2024 के लोकसभा चुनाव के बाद से केंद्र में पहले के बनिस्बत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के थोड़ा कमजोर होने के बाद बुंदेलखंड राज्य निर्माण की आस बढ़ी है।
उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड पृथक राज्य का आंदोलन पूरी जोर-शोर से अब उभर रहा है। इसमें भाजपा की केंद्र और राज्य की अंतर कलह भी एक प्रमुख कारण है। इस समय पृथक बुंदेलखंड राज्य को लेकर चार बार के सांसद गंगा चरण राजपूत बुंदेलखंड अधिकार सेवा को लेकर के अपने समर्थकों के साथ आंदोलन में जुट गए हैं। उनकी सबसे बड़ी जनसभा महोबा में हुई जिसमें प्रसिद्ध टीवी कलाकार हप्पू सिंह दरोगा जी के आने पर लगभग 60,000 की भीड़ जमा हो गई थी। कजरी मेला में लोगों ने हाथ उठाकर बुंदेलखंड राज्य के लिए समर्थन देने की घोषणा की थी इसके बाद राजपूत ने दतिया में अपने समर्थकों के साथ बीती 30 अगस्त को पीतांबरा माई के दरबार में अर्जी लगाकर पृथक बुंदेलखंड राज्य बनवाने की माई से प्रार्थना की। इसके बाद उन्होंने 31 अगस्त को झांसी के वीरांगना सभागार में बुंदेलखंड पृथक राज्य के लिए चिंतन बैठक की जिसमें बड़ी संख्या में पूरे बुंदेलखंड के 26 समाज सेवी संगठन, पत्रकार, अधिवक्ता, व्यापारी, बुद्धिजीवी, समाजसेवी, शिक्षाविद प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
इसी तरह बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं सिने स्टार राजा बुंदेला ने बुंदेलखंड पृथक राज्य के लिए पूरे बुंदेलखंड की संपर्क यात्राएं की। आगामी अक्टूबर माह से वह पूरे बुंदेलखंड में पद यात्राएं करने वाले हैं।
बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय 20 सितंबर को ललितपुर से 500 मोटरसाइकिल की यात्रा निकालेंगे और बुंदेलखंड राज्य के लिए लोगों को पूरे बुंदेलखंड में जागरूक करेंगे। इसके पूर्व बुंदेलखंड संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रमेश चंद्र द्विवेदी पूरे बुंदेलखंड में पदयात्रा कर चुके हैं। इसी तरह सत्येंद्र पाल सिंह प्रत्येक माह को झांसी कमिश्नरी में बुंदेलखंड पृथक राज्य के लिए अपने समर्थकों के साथ कमिश्नर को राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन देते हैं। इसी तरह बुंदेलखंड विकास सेवा के अध्यक्ष टीटू कपूर तथा बुंदेलखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बृजेश खरे बुंदेली सेवा के अध्यक्ष अजीत सिंह चित्रकूट बुंदेलखंड पृथक राज्य के लिए जगह-जगह आंदोलन करते रहते हैं।
बुंदेलखंड पृथक राज्य में कुल 14 जिले शामिल हैं जिसमें उत्तर प्रदेश के झांसी, ललितपुर, जालौन, चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, महोबा, सहित सात जिले हैं जबकि मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, दतिया, सागर, निवाड़ी, दमोह सहित 7 जिले हैं।
पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग करने वाले सभी अधिकांश संगठन इन्हीं 14 जिलों की मांग बुंदेलखंड राज्य के लिए करते हैं जबकि बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय इस पृथक बुंदेलखंड राज्य में भिंड जिले की लहार और शिवपुरी जिले की पिछोर और करेरा, अशोक नगर जिले की चंदेरी, विदिशा की गंजबासौदा तथा सतना जिले का चित्रकूट वाला क्षेत्र आदि तहसीलों को भी बुंदेलखंड पृथक राज्य में मिलने की बात करते हैं। वहीं लोकसभा 2024 के चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा को जो झटका लगा है उसके चलते यह चर्चा जोरों पर है कि केंद्र सरकार निकट भविष्य में उत्तर प्रदेश में चार राज्यों का निर्माण करेगी इसी के चलते बुंदेलखंडियों में आशा बलवती हो गई है कि अब बुंदेलखंड राज्य बनकर रहेगा ।
बुंदेलखंड राज्य सबसे पहले 1935 में चर्चा में आया जब इसकी संधि अंग्रेजों से हुई और उसके चलते सन 1948 में कामता प्रसाद सक्सेना बुंदेलखंड राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने जिसकी राजधानी मध्य प्रदेश के नौगांव कस्बे को बनाई गई लेकिन बुंदेलखंड राज्य का कार्यकाल सिर्फ 8 महीने चल पाया और उसे बिंध प्रदेश में मिला दिया गया यहां के मुख्यमंत्री रीवा के तत्कालीन राजा बने तब से ही बुंदेलखंड पृथक राज्य बनाने की मुहिम अब तक चल रही है।
पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग वर्ष 1956 में सबसे ज्यादा जोर-शोर से ओरछा के तत्कालीन राजा वीर सिंह जूदेव ने उठाई थी। इसके बाद वर्ष 1970 में बुंदेलखंड एकीकरण समिति के बैनर तले पूर्व सांसद विश्वनाथ शर्मा ने पृथक बुंदेलखंड राज्य का आंदोलन शुरू किया था आजकल इस समिति के अध्यक्ष झांसी के वर्तमान सांसद और स्वर्गीय विश्वनाथ शर्मा के पुत्र अनुराग शर्मा हैं।
लेकिन यह आंदोलन सबसे ज्यादा चर्चित वर्ष 1989 में हुआ जब बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शंकर लाल मेहरोत्रा ने झांसी में स्थित अपने घर को बुंदेलखंड राज्य का बोर्ड लगाकर अपने घर से ही बुंदेलखंड राज्य की लड़ाई शुरू की। इस मुक्ति मोर्चा में सिने स्टार राजा बुंदेला पूर्व सांसद गंगा चरण राजपूत, मुकुंद गोस्वामी, बाबूलाल तिवारी वर्तमान में एमएलसी भाजपा सहित प्रमुख लोग इस आंदोलन में जुड़े हुए थे। इस आंदोलन ने जोर और पकड़ा जब वर्ष 2014 में झांसी की तत्कालीन सांसद और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने झांसी में बुंदेलखंड की जनता को यह आश्वासन दिया कि वह केंद्र सरकार से 3 वर्षों में पृथक बुंदेलखंड राज्य बनवा देंगीं। उधर पूर्व विधायक बादशाह सिंह ने वर्ष 1992 में बुंदेलखंड इंसाफ सेवा का गठन किया जिसने कई आंदोलन किया। वर्ष 2007 में प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री मायावती ने इस संगठन पर जोर देकर इसे बंद करवाया और कुंवर बादशाह सिंह को अपने मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बनाया। लेकिन इसी तरह से बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष मुकुंद गोस्वामी, डॉ. बाबूलाल तिवारी, गंगा चरण राजपूत उनके पुत्र बृजभूषण सिंह राजपूत जो वर्तमान में चरखारी से विधायक हैं, बुंदेलखंड अधिकार सेना को लेकर पृथक बुंदेलखंड राज्य का आंदोलन चलाते रहे। इसी तरह राजा बुंदेला जो मुंबई में सिने स्टार रहे, पिछले 25 वर्षों से बुंदेलखंड पृथक राज्य का आंदोलन चला रहे हैं। बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय, बुंदेलखंड क्रांति मोर्चा के अध्यक्ष सतपाल सिंह, बुंदेलखंड विकास सेवा के अध्यक्ष टीटू कपूर, ललितपुर बुंदेलखंड राज्य संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रमेशचंद्र द्विवेदी प्रमुख रूप से पृथक बुंदेलखंड राज्य के लिए प्रेस वार्तायें, पद यात्राएं, आंदोलन, धरना, ज्ञापन आदि देकर बुंदेलखंड पृथक राज्य के आंदोलन को लेकर लगातार सक्रिय बने हुए हैं।
*वरिष्ठ पत्रकार
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