
ओरछा: यहाँ स्थित बुन्देलखण्ड क्षेत्र का धार्मिक स्थल रामराजा सरकार मंदिर देश का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान श्री राम को दिन में चार बार सशस्त्र सलामी दी जाती है। इस प्राचीन परंपरा की शुरुआत बुंदेली शासक राजा मधुकर शाह ने की थी। इस मन्दिर का निर्माण भी मधुकरसाह बुन्देला ने 1554 से 1591 की अवधि में कराया था।
आज यहीं बेतवा नदी के कंचना घाट से जल सहेलियों की 18 दिनों तक की 423 किलोमीटर की जल यात्रा की शुरुआत हुई। इस यात्रा का उद्देश्य बुंदेलखंड में जल संरक्षण, भूजल पुनर्भरण और समुदाय को जल संकट के प्रति जागरूक करना है। निवाड़ी जिले के जिलाधिकारी लोकेश जांगिड़ ने हरी झंडी दिखाकर यात्रा को रवाना किया और जल सहेलियों को सफल यात्रा की शुभकामनाएं दीं। ओरछा से निकली इस यात्रा का समापन 20 फरवरी 2025 को जटाशंकर में होगा।जटाशंकर, मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला में विजावर तहसील के पास स्थित गुफा में एक 14 वीं शताब्दी का भगवान शंकर का मन्दिर है।
जल संरक्षण आंदोलन के प्रख्यात कार्यकर्ता और के नाम से विख्यात जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह ने इस अवसर पर कहा, आज हमारी जल सहेलियां रामराजा सरकार के प्रांगण से निकल रही हैं और 423 किलोमीटर की जल यात्रा के दौरान गांव के बच्चों और बुजुर्गों को यह समझाते हुए आगे बढ़ेंगी कि यदि हम पानीदार रहेंगे, तो इज्जतदार होंगे और यदि पानीदार होंगे, तो मालदार रहेंगे। उन्होंने राजस्थान के जल संकट का उदाहरण देते हुए कहा कि पहले वहां पानी की किल्लत के कारण लोग गांव से पलायन कर गए थे, लेकिन अब जल संरक्षण के प्रयासों से गांव के युवा वापस लौटने लगे हैं।
जल संसाधन स्थायी समिति के सदस्य एवं जालौन-गरौठा-भोगनीपुर के सांसद नारायण दास अहिरवार ने कहा कि बुंदेलखंड में जल संकट “गंभीर” रूप ले चुका है। पहले यहां की नदियां बारहमासी प्रवाहित होती थीं, झरने गिरते थे, लेकिन अब अधिकांश जल स्रोत सूख चुके हैं। खेतों की सिंचाई के लिए किसान वर्षा और नहरों पर निर्भर हैं, लेकिन अनियमित बारिश के कारण कृषि क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। इन चुनौतियों के बावजूद नीली साड़ी पहने जल सहेलियां बुंदेलखंड को पानीदार बनाने के मिशन में जुटी हुई हैं।
परमार्थ समाज सेवी संस्थान के सचिव डॉ. संजय सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जल सहेलियों की यह 18 दिवसीय यात्रा कंचना घाट से शुरू होकर छतरपुर के जटाशंकर धाम में संपन्न होगी। इस यात्रा के दौरान जल सहेलियां गांव-गांव जाकर जल संरक्षण का संदेश देंगी और लोगों को जल प्रबंधन के महत्व को समझाएंगी।
गैर सरकारी संस्था हिमालयन बेसिन रिवर की अध्यक्षा और ग्लोबल बिहारी सम्पादकीय टीम की सदस्या डॉ. इंदिरा खुराना ने जल सहेलियों के प्रयासों की सराहना करते हुए पहली जल सहेली सिरकुंवर के कार्य की विशेष रूप से प्रशंसा की और जल सहेलियों का हौसला बढ़ाया। नाबार्ड के जनरल मैनेजर कमर जावेद ने कहा कि इस यात्रा के माध्यम से जल सहेलियां गांव-गांव में भूजल के महत्व को उजागर करेंगी और जल संरक्षण एवं प्रबंधन की जानकारी देंगी, जिससे यह यात्रा बुंदेलखंड के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी।
वाटर फॉर पीपल्स के निदेशक विश्वदीप घोष ने कहा कि जल सहेलियां न केवल पानी के महत्व को समझा रही हैं, बल्कि जल प्रबंधन की आधुनिक तकनीकों को भी गांव-गांव तक पहुंचाने का कार्य कर रही हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह यात्रा क्षेत्र में जल संरक्षण को एक मजबूत आंदोलन का रूप देगी।
इस आयोजन का संचालन समाजसेवी डॉ. मुहम्मद नईम ने किया। इस अवसर पर नगर परिषद ओरछा के अध्यक्ष शिशुपाल, उपाध्यक्ष अनिल यादव, वरिष्ठ समाजसेवी रामचंद्र शुक्ला सहित भारी तादाद में जल सहेलियां उपस्थित रहीं।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो