प्रधानमंत्री ने 07 अगस्त, 2025 को नई दिल्ली में आईसीएआर पूसा में एम.एस. स्वामीनाथन की जन्मशती के उपलक्ष्य में स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान एक डाक टिकट जारी किया।
स्वामीनाथन सम्मेलन में किसानों को प्रधानमंत्री का भरोसा
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में दबाव के बीच किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहा, “भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। मुझे पता है कि इसकी भारी कीमत मुझे चुकानी पड़ेगी और मैं इसके लिए तैयार हूँ।”
प्रधानमंत्री का यह बयान अमेरिका द्वारा 50% शुल्क लागू करने की आशंका के बीच आया है। मोदी नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) पूसा परिसर में एमएस स्वामीनाथन जन्म शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने इस बयान का स्वागत करते हुए कहा, “अमेरिका से टैरिफ वॉर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों के हक में बड़ा बयान दिया है। पीएम मोदी ने कहा है कि हमारे लिए किसानों के हितों की रक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।भारत किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा।उन्होंने कहा कि उन्हें पता है कि इसकी भारी कीमत उन्हें चुकानी पड़ेगी और वे इसके लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री जी के इस बयान से आज किसान वर्ग की लंबे समय से चली आ रही आशंकाओं को भी समाप्त कर दिया।”
अमेरिका द्वारा 50% शुल्क से स्टील, कपड़ा, समुद्री उत्पाद, मसाले के किसान को नुकसान हो सकता है। मलिक ने कहा, “हमारी दूसरे क्षेत्र के वर्ग से अपील है कि ऐसी परिस्थितियों में देश के साथ खड़े होकर एकजुटता का संदेश दे। प्रधानमंत्री के किसान हित के इस बयान की देश के किसान सराहना करते हैं।”
प्रधानमंत्री ने भारतीय कृषि की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा, “आज भारत दूध, दाल और जूट के उत्पादन में नंबर एक है। आज भारत चावल, गेहूं, कपास, फल और सब्ज़ी के उत्पादन में नंबर दो पर है। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक भी है।” उन्होंने बताया, “पिछले साल भारत ने अब तक का सबसे ज़्यादा खाद्यान्न उत्पादन किया है। तिलहन में भी हम रिकॉर्ड बना रहे हैं। सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, सभी का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा है।” ये उपलब्धियां सरकार की नीतियों का परिणाम हैं, जो उनके बयान को समर्थन प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने किसानों की ताकत को देश की प्रगति का आधार माना है। बीते वर्षों में जो नीतियां बनीं, उनमें सिर्फ मदद नहीं थी, किसानों में भरोसा बढ़ाने का प्रयास भी था।”
मोदी ने सरकार की योजनाओं का विवरण दिया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से मिलने वाली सीधी सहायता ने छोटे किसानों को आत्मबल दिया है।” प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में उन्होंने कहा, “इसने किसानों को जोखिम से सुरक्षा दी है,” और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ने “सिंचाई से जुड़ी समस्याओं को दूर किया है।” उन्होंने बताया, “दस हज़ार किसान उत्पादक संगठनों के निर्माण ने छोटे किसानों की संगठित शक्ति बढ़ाई है,” और “इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) की वजह से किसानों को अपनी उपज बेचने की आसानी हुई है।” प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना ने “नई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भंडारण के अभियान को भी गति दी है।” हाल ही में स्वीकृत प्रधानमंत्री धन धान्य योजना के बारे में उन्होंने कहा, “उन सौ ज़िलों को चुना गया है, जहां खेती पिछड़ी रही। यहां सुविधाएं पहुंचाकर, किसानों को आर्थिक मदद देकर खेती में नया भरोसा पैदा किया जा रहा है।”
प्रधानमंत्री ने प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन ऐसे ही महान वैज्ञानिक थे, मां भारती के सपूत थे। उन्होंने विज्ञान को जनसेवा का माध्यम बनाया।” उन्होंने स्वामीनाथन की हरित क्रांति और जैव-सुख की अवधारणा का उल्लेख किया, जो पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण सशक्तिकरण पर केंद्रित हैं। उन्होंने कहा, “डॉ. स्वामीनाथन ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने का अभियान चलाया।” इस अवसर पर एमएस स्वामीनाथन खाद्य एवं शांति पुरस्कार की शुरुआत हुई, जिसका पहला पुरस्कार नाइजीरिया के प्रोफेसर एडेनले को प्रदान किया गया। मोदी ने उपनिषदों के श्लोक “अन्नम् न निन्द्यात्” का हवाला देते हुए कहा, “प्राणो वा अन्नम्। अगर अन्न का संकट पैदा होता है, तो जीवन का संकट पैदा होता है। और जब हज़ारों लाखों लोगों के जीवन का संकट बढ़ता है, तो वैश्विक अशांति भी स्वाभाविक है।”
मोदी ने भविष्य की योजनाओं पर कहा, “हमें जैव-संवर्धित और पोषण से भरपूर फसलों को व्यापक स्तर पर बढ़ाना होगा।” उन्होंने पूछा, “क्या हम उपग्रह डेटा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग को जोड़ सकते हैं? क्या हम ऐसा तंत्र बना सकते हैं, जो उपज का पूर्वानुमान दे सके, कीटों की निगरानी कर सके, और बुवाई के लिए मार्गदर्शन कर सके?” उन्होंने “विकसित कृषि संकल्प अभियान” का उल्लेख किया, जिसमें “सात सौ से ज़्यादा ज़िलों में वैज्ञानिकों की करीब बाईस सौ टीमों ने भाग लिया, साठ हज़ार से ज़्यादा कार्यक्रम किए, और सवा करोड़ जागरूक किसानों के साथ सीधा संवाद किया।” राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर उन्होंने कहा, “पिछले दस सालों में हथकरघा क्षेत्र को देशभर में नई पहचान और ताकत मिली है।”
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो
