– अनिल शर्मा*/विजय द्विवेदी*
जगम्मनपुर, जालौन: स्थाई पक्का पुल बनकर चालू हो जाने के कारण लगभग 14 वर्ष पूर्व यमुना नदी पर प्रतिवर्ष वाले जाने वाले पेंटून पुल का करोड़ों की कीमत वाला सामान व सैकड़ों टन लोहा नदी तट पर पड़े पड़े नष्ट होकर जमींदोज होता जा रहा है।
माधौगढ़ तहसील अंतर्गत ग्राम जगम्मनपुर के पास यमुना नदी पर वर्ष 1984 – 85 में पेंटून पुल का निर्माण कराया गया था। इसमें उस समय 80 व 90 पीपो को जोड़ने के लिए लगभग 350 बड़े-बड़े मोटे लोहे के बहुत बजनदार गार्डर, एंगल, लोहे के बहुत मोटे-मोटे रस्सानुमा तार, लकड़ी के मोटे मोटे लंबे खम्बे थे।
पेंटून पुल के पीपो को गार्डर से जुड़े रखने के लिए 6-7 किलो वजन का भारी भरकम नट बोल्ट, जिसकी संख्या सैकड़ों में होगी, और लोहे के तीन चार कुंतल वजन के चार घुमावदार कांटानुमा बड़ा वजन, जो लोहे की तार के सहारे पानी में फेके जाते थे, इनके वजन से पुल को पानी के बहाव में बहने से रोका जाता था।
साखू व सागौन लकड़ी के मोटे-मोटे बड़े-बड़े आकार के बहुमूल्य स्लीपर जो गार्डर के ऊपर रखकर पूरे पुल पर बिछाए जाते थे। पूरे पुल से लेकर नदी के दोनों तटों पर रेत में बिछाई जाने वाली लोहे की बड़ी-बड़ी प्लेट, जींस व प्लास्टिक के बड़े-बड़े त्रिपाल और न जाने कितने प्रकार का समान उपयोग में लाया जाता था।
जब जगम्मनपुर जालौन को जूहीखा औरैया से जोड़ने के लिए यमुना नदी पर पुल बनाया गया तब नदी में पानी के कम ज्यादा होने के दृष्टिगत पुल निर्माण में उपयोग किए जाने वाले सामान के अतिरिक्त बहुत ढेर सारा अतिरिक्त सामान स्टोर किया गया था।
यमुना नदी के घाट पर इस पुल के रखरखाव हेतु 20-25 कर्मचारी भी नियुक्त रहते था । यह पुल जनपद जालौन औरैया इटावा के लोगों के लिए वरदान सिद्ध हुआ। कालांतर में इसी यमुना घाट पर लगभग 18 वर्ष पूर्व पक्के पुल का निर्माण शुरू हुआ जो लगभग 2010 में पूरा होने के बाद लोकार्पण हो गया। परिणामस्वरूप लगभग 14 वर्ष से इस पेंटून पुल को प्रतिवर्ष बनाए जाने और तोड़े जाने का सिलसिला समाप्त हो गया।
यहां के पेंटून पुल का सामान जालौन जिला की सीमा में बनाए जाने वाले कुछ पेंटून पुल के लिए भेजा भी गया। यहां के कर्मचारी भी यहां से दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिए गए। लेकिन अधिकांश सामान यमुना नदी के तट पर अथवा जगम्मनपुर में अस्थाई घाट स्टोर पर रख लिया गया। साखू सागौन की लकड़ी,जूट के रस्सा, प्लास्टिक व जींस के त्रिपाल जैसा कीमती सामान रखे रखे ही नष्ट होकर अस्तित्वहीन हो गए हैं।
गार्डर व एंगल नदी के तट पर मिट्टी में पड़े पड़े जंग खाकर आधे वजन के हो गए गए हैं। वहीं 16 चक्का ट्रक में रखा जाने वाला एक विशालकाय कैप्सूल नुमा पीपा, जिनकी संख्या उपयोग किए जाते समय लगभग 90 थी, अब घटते घटते 25 से 30 के बीच रह गई है। कुछ पीपा एवं सैकड़ों टन वजन के गाटर एंगल बोल्ट चकर प्लेट यमुना नदी की बाढ़ में बहकर जगम्मनपुर से हमीरपुर तक जगह-जगह जमींदोश हो गए हैं। बाकी बचे यहीं शिवगंज के पास यमुना तट पर मिट्टी में दफन होने की तैयारी में हैं। पीपों को गार्डर से जोड़े रखने वाले कई कुंतल वजन के लोहे के नट बोल्ट तो लापता हो गए हैं और शेष ढेर सारा सामान पर्याप्त कर्मचारी ना होने व उनका रखरखाव न होने के कारण नष्ट हो गए हैं।
जो नष्ट हो गया या चला गया उसका क्या रोना! महत्वपूर्ण तो यह है कि वर्तमान में भी यहां पेंटून पुल का जो समान बचा पड़ा है उसकी कीमत भी करोड़ों रुपया होगी। यह करोड़ों रुपया जनता के द्वारा सरकार को दिया हुआ टैक्स का धन है जिसे लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड जालौन नष्ट करने पर तुला है।
उक्त संदर्भ में लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड जालौन अधिशासी अभियंता अमित कुमार सक्सेना से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन वह अपने कार्यालय में नहीं मिले। मोबाइल नंबर पर संपर्क करने का प्रयास करने पर उन्होंने फोन उठाना उचित न समझकर डिस्कनेक्ट कर किया।
*वरिष्ठ पत्रकार