका केंद्र रहा है। पानी के काम से इनके घर में आज सब शांति है। अभी लड़कों की शादी होने लगी है। लोग शांति से खेती कर रहे है।
यहां के युवा जसरथ कहते है कि, पिछले पांच सालों से इनका मथारा गांव अब मधारा हो गया है – “अभी हमारे पास पानी ,खेती , जानवर , रोजगार सब कुछ है। अभी हम लोगों से मिलने लंदन से लूसी आई थी।”
उनके साथी देवेंद्र ने कहा कि सिर्फ यह नहीं कि इन्हें रोजगार मिला, पर अब वे बाहर के लोगों को भी रोजगार देने लायक बन गए हैं। यहाँ के लोगों के जीवन में अब सुख शांति है। रमेश ने कहा कि “आज जब हमारे पास सुख चैन आया, पानी आया तो जंगलात वाले हमे उजाड़ने की तैयारी कर रहे है”। अब इस इलाके को फॉरेस्ट विभाग ने सैंक्चुअरी एरिया घोषित कर दिया है। राजू सिंह ने कहा कि जब गांव में पानी आता है तो एक सुखद अहसास, सुख चैन सब कुछ आने लगता है।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विश्व विख्यात जल संरक्षक हैं।