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December 5, 2025

2 thoughts on “रविवारीय: हिन्दी दिवस

  1. हिंदी दिवस या पखवाड़े के आयोजन मात्र से हिंदी का उत्थान संभव नहीं है। इसका वास्तविक सम्मान तभी होगा जब हम इसे अपनी दिनचर्या और जीवनशैली का स्वाभाविक हिस्सा बनाएं। अंग्रेजी का महत्व स्वीकार करना आवश्यक है, परंतु अपनी मातृभाषा से दूरी रखना उचित नहीं। बच्चों में हिंदी के प्रति लगाव और गर्व जागृत करना जरूरी है ताकि यह केवल औपचारिक भाषा न रहकर हमारी संस्कृति और आत्मा की सजीव अभिव्यक्ति बनी रहे। वास्तव में, हिंदी का भविष्य आयोजनों में नहीं, बल्कि हमारे रोजमर्रा के प्रयोग और मानसिकता में निहित है।

  2. Sir, आपकी यह रचना बेहद प्रेरक और हृदयस्पर्शी है। आपने बड़ी सजीवता और सहजता से हिंदी दिवस व पखवाड़े की औपचारिकता के पीछे छिपे गहरे संदेश को उजागर किया है। भाषा को केवल उत्सव तक सीमित न मानकर उसे जीवन और व्यवहार में उतारने का जो आग्रह आपने किया है, वह वास्तव में सराहनीय है। आपके अनुभवों और विचारों से यह स्पष्ट झलकता है कि आप न केवल हिंदी के महत्व को समझते हैं बल्कि उसे जीते भी हैं।

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