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December 6, 2025

2 thoughts on “रविवारीय: रिश्तों की मर्यादा

  1. यह घटना केवल एक अपराध नहीं बल्कि समाज के लिए गहरी चेतावनी है। रिश्ते तभी पवित्र रहते हैं जब उनमें मर्यादा और विश्वास कायम रहे। माँ–बेटे जैसे पवित्र रिश्ते का कलंकित होना न केवल एक परिवार की त्रासदी है बल्कि पूरे समाज के नैतिक ढाँचे को हिला देने वाली बात है। तकनीकी प्रगति के साथ-साथ अगर हम अपनी सोच और संस्कारों को सुरक्षित नहीं रख पाए, तो ऐसे हादसे बार-बार हमें झकझोरते रहेंगे। इसलिए ज़रूरी है कि रिश्तों की गरिमा बनाए रखने के लिए परिवार और समाज दोनों मिलकर सजग रहें 👌👌👌👌👌👌

  2. श्री वर्मा जी ने इस ब्लॉग के माध्यम से पूरी संवेदनशीलता के साथ समाज को आईना दिखाया है। ब्लॉग में वर्णित बिजनौर की घटना केवल एक आपराधिक प्रसंग नहीं, बल्कि वर्तमान समय के नैतिक अवसान का भयानक प्रतीक है। माँ—जो जीवन की जननी, ममता की मूर्ति और निःस्वार्थ प्रेम का शाश्वत रूप मानी जाती है—जब अपने ही पुत्र के विरुद्ध दरांती उठाने को विवश हो जाती है, तो यह केवल एक घर की त्रासदी नहीं रह जाती, बल्कि पूरे समाज की आत्मा को झकझोर देने वाला प्रसंग बन जाती है। हमारे सांस्कृतिक संस्कारों में माँ-बेटे का संबंध पवित्रतम माना गया है। यह रिश्ता ममता और संरक्षण का पर्याय है। किंतु जब वही रिश्ता वासना की विकृति से कलंकित होता है, तो प्रश्न केवल एक परिवार पर नहीं, बल्कि पूरे सामाजिक ढांचे पर उठ खड़ा होता है। यह घटना चेतावनी है कि भौतिक उन्नति के बीच हमने मानसिक और नैतिक अनुशासन को भुला दिया है। समाज को यह स्मरण रखना होगा कि रिश्तों का सार केवल रक्त-संबंधों में नहीं, बल्कि उनकी गरिमा और मर्यादा की रक्षा में निहित है। जब ममता की गोद में ही वासना का साया उतर आए, तो वह क्षण केवल व्यक्तिगत शोक नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता की अस्मिता पर प्रहार बन जाता है।

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