– डॉ सतीश के गुप्ता
एक जनवरी से नए साल , नई उमंग, नया जोश। एक जनवरी से बदलने वाला साल अंग्रेजी साल का आगमन दर्शाता है। जनता जनार्दन पारम्परिक खुशी के नए वर्ष के इस मौके को खोना नहीं चाहती। सभी लोग खुशी मानते हैं, बधाई का आदान प्रदान करते हैं। पार्टी करते हैं और एन्जॉय करते हैं । क्यों ? क्योंकि इंग्लिश कैलेंडर आम जन जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। सरकारी काम काज, बैंकिंग व्यवसाय सभी अंग्रेजी कलेंडर से होते हैं।बच्चों के स्कूल कॉलेज, बड़ों के आफिस आदि भी इंग्लिश कैलेंडर से खुलते बन्द होते हैं ।
पर दूसरी तरफ हिन्दू कैलेंडर भी पीछे नही है। त्योहार, वार, रीति-रिवाज सभी हिन्दू कलेंडर से ही मनाए जाते है। दीवाली की तिथि हो या कृष्ण जन्माष्टमी की मिति, सब विक्रमी संवत आधारित पंचांग से चलती है। पूजा अनुष्ठान में भी कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष, शुभ घड़ी, हिन्दू पंचांग ही तय करता है।
अत: दैनिक व्यवहार में भले ही इंगलिश कैलेंडर हावी हो पर आध्यात्म में हिन्दू मान्यताएं ही जन मानस के मन में बसी हैं। पर जानकारी के अभाव में आम जनता को हिन्दू कलेंडर के लिए ब्राह्मणों पर आश्रित रहना पड़ता है। जबकि हर घर की दीवार पर टंगा इंग्लिश कैलेंडर रोजमर्रा की जिंदगी को चलाता है।
उत्तर भारत में मूलत: तीन कैलेंडर चलते हैं। अंग्रेजी, हिन्दू और मुस्लिम कैलेंडर। हिंदू कैलेंडर और मुस्लिम कैलेंडर दोनों ही मूल रूप से चंद्रमा पर आधारित कैलेंडर हैं। सौर वर्ष 365 दिन और का होता है और चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है। अतः विशुद्ध चंद्र कैलेंडर में महीनो के दिन हर सौर वर्ष से लगभग 11 दिन आगे बढ़ जाते हैं। इसी कारण हर वर्ष रोजे 11 दिन खिसक जाते है। जैसे कि 2000 में रोजे सर्दियों में 27 नवम्बर से चले जबकि ये ही रमजान 2015 में भरी गर्मियों में 17 जून से शुरू हुए। लेकिन हिंदू कैलेंडर, इस विसंगति को ठीक कर लिया।
हिन्दू कैलेंडर वास्तव में चंद्र-सौर आधारित है, और ये प्रत्येक 2-3 वर्षों में अधिक-मास (पुरुषोत्तम मास) जोड़कर चंद्र महीनों और सौर वर्ष के चक्र को एक साथ फिट करने की कोशिश करता है। अधिक-मास की अवधारणा पारंपरिक हिंदू चंद्र कैलेंडर के लिए अद्वितीय है।क्योंकि सौर वर्ष 365 दिन और लगभग 06 मिनट का होता है और चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है। इस प्रकार सौर और चंद्र, दोनों वर्षों में 11 दिन, 1 घंटा, 31 मिनट और 12 सेकंड का अंतर होता है। जैसे-जैसे यह अंतर हर साल एकत्रित होता जाता है, तो तीन साल में एक महीने तक चला जाता है। जिसे अधिक मास कहा जाता है।अधिक मास हर 32 महीने, 16 दिन और 6 घंटे के अंतर से आता है। उदाहरण के लिए, 2023 के कैलेंडर में, 13 महीने होंगे जिनमें 18 जुलाई से 16 अगस्त के बीच अधिक मास पड़ेगा।
कलेंडर को चलाने वाली तीन प्राकृतिक घड़ियां
सभ्यता के प्रारंभ से ही, मनुष्य ने देखा कि प्रकृति में कई घटनाएँ दोहराई जा रही हैं।
■ सबसे बुनियादी चक्र था, दिन और रात का होना। इसका उदगम – पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूर्णन, जो कि सूर्य के उदय और अस्त होने का कारण बनता है।
■महत्व की दृष्टि से अगली प्राकृतिक घड़ी है- सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की परिक्रमा । एक निश्चित समयावधि में, एक निश्चित पैटर्न का पालन करते हुए, मौसम बदल जाते हैं।उदाहरण के लिए उष्ण कटिबंध ट्रॉपिक के पास – भारत के अधिकांश हिस्सों में – गर्म मौसम और फिर बारिश, जिसके बाद ठंडी सर्दी आती है। इस अवधि को एक वर्ष के रूप में परिभाषित किया गया ।
■तीसरी घड़ी पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की परिक्रमा है। चंद्रमा की कलाएं वास्तव एक जिज्ञासु घटना थी, जो एक अवधि में दोहराई जाती रही, जिसे महीना कहा गया है।
दिन, महीने और वर्ष के विपरीत, सप्ताह की अवधि मानव द्वारा तय की गई, पूरी तरह कृत्रिम इकाई है। शायद सप्ताह पहली बार अस्तित्व में आया जब मनुष्य ने नियमित रूप से व्यापार करना शुरू किया, यह कार्य दिवसों के बाद दोहराए जाने वाले अवकाश के बाद चिह्नित करता था।दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सप्ताह लंबाई भिन्न थी । कुछ अफ्रीकी जनजातियों ने 4 दिन के सप्ताह का उपयोग किया, मध्य अमेरिकी सप्ताह 5 दिन लंबा था और प्राचीन रोमनों ने 8 दिन के अंतराल का इस्तेमाल किया। अधिकांश लोग अंततः 7 दिन के सप्ताह पर एकमत हो गए।
समय की विभिन्न इकाइयों के बीच मेल
एक सटीक कैलेंडर को डिजाइन करने में बड़ी समस्या है समय की तीन प्राकृतिक इकाइयां का होना -दिन, महीना और वर्ष जो कि अलग-अलग गतियों पर आधारित हैं – पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूमना, चंद्रमा का पृथ्वी के चारों ओर घूमना और पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर घूमना। और उनकी अवधि एक दूसरे के पूर्णांक गुणक नहीं हैं।
समय की इन तीन अवधारणाओं को आपस में जोड़ने का कोई सुविधाजनक तरीका नहीं है।
इंग्लिश कैलेंडर के 12 महीनों में, किसी महीने मे 30 दिन और किसी महीने में 31 और फेब्रुअरी में 28 दिन विसंगतियों को जन्म देते है। कितना अच्छा हो अगर साल के 365 दिनों को 28 दिन के तेरह महीनों में बाट दिया जाए। हर दिन की तारीख निश्चित होगी, हर महीना सोमवार से शुरु होगा । सरलता ही सरलता।।शायद बहुत सी मोबइल कंपनियों ने तो चुपके से ये कर भी लिया है । और आप हर 28 दिन में रिचार्ज करवा भी रहे है। जरा सोचिए।
2023 सूर्य की ये नई परिक्रमा आपके लिए नई ऊर्जा लेकर आये। विक्रमी संवत 2080, 22 मार्च 2023 से प्रारंभ होगा।