
उरई: अब संत समाज पूरे देश में मथुरा में भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए एक आंदोलन शीघ्र शुरू करेगा। संत एवं कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने सनातन धर्म के संत सम्मेलन में 25 फरवरी 2025 को प्रयागराज महाकुंभ में सर्वसम्मति से मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाने का निर्णय लिया था और कृष्ण जन्म भूमि आंदोलन के लिए प्रस्ताव पारित करवाया था। अब उनके नेतृत्व में सन्त एवं सनातन समाज इस आंदोलन में भागीदारी करेगा। इसके लिए मथुरा से लेकर पूरे भारत में शीघ्र ही जन आंदोलन शुरू किया जाएगा। यह आंदोलन ब्रज क्षेत्र में शुरू हो फिर उत्तर भारत से होता हुआ पूरे देश में जाएगा। तारीख अभी घोषित नहीं की गई है पर राम जन्मभूमि आंदोलन की तरह ही अब कृष्ण जन्म भूमि आंदोलन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद ,बजरंग दल आदि संगठनों से जुड़कर ही आगे बढ़ेगा।
यह ऐतिहासिक तथ्य है कि विदेशी आक्रांताओं ने हिंदुओं के आस्था के केंद्रों को नष्ट किया। प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर को तोड़ा और लूटा गया। इसी तरह अयोध्या में भगवान राम के मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई गई, मथुरा में भगवान कृष्ण के मंदिर को तोड़कर शाही ईदगाह का निर्माण किया गया, और वाराणसी में बाबा विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई।
भारत दुनिया का ऐसा अनोखा देश है, जहाँ हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी, जैन आदि समुदाय भाईचारे के साथ रहते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय संस्कृति, जिसे हिंदू संस्कृति भी कह सकते हैं, ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के सिद्धांत पर चलती है, यानी ‘पूरा विश्व मेरा परिवार है।’ इसी का परिणाम है कि इस देश में हिंदू धर्म ने कभी किसी अन्य धर्म या जाति के लोगों का जबरन धर्मांतरण नहीं करवाया।
आज भारत और विश्व का हिंदू समाज यह चाहता है कि जिस तरह अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनाया गया, उसी तरह मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि पर और वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद हटाकर बाबा विश्वनाथ का भव्य मंदिर बनाया जाए।
राम जन्मभूमि आंदोलन के कारण बने माहौल और सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ। कोर्ट ने मस्जिद के लिए अल्पसंख्यक समुदाय को पाँच एकड़ जमीन भी दी। हालाँकि, मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर अभी भी शाही ईदगाह मस्जिद के बगल में है। इसी तरह, वाराणसी में हिंदू समाज के राजा रणजीत सिंह सहित कई राजाओं ने बाबा विश्वनाथ मंदिर के निर्माण में योगदान दिया। पूरे भारत में हिंदुओं की इच्छा है कि जिस तरह अयोध्या में राम मंदिर बना, उसी तरह हिंदू समाज के तीन प्रमुख केंद्रों—राम, कृष्ण और बाबा विश्वनाथ—के लिए मथुरा और वाराणसी में भी भव्य मंदिर बनाए जाएँ।
धर्म के आधार पर भारत और पाकिस्तान का बँटवारा हुआ। उसके बाद पाकिस्तान में हिंदू समाज का जबरन धर्मांतरण किया गया। फिर भी, पूरी दुनिया देख रही है कि पाकिस्तान कंगाली की ओर बढ़ रहा है। वहाँ भारत से गए मुस्लिमों को ‘मुहाजिर’ मानकर दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता है। इसी तरह, 1989 में कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने हिंदुओं का नरसंहार किया, जिससे हिंदू समाज बहुत चिंतित है। भविष्य में ऐसी घटनाएँ समाज नहीं चाहता।
हमारा मानना है कि हिंदुओं और मुस्लिमों के पाँच-छह पीढ़ियों पहले के पुरखे एक ही थे। इसलिए सबको मिलकर राष्ट्र की उन्नति के लिए काम करना चाहिए। राम, शिव और कृष्ण न केवल भगवान हैं, बल्कि हमारे साझा पुरखे भी हैं। इसलिए हिंदुओं और मुस्लिमों को प्रेम के साथ मिलकर इनके मंदिरों का निर्माण करना चाहिए।
*संत कमल नयन दास शुरू से ही अयोध्या के राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े रहे हैं। प्रस्तुत लेख उनके साथ वरिष्ठ पत्रकार अनिल शर्मा से विशेष बातचीत पर आधारित है। प्रस्तुति:अनिल शर्मा।