बड़ौत: बच्चों को बाल प्रतिभा, वृक्ष मित्र को प्रथम सम्मान
बड़ौत, बागपत: आज देश भयावह वायु प्रदूषण की चपेट में है। वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है जिसका प्राणी जगत पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। सच कहें तो इसके लिए मानवजनित स्रोत ही वे अहम तत्व हैं जो बाहरी तत्वों से मिलकर वायु की गुणवत्ता में कमी लाते हैं जो मानव जाति और जीव जंतुओं के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। असलियत में इसकी भयावहता का आलम यह है कि इससे हर साल 20 लाख से ज्यादा लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं। डब्ल्यू एच ओ की मानें तो आजतक 93 फीसदी बच्चे प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। इससे बुजुर्ग और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि इससे आपके फेफड़े ही नहीं,दिल, दिमाग और पूरे शरीर पर नुक़सान पहुंच रहा है। असलियत में यह स्थिति स्वास्थ्य आपातकाल जैसी है। इसलिए सरकार और समाज को इस बारे में गंभीर होने की बेहद जरूरत है अन्यथा बहुत देर हो जायेगी।
उक्त विचार देश के वयोवृद्ध वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद एवं ग्लोबल बिहारी के स्तम्भकार ज्ञानेंद्र रावत बीते दिवस बागपत जिलांतर्गत बड़ौत में एनवायरनमेंट एंड सोशल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (एस्रो) के कैंप कार्यालय में संस्था के 12 वें सम्मान समारोह के अवसर पर व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने समारोह में उपस्थित छात्र/छात्राओं से वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण अभियान में बढ़ चढ़कर भाग लेने की अपील की और कहा कि वृक्ष रहेंगे, पर्यावरण बचेगा, नदियां बचेंगी तो हम रहेंगे। जीवन बचेगा।

समारोह में ज्ञानेंद्र रावत को उनके द्वारा बीते दशकों में किये पर्यावरण संरक्षण के कार्यों हेतु संस्था द्वारा “12वें पर्यावरण के पुरोधा सम्मान-2025” से समारोह के मुख्य अतिथि विश्व जल परिषद के सदस्य, जाने-माने शिक्षाविद डा० जगदीश चौधरी, प्रख्यात समाज विज्ञानी एवं अर्थवेत्ता डा० संजय मोंगा, समारोह के अध्यक्ष प्रसिद्ध आर्यसमाजी नेता राजेंद्र शास्त्री व समाजसेवी पर्यावरणविद देवेन्द्र फोगाट ने सम्मानित किया।

इस अवसर पर ज्ञानेंद्र रावत के अलावा 12 वां प्रकृति प्रहरी सम्मान 2025 योगेंद्र सिंह, दुष्यंत, रोहताश सिंह एवं ऋषिपाल सिंह पंवार को पर्यावरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। प्रथम “वृक्ष मित्र सम्मान 2025” पूर्व रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ )अधिकारी रहे देवेंद्र सिंह पंवार को उनके द्वारा हजारों वृक्ष लगाने के उपलक्ष्य में दिया गया। “बाल प्रतिभा सम्मान 2025” के लिए जनपद के 12 विद्यालयों से आए 36 विद्यार्थियों को दिया गया। साथ ही सभी अतिथियों द्वारा बच्चो द्वारा बनाए गए नव वर्ष 2026 के कैलेंडर का अनावरण किया गया।
कार्यक्रम में विश्व जल परिषद के सदस्य शिक्षाविद डा० जगदीश चौधरी ने कहां कि “हमारी भारतीय संस्कृति में जल को देवता कहा गया है और नदियों को मां, मगर वर्तमान समय में नदियां मैला ढोने वाली गाड़ी के रूप में बदल गई हैं और साथ ही जल व्यापार का केंद्र बन गया है। इन सभी हालातों का मुख्य कारण हमारी प्राचीन संस्कृति से समाज द्वारा दूरी बनाना है। अगर समाज और व्यवस्थाओं ने नदियों और जल को पुनः उनका खोया हुआ गौरव नहीं लौटाया तो मानव समाज को इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी।”
इस अवसर पर संस्था के निदेशक संजय राणा ने अक्टूबर माह में हिमालय में आपदा विषय सम्बंधित अध्ययन यात्रा की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी और चेताया कि अगर हिमालय सुरक्षित रहेगा तब ही हम मैदानी क्षेत्र के लोग खुशहाल रह पाएंगे। इस अवसर पर समाजविज्ञानी व अर्थवेत्ता डॉ. संजय मोंगा ने देश की वर्तमान चुनौतियों का सिलसिलेवार व्यौरा दिया और छात्र/छात्राओं को चुनौतियों से मुकाबले के गुर बताये। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए आयोजक श्री संजय राणा के पर्यावरण संरक्षण में दिये योगदान की सिलसिलेवार चर्चा की और आशा व्यक्त की कि ऐसे कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण अभियान को और गति देने में प्रभावी भूमिका का निर्वहन करेंगे।समारोह में सर्वश्री देशवीर नैन, सुषमा रानी, डॉ सतेंद्र तोमर, सोनू चौहान, धर्मेंद्र अग्रवाल, दीपक तोमर, ममता पंवार, प्रतिभा जैन, योगेंद्र सरोहा, देशपाल तोमर, कन्हैया, तनु, वंशिका, गुड्डन, आर्यन आदि जनपद के विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक/शिक्षिकाओं की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो
