Latest News | Food | News in Hindi | Diaspora | Titbits | Sports | Today's Pick | Artist's Gallery | Nature | Finance | Film | Entertainment | GB TV | Podcast

December 6, 2025

3 thoughts on “रविवारीय: सुविधा के लिए बेजुबानों की बलि?

  1. सिर्फ कारें साफ़ रखने के लिए सैकड़ों परिंदों की चहचहाहट हमेशा के लिए ख़ामोश कर दी गई। वो पेड़ जो 40 साल से जीवन बाँट रहा था, एक पल में ढहा दिया गया। लेकिन यह सिर्फ एक पेड़ का गिरना नहीं था—सैकड़ों घोंसले उजड़ गए, मासूम अंडे टूट गए। जब हम ऐसे ही पेड़ों को काटते हैं तो प्रकृति भी बदला लेती है—बादल फटते हैं, पंजाब जैसे इलाक़े बाढ़ से डूब जाते हैं। यह चेतावनी है कि इंसान अगर संवेदनशील नहीं बनेगा तो इंसानियत भी डूब जाएगी। धरती सिर्फ हमारी नहीं, हर परिंदे और हर जीव की है। 🕊️💔

  2. यह ब्लॉग श्री वर्मा जी की समस्त सृष्टि ‘जड़ और चेतन’ के प्रति गहन संवेदनशीलता का सशक्त प्रकटन है। झाँसी की घटना पर आधारित यह ब्लॉग हमारी संवेदनहीनता और स्वार्थपरता का ऐसा प्रमाण है जो हमें अन्तस तक झझकोर देता है। केवल कारों को स्वच्छ रखने की क्षणिक सुविधा के लिए एक जीवनदायी, छायादार और असंख्य परिंदों का आश्रय बने वृक्ष का विनाश, न केवल अमानवीय है, बल्कि पर्यावरण और मानवता के विरुद्ध भी है। वृक्ष और पक्षी हमारे अस्तित्व की कड़ी हैं। उनकी उपेक्षा व विनाश हमारी चेतना की दरिद्रता का द्योतक है। यदि वास्तव में हमें ‘मानव’ कहलाने का अधिकारी होना है, तो हमें यह स्वीकार करना होगा कि पृथ्वी पर सभी जीव ‘जड़ हों या चेतन’ अस्तित्व और सम्मान के समान अधिकार रखते हैं। प्रकृति के प्रत्येक अंश में दिव्यता का अंश विद्यमान है, और उसका संरक्षण ही सच्चे अर्थों में मानवता का संरक्षण है।

  3. प्रकृति, जीव जंतु का लगातार क्षय ही मानव विकास का द्योतक बन गया हे। सर आपका पिछला लेख में वेदना इसी क्षय के कारण ही पनपा रहा होगा। अति उत्तम अभिव्यक्ति 🙏💐

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About Us | Our Team | Privacy Policy | Contact UseMail Login | News Portal Powered by M/s. eHC