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December 6, 2025

1 thought on “रविवारीय: यह रावण बार-बार क्यों आता है?

  1. श्री वर्मा जी ने परंपरागत रावण-दहन के उत्सव को केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक अनुष्ठान न मानकर, उसे मानव-मन के नैतिक संघर्ष से जोड़ते हुए नई व्याख्या दी है। ‘रावण बार-बार क्यों आता है’ — यह प्रश्न दरअसल समाज और व्यक्ति, दोनों के भीतर पल रही बुराइयों की निरंतर पुनरावृत्ति पर एक सशक्त टिप्पणी है। यहाँ रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण केवल पौराणिक पात्र नहीं, बल्कि लोभ, अहंकार, क्रोध, अन्याय और भ्रष्टाचार जैसे आधुनिक राक्षसों के प्रतीक रूप में उभरते हैं। श्री वर्मा जी यह भी रेखांकित करते हैं कि रावण केवल पुतलों में नहीं, बल्कि हमारे आचरण, विचार और सामाजिक व्यवस्था में भी जीवित है। जब तक हम अपने भीतर के राक्षसों को नहीं जलाएँगे, तब तक रावण बार-बार लौटता रहेगा और विजयादशमी का अर्थ अधूरा ही रहेगा।

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