राज्यों से: हरियाणा
– डा जगदीश चौधरी*
विश्व जल दिवस के अवसर पर हरियाणा के बल्लभगढ़ में युवाओं और छात्रों को जल का महत्व बताने के लिए जुटेंगे देश भर से पर्यावरणविद
बल्लभगढ़: देश का अधिकांश हिस्सा साफ पानी की समस्या से जूझ रहा है। आज भी देश के सुदूर अंचलों में पीने के एक मटके पानी के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ता है। कहीं-कहीं तो लोग गड्ढों का दूषित पानी पीना उनकी नियति बन गया है।इस संदर्भ में लेखक एवं पर्यावरणविद ज्ञानेन्द्र रावत, जो ग्लोबल बिहारी के चर्चित स्तम्भकार भी हैं, उनका कहना है कि आज सबसे बडी़ चिंता की बात यह है कि प्रकृति और पर्यावरण की ओर किसी का ध्यान नहीं है।
सभी जानते हैं कि जल संकट से आज समूची दुनिया जूझ रही है। वह चाहे जल हो, नदी हो, वातावरण हो, वायु हो या हमारे भूजल स्रोत, सभी प्रदूषित हैं। औद्योगिक इकाइयों के रसायन युक्त अपशेष की अहम भूमिका है। इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव मानव जीवन पर पड़ रहा है। दैनंदिन बढ़ती जानलेवा बीमारियों का कहर इसका जीता-जागता सबूत है। गंगा सहित देश की अधिकांश नदियां कूडा़घर बन चुकी हैं। यही वजह है कि आये-दिन ऐसी बीमारियों से होने वाली मौतों का आंकडा़ बढ़ता ही जा रहा है। प्रदूषित पानी से लोग आंत्रशोध, त्वचा, कैंसर, हृदय रोग, श्वांस आदि जानलेवा बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। नतीजतन लोग अनचाहे मौत के मुंह में जाने को विवश हैं।
यही नहीं प्रदूषण के चलते जहां मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म होती जा रही है, वहीं अधिकांश भूमि बंजर होती जा रही है। इसमें हमारी बदलती जीवन शैली की अहम भूमिका है। ऐसी स्थिति में इस मुद्दे पर विचार-विमर्श समय की महती आवश्यकता है।
इसी सन्दर्भ में आगामी 22 मार्च 2022 को विश्व जल दिवस के अवसर पर बल्लभगढ़ के मलेरणा रोड स्थित बालाजी कालेज आफ एजूकेशन के
डा.एस.एन.सुब्बाराव सभागार में जल सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें देश भर से कुछ प्रख्यात प्रख्यात पर्यावरणविद , नदी मामलों के जानकार अपने विचार रखेंगे और अपने अनुभव के अनुसार सुझाव देंगे।
इस सम्मलेन में श्री सरस्वती हैरिटेज फाउण्डेशन, मुंबई के अध्यक्ष जगदीश गांधी, हिमालयी पर्यावरण अध्ययन संस्थान, उत्तरकाशी के अध्यक्ष पर्यावरणविद सुरेश भाई, ग्राम विकास संस्थान, जयपुर के अध्यक्ष व अपने प्रयासों से पानी के मामले में 54 से अधिक गांवों की तकदीर बदलने वाले पर्यावरणविद लक्ष्मण सिंह लापोडिया, प्रख्यात मृदा विशेषज्ञ एवं पूर्व आई एफ एस अधिकारी बी.एम. एस.राठौर ( भोपाल), डा.अनुभा पुंढीर एवं केसर सिंह ( देहरादून ), यमुना नदी के संरक्षण व उद्धार हेतु अपना जीवन समर्पित करने वाले दिल्ली के अशोक उपाध्याय, रागिनी रंजन ( पटना ), शेखा झील के उद्धारक पर्यावरणविद सुबोध नंदन शर्मा एवं वृक्षों के संरक्षण के लिए विख्यात शांति सिंह ( अलीगढ़) एवं श्री संजय राणा ( बागपत) आदि पर्यावरण विशेषज्ञ सहभागिता कर रहे हैं।
यह सम्मलेन खासकर छात्रों एवं आम नागरिकों के लिए लाभकारी सिद्ध होने की उम्मीद है जो इन प्राख्यात विशेषज्ञों के विचारों से लाभान्वित हो कर पर्यावरण व जल संरक्षण की दिशा में अपना महती योगदान कर सकेंगे। विश्व जल दिवस पर जल सम्मेलन के आयोजन का यही पाथेय है।
*लेखक शिक्षाविद, विश्व जल परिषद के सदस्य व हरियाणा में तालाबों के पुनर्जीवन योजना के प्रणेता हैं।