– श्वेता रश्मि
वाराणसी: डॉ शशिकांत सिंह महाविद्यालय के प्रबंधक विभूति भूषण सिंह की हत्या राजस्व के बड़े और चौंकाने वाले एक फर्जीवाड़े पर हुई उसका कारण आरोपियों की कॉलेज की जमीन के फर्जीवाड़े और समाजवादी पार्टी के शासन के दौर में फ़र्ज़ी तरीके से मान्यता लेकर कॉलेज चलाने का इतिहास शामिल है। सबूत के तौर पर कई ऐसे दस्तावेज मौजूद हैं जिनमें कूटरचित और सरकार की तरफ से कार्यवाही के सबूत शामिल हैं।
मैं, श्वेता रश्मि, इस फर्जीवाड़े की चश्मदीद गवाह हूँ और मेरी भी हत्या हो सकती है। परिवार की जान को भी खतरा है। इस न्याय की लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का बेजा इस्तेमाल करके कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए काम करके आरोपियों को बचा रहे हैं। क्या सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अब 9 साल की उपलब्धियों में हत्या के आरोपियों को भी बचाना है?
कई मौकों पर मुझे पार्टी के इन लोगों के द्वारा जान से मारने की धमकी और देख लेने की धमकी के क्रम में पिछले दिनों इनकी टीम की एक महिला की तरफ से फ़र्ज़ी एफआईआर करवाया गया ताकि मर्डर केस में आरोपियों को लाभ पहुंचाया जाये, जिसे हाइकोर्ट के माध्यम से न्याय की गुहार लगाने के बाद कई अधिकारियों का तबादला किया गया ये केस महिला आयोग में दर्ज है।
कॉलेज प्रबंधक विभूति भूषण सिंह की 1 वर्ष पूर्व हुई हत्या में परिजनों के प्रयास और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ की सिफारिश के बाद क्राइम ब्रांच-क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट (सीबीसीआईडी) की जांच चल रही है। लेकिन भाजपा के कुछ नेताओं की अभियुक्तों के लिए इतनी वफादारी है कि भाजपा के नियमों को तोड़ कर भारतीय दंड संहिता 302, 506, 120B के नामजदों और जांच के घेरे में हत्या में शामिल महादेव महाविद्यालय के प्रबंधन से सम्बंधित संदिग्ध आरोपियों को बचाने की जुगत में रोज़ नये कीर्तिमान बना रहे हैं ताकि पार्टी की आड़ में जांच को प्रभावित किया जा सके।
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ज्ञात हो कि शहर के इस बहुचर्चित हत्या में शामिल महादेव महाविद्यालय के प्रबंधन से सम्बंधित आरोपियों के अलावा शहर के शिक्षा माफियाओं के संलिप्त होने के कारण घटना के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई और सत्ता पक्ष के द्वारा आरोपियों को बचाने के नाम पर प्रशासन पर दबाव डालकर बचाया गया। इतना ही नहीं चंदौली लोकसभा और शिवपुरी विधानसभा के नेताओं की बदौलत इस हत्या के पहले किये राजस्व कर के बड़े फर्जीवाड़े और कॉलेज की फ़र्ज़ी मान्यता के लिए इस्तेमाल किये गये जमीन के मुकदमों की पैरवी विभूति और मेरे द्वारा (सचिव, बोधिसत्त्व फाउंडेशन) की जांच और इस बारे में प्रशासन को इत्तिला देने के बाद भी कोई कार्रवाही नहीं हुई। और सबूतों को खत्म करने के इरादे से 10 फरवरी 2022 में विभूति भूषण की निर्मम हत्या कर दी गई, जिस पर काफी जदोजहद के बाद अब सीबीसीआईडी जांच चल रही है।
सूत्रों का कहना है कि विभूति भूषण सिंह की हत्या की डील 7 करोड़ रुपये में हुई थी। जिसमें भाजपा के ही कुछ नेताओं ने आरोपियों को बचाने के लिए भरपूर मदद की। सूत्रों के अनुसार इस बार फिर 2024 के चुनाव के पहले की डील 5 करोड़ में तय हुई है जिसकी एक निष्पक्ष जांच की ज़रुरत है क्योंकि कोई भी व्यक्ति सरकारी एजेंसी के आ जाने के बाद उसको प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेगा लेकिन यहां तमाम तरीके से आरोपियों को लाभ पहुंचाने के मकसद से काम किये जा रहे हैं। इस बाबत सवाल पूछने पर भाजपा के एक सांसद का कहना था उन्हें पार्टी के नाम पर बुलाया गया है, लेकिन बाद में मीडिया में आई तस्वीरों में ये साफ देखा गया कि वे हत्या के एक आरोपी अजय सिंह के साथ मुस्कुरा रहे थे। इसे क्या कहा जाये?
पिछले महीने भाजपा के नाम पर दलाली करने और जांच को प्रभावित करने के कारण जांच को बनारस से इलाहाबाद ट्रांसफर करवाया गया है। पर हत्या में आरोपियों को बचाने का प्रयास ज़ारी है और खुलकर पार्टी के लोग महादेब को संरक्षण दे रहे है। क्या इससे न्याय मिलेगा?
घटना के डेढ़ साल के बाद भी न्याय के लिए हम भटक रहे है और किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई बल्कि हमारी जान को खतरा है और अपराधियों को सुरक्षा दी गई है।घटना के डेढ़ साल के बाद भी न्याय के लिए हम भटक रहे है और किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई बल्कि हमारी जान को खतरा है और अपराधियों को सुरक्षा दी गई है।