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December 6, 2025

1 thought on “रविवारीय: अजंता, एलोरा और अद्भुत कैलाश मंदिर

  1. यह यात्रा-वृत्तांत अत्यंत भावनात्मक, दृश्यात्मक और ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध है। शब्द-शब्द में शिल्प कला की उत्कृष्टता के साथ भारतीय आत्मा का प्रकटन है।
    यह सच है कि एलोरा स्थित कैलाश मंदिर न केवल स्थापत्य की दृष्टि से अद्वितीय है, बल्कि भारतीय आत्मा की गहराइयों से भी गुँथा हुआ है। यह मंदिर पत्थर में रची एक ऐसी साधना है, जिसमें कला, भक्ति और विज्ञान का समन्वय दिखाई देता है। राष्ट्रकूट सम्राट कृष्ण प्रथम द्वारा 8 वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर एक ही चट्टान को ऊपर से नीचे की ओर काटकर बनाया गया—एक असंभव प्रतीत होती प्रक्रिया जिसे भारतीय शिल्पकारों ने श्रम और श्रद्धा से संभव किया। इस मंदिर में केवल शिव की आराधना नहीं, बल्कि रामायण, महाभारत और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की भी प्रस्तुति है। यहाँ के शिल्प केवल दृश्य नहीं, संवाद हैं—जैसे इतिहास स्वयं पत्थर में बोल रहा हो। कैलाश मंदिर इस बात का साक्ष्य है कि भारतीय संस्कृति का वैभव बाह्य विलासिता में नहीं, आत्मा के मौन सृजन में है।
    श्री मनीष वर्मा ‘मनु’ द्वारा का यह यात्रा वृत्तांत यात्रा-विवरण से आगे जाकर एक आध्यात्मिक अनुभव बन जाता है—जहाँ एक यात्री केवल स्थल नहीं देखता, अपितु उस स्थल से स्वयं जुड़ जाता है। वास्तव में, यदि विश्व के सात आश्चर्यों की सूची पुनर्निर्मित हो तो एलोरा का कैलाश मंदिर उसमें शीर्ष पर स्थान पाने योग्य है—क्योंकि यह आश्चर्य किसी राजा के वैभव से नहीं, बल्कि एक अनाम कारीगर की साधना से जन्मा है।

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