
पहलगाम की वादियों में, जहां कभी फूलों की सांसें गूंजती थीं, 22 अप्रैल 2025 को पाकिस्तानी आतंकियों ने खून की नदियां बहाई। आतंकियों ने, लश्कर-ए-तैयबा की छद्म शाखा के हाथों, पर्यटकों से उनका धर्म पूछा, उनके कपड़े उतारे, और पत्नियों, बच्चों, और माता-पिताओं के सामने उनके सिर में गोलियां दाग दीं। एक मां की चीख, एक बच्चे का आंसुओं में डूबा चेहरा, और टूटे दिलों की सिसकियां—यह नरसंहार, 2008 के मुंबई हमले के बाद सबसे बर्बर, भारत के सीने पर घाव बन गया। लेकिन भारत अब वह देश नहीं, जो चुपके से आंसू बहाए। 6-7 मई 2025 की रात, जब अंधेरा आतंक की काली फैक्ट्रियों पर छाया, भारत की सशस्त्र सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत जवाबी आग बरसाई। कोटली में लश्कर के अब्बास और गुलपुर कैंप, बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का गढ़, मुजफ्फराबाद के सवाई नाला और श्येदना बिलाल, सियालकोट के सरजल और मेहमूना जोया, भीमबेर का बरनाला, और मुरिदके का मरकज तैयबा—ये नौ आतंकी ठिकाने 25 मिनट में राख के ढेर बन गए।
ये कैंप केवल इमारतें नहीं थीं; ये वह नर्क थे, जहां इंसानों को हथियार, विस्फोटक, और जंगल युद्ध की ट्रेनिंग देकर बहशी दरिंदों में बदला जाता था। यहां घुसपैठ सिखाई जाती थी, हथियारों के भंडार जमा किए जाते थे, आत्मघाती दस्तों को तैयार किया जाता था, और गुरिल्ला युद्ध की साजिशें रची जाती थीं। इन अड्डों ने भारत के हवाई अड्डों पर हमले की योजनाएं बनाईं, नई तकनीकों से आतंकियों को लैस किया, और युवाओं को जेहाद के नाम पर भटकाया। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने इन सबको धूल में मिला दिया। 31 दहशतगर्द और उनके 70 समर्थक मारे गए, जिनमें जैश सरगना मसूद अजहर के परिवार के 10 लोग भी शामिल थे। भारत ने नौ हमलों के वीडियो जारी कर विश्व को बताया: यह आतंक का अंत है, और इंसानियत की जीत।
आज 8 मई को जंग जारी है और भारतीय सेना ने ना सिर्फ पाकिस्तानी आतंकियों को घर में घुस कर मारना ज़ारी रखा है, बल्कि अपनी जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के शहरों को ड्रोन और मिसाइलों से दहला दिया है।
पहलगाम की उस मां की सिसकियां अब गर्व में बदल गईं, जब उसने सुना कि उसके बेटे के हत्यारों के ठिकाने मिट्टी में मिल गए। देश के हर कोने में, गलियों से लेकर गांवों तक, लोग सशस्त्र सेनाओं के शौर्य को सलाम कर रहे हैं। एक बुजुर्ग ने अपने पोते को गले लगाते हुए कहा, “हमारा भारत अब चुप नहीं रहेगा।” नई दिल्ली में, राजनीतिक दल, जो अक्सर एक-दूसरे के खिलाफ खड़े होते हैं, एक स्वर में सरकार और सेनाओं की प्रशंसा कर रहे हैं। पहलगाम पीड़ितों के परिवारों ने आंसुओं के बीच कहा, “नफरत फैलाने वालों को जीने का हक नहीं। जिन्होंने मासूमों की जान ली, उन्हें कड़ी सजा मिले।” उनकी पुकार सुनी गई; सेनाओं की इस कार्रवाई ने मृतकों की आत्माओं को शांति दी।
भारत ने दुनिया को बता दिया: अब बहुत हो चुका। एक वरिष्ठ अधिकारी की आवाज में गूंजा, “अमेरिका और इजरायल की तरह, भारत आतंकियों को कहीं भी, कभी भी निशाना बनाएगा।” कुछ आतंकी सरगना भले बच गए, परंतु भारत की सुरक्षा एजेंसियां उनके पीछे हैं। जब-जब देश की सुरक्षा को खतरा होगा, कार्रवाई होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हुंकार गूंजी, “आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।” यदि पाकिस्तान आतंकी शिविरों को पुनर्जनन देता है, तो ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाई फिर होगी—कहीं भी, कभी भी। यह भारत का संकल्प है, सिंदूर की उस लाल रेखा की तरह, जो अटल है।
पाकिस्तान का चेहरा अब बेनकाब है। पत्रकार आफताब इकबाल ने भारतीय विमान गिराने के सबूत मांगे, परंतु उनकी आवाज खामोशी में डूब गई। इस्लामाबाद की लाल मस्जिद में, मौलाना अब्दुल अजीज गाजी ने पाकिस्तान की बर्बरता के समर्थन पर सवाल उठने पर मुंह फेर लिया। यह चुप्पी पाकिस्तान की सच्चाई का आलम है। भारत ने न केवल आतंक को कुचला, बल्कि वीडियो साक्ष्यों से पाकिस्तान की साजिशों को उजागर किया। यह कार्रवाई पहले से बड़ी थी, एक ऐसी गाथा जो भारत के शौर्य को अमर करती है।
यह दिन सशस्त्र सेनाओं की वीरता, सरकार के धैर्य, और राष्ट्रीय एकता को नमन करने का दिन है। एक सैनिक, जो रात के सन्नाटे में मिसाइल दागने की तैयारी कर रहा था, शायद अपनी मां की तस्वीर को याद कर रहा था। एक नागरिक, जो पहलगाम के शहीदों के लिए प्रार्थना कर रहा था, अब गर्व से सिर उठा रहा है। भारत एक है—एक था, एक है, और एक रहेगा। कोई विघटनकारी ताकत इसकी अखंडता को तोड़ नहीं सकती। ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल आतंक को मिटाया, बल्कि भारत के दिल में इंसानियत और शौर्य का दीप जलाया।
*लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद हैं।