सैरनी से परिवर्तन-12: जब सूखे थे सकलूपुरा गांव के तीन कुएं
– डॉ राजेंद्र सिंह*
सकलूपुरा गांव सैरनी नदी के उद्गम पर स्थित है। इस गांव से सैरनी की एक जलधारा निकलती है। इस गांव के अंदर हमेशा से ही पानी का बहुत बड़ा संकट रहा है। जल संकट के कारण लोग मवेशी को पानी पिलाने रुंधपुरा के तालाब में ले जाते थे। पीने के पानी की बहुत बड़ी किल्लत थी। हजार फीट तक पानी नहीं मिलता था, यदि पानी मिलता था, तो वह खारा पानी होता था।
गांव में सहारनपुर की तरफ से एक नाला आता है, इस नाले में तीन कुएं थे, जो अलग-अलग जातियों के हुए करते थे। एक कुआं गुर्जर बस्ती का था तथा दूसरा कुआं जाटव बस्ती का था एवं तीसरा कुआं ब्राह्मणों का था। गर्मी के महीने में इन कुओं में मात्र 1 फीट पानी रहता था और महिलाएँ छान-छान कर पीने का पानी भरती थी।
इस तरह से सकलूपुरा गांव में पानी का बहुत बड़ा संकट था। गांव की गीता शर्मा ने कहा कि, वो पीने का पानी 1 किलोमीटर दूरी से लाती थी, दिन में 6 बार पानी लेने जाती, जिसमें 3 घंटे लगते थे। ऐसी स्थिति में तरुण भारत संघ के सहयोग से इस नाले पर एनीकट बना दिया। एनीकट के बनने से जल स्तर कुओं में ऊपर आ गया तथा खेती के लिए पानी हो गया। एनीकट के नीचे गुर्जरों की बोरवेल ह,जो पानी नहीं देती थी, वह अब पूरे दिन चलती है।
गीता ने कहा कि, अब मेरे 40 क्विंटल गेहूं तथा 20 क्विंटल सरसों का उत्पादन हो रहा है। इसी तरह से इस नाले में आने वाले सभी किसानों के पास सरसों की खेती हुई है। अब तीनों कुएँ में पानी ऊपर आ गया है। पीने के पानी की कोई किल्लत नहीं है। गांव में 4 जल संरचनाओं का निर्माण किया गया है, जिसमें पहली फरसन की पोखर, भैरोलाल की पोखर, घेर की पोखर और नरे का एनिकट। अब इन जल संरचनाओं से गांव में खूब पानी है। नहाने-‘धोने व पीने, पशुओं पानी व फसल के लिए पानी मिल जाता है।
रामपाल जाटव ने कहा कि, गांव में सरकार द्वारा कई ट्यूबवेल कराई गई लेकिन पीने का पानी नहीं मिला। सब सूखे निकले। “तरुण भारत संघ ने हमें पानीदार बना दिया,” उन्होंने कहा।
बचनबाई कोली ने बताया कि उनके पास कोई खेती नहीं थी तथा गांव में रोजगार नहीं मिलता था। “अभी गांव में रोजगार मिल जाता है तथा तरुण भारत संघ ने जो बकरियाँ दी गई हैं, उनसे अच्छी तरह से चराने का काम कर रही हूँ और मेरे परिवार को पढ़ाने का काम कर रही हूँ। अब मैं पानीदार, इज्जतदार बन गई हूँ।”
*लेखक जलपुरुष के नाम से विश्व विख्यात जल संरक्षक हैं।