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December 6, 2025

3 thoughts on “रविवारीय: चाय की चुस्कियाँ

  1. बिल्कुल सही लिखा है
    रोजमर्रा के जीवन में शामिल है
    चाय आजकल की व्यवहारिक आवश्यकता बन गई है

  2. श्री वर्मा जी की लेखनी की विशिष्टता है “साधारण विषय को असाधारण बना देना”
    “चाय की चुस्कियाँ” एक आत्मीय और भावनात्मक यात्रा है जो न केवल लेखक के बचपन की स्मृतियों को उजागर करती है, बल्कि चाय के बदलते सामाजिक- सांस्कृतिक स्वरूप को भी सामने लाती है। एक समय जो चाय बच्चों के लिए वर्जित थी, वह आज एक सांस्कृतिक प्रतीक बन चुकी है — संवाद, मेल-जोल और व्यवसाय की नई संभावनाओं का माध्यम। चाय सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि जीवन के विभिन्न पड़ावों की सहयात्री बनकर उभरती है। श्री वर्मा जी का यह ब्लॉग बिल्कुल अपनी कहानी या यूं कहें स्मृतियों का एहसास कराने वाला है।

  3. बीते हुए कल और आज भी गली मुहल्लों में चाय पर चर्चा होती है और आज तो एक चाय वाला हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी भी है

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