हेलसिंकी: फ़िनलैंड दुनिया का सर्वोपरि आनंद से जीने वाला देश है। यह बहुत ही सुंदर हरा-भरा है। यहां का मौसम बहुत ही सुहाना, मनमोहक है। गर्मियों के समय रात 12.00 बजे के बाद कुछ अंधेरा होता है, इसके पहले 10.00 बजे के आसपास तो ऐसा लगता है जैसे अभी शाम हुई है। जबकि ठंड के वक्त दिन में अधिकांश अंधेरा होता है। दोपहर में कुछ समय के लिए सूरज देव के दर्शन हो पाते हैं। इस देश का सबसे बड़ा शहर हेलसिंकी है।
हम इस देश में दुनिया के बहुत सारे वैज्ञानिकों के साथ तीन दिन रहे। मैटेरियल साइंस के वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों का एक गहरा मेलजोल फ़िनलैंड की राजधानी में हुआ। इस देश में प्यार, विश्वास, खेल संस्कृति, धर्म, समता, सादगी बहुत है। यहां का राष्ट्रपति बिना किसी सुरक्षा के बिल्कुल सहज कहीं भी जा सकते हैं और बाजार में जाकर साधारण आदमी की तरह खरीददारी कर सकते हैं। यह देखकर मन बहुत आनंदित हुआ।
यहां के लोग प्रकृति को प्यार करने के कारण और अपने राजतंत्र में संपूर्ण विश्वास रखने के कारण निर्भय होकर, आनंद से जीते हैं। प्रकृति के साथ यहां के लोगों का बहुत गहरा संबंध है, इसलिए प्रकृति को बहुत प्यार करते हैं। अपने राष्ट्रपति, सांसद, राजनेताओं, प्रधानमंत्री में बहुत विश्वास है। प्यार और विश्वास के कारण ही यह देश पिछले 6 वर्षों से आनंद अनुक्रमणिका में सर्वोपरि बना है।
हेलसिंकी से 3.30 घंटे में पिट्सबर्ग और 8 घंटे में संता पोल ट्रेन पहुंचती है। यहां की ट्रेन बहुत तेजी से चलती है ।यहां कार्बन फ्री और शुद्ध भू जल भंडार पुरे देश में मौजूद है। इस देश ने अपने भूजल के भंडारों को शुद्ध बनाकर रखा है। यहां बहुत छोटी-छोटी नदियां हैं क्योंकि बहुत सारे टापू हैं। यह टापू छोटी नदियों से बारिश के दिनों में समुद्र में मिल जाते हैं। यहां की अधोभूजल और भूजल की संरचनाएं में ज्यादातर समोतल धरती की बनावट है। कुछ पहाड़ ऐसे भी हैं, जिनमें गहरी धाराएं हैं।
फ़िनलैंड में 70 फीसदी ऊर्जा रीसायकल होकर काम में ली जाती है। इस देश में तीन राष्ट्रीय वन जीव अभ्यारण्य हैं। यहां 24 जून से गर्मी शुरू होती है और नवंबर में ठंड पड़ने लगती है। यहां के लोग अपने घरों में स्नान हेतु सोना कुंड बनाते हैं और उसको जरूरत होने पर गर्म करके उसमें नंगे घुसते हैं फिर ठंडे जल मे स्नान करते हैं | सोना कुंड का मतलब है कि बहुत गर्म पानी जिससे उनके शारीरिक, मानसिक बौद्धिक सबकी सफाई होती है। गर्म पानी में जाकर फिर ठंडे पानी में नहाते हैं। यह उनके अच्छे स्वास्थ्य का खास कारण है। यहां का पानी दुनिया में सबसे साफ – सुथरा माना जाता है। यह देश अपने पानी, जंगल और साफ सुथरी हवा के कारण दुनिया में बहुत जाना जाता है। यहां का खानपान बहुत अच्छा है।
हम चाहते हैं कि हमारा भारत भी इसी आनंद के रास्ते पर सर्वोत्तम हो। भारत भी किसी जमाने में आनंद में सर्वोत्तम था। ज्ञान ओर आर्थिकी और पारिस्थितिकी पर्यावरण की समृद्धि में दुनिया को रास्ता दिखाने, सिखाने वाले भारतीय गुरु थे।आज गुरु नहीं हैं क्योंकि हमने अपनी भारतीय मूल विद्या, प्रकृति और परंपरा के अनुकूल जीने के रास्ते को छोड़कर, आधुनिक शिक्षा के रास्ते पर बहुत तेजी से दौड़ने लगे हैं।
हमें फ़िनलैंड के इंसानों से सीख ले लेनी चाहिए। हम जानते हैं कि हमारी जनसंख्या ज्यादा, पानी, जंगल, धरती, प्रकृति कम है लेकिन इसे भी शांति से निर्भय होकर जीने लगेंगे तो वही हमें सर्वश्रेष्ठ बना देगी।
पुराने जमाने में फ़िनलैंड जूट का केंद्र था। बंदरगाह इनके व्यापार के केंद्र होते थे।यहां के जंगलों से पहले बहुत पेपर पल्प बनता था, वह दुनिया में बहुत खास माना जाता था। आज यहां देश की 70 प्रतिशत से अधिक जमीन पर जंगल है। 80000 के आसपास लेक (तालाब) मौजूद हैं।
मैंने इनके विश्वविद्यालय में जाकर देखा और उनके शिक्षकों के साथ बातें की। उससे लगता है कि, उनकी शिक्षा और हमारी शिक्षा में मूलभूत अंतर है। जिसे हम अपने वेदों में विद्या कहते हैं, वही इनकी शिक्षा में हमारी पुरानी विद्या का दर्शन होता है।
हम अपने वेदों की विद्या, अपनी शिक्षा से अलग कर चुके हैं। फ़िनलैंड पुराने वैदिक काल के भारत के रास्ते पर है।
भारत अपने वैदिक काल में दुनिया को सिखाने वाला गुरु था। यह बात अब प्रमाणिक तौर पर सिद्ध है। भारत गुरु तभी तक था जब तक पांच महाभूतों को अपना निर्माता मानकर विश्वास रखते था। आज हमारे पास जो प्रकृति के प्रति हमारी आस्था और विश्वास को हम पुनर्जीवित कर दें तो उसमें आस्था, निष्ठा, भक्ति, सब आ जाएगी। तब फिर हम एक बार से दुनिया के सर्वोत्तम आनंद की तरफ चलने लगेंगे। आज हम जिस लालची विकास और लाभ की तरफ जा रहे हैं, वह हमारी विद्या से हमें मोड़कर किसी दूसरे विनाशकारी रास्ते पर ले जा रहा है। यदि भारत को विनाशकारी रास्ते पर जाने से बचाना है, तो फ़िनलैंड एक अच्छी सीख देने वाली जगह हो सकती है।
*जलपुरुष के नाम से विख्यात जल विशेषज्ञ।