नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज किसानों को भरोसा दिलाया कि अमेरिका के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में उनकी आजीविका की रक्षा सर्वोपरि होगी। पूसा, दिल्ली में 12 अगस्त 2025 को भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक [भाकियू (अ)] और अन्य संगठनों के साथ अमेरिका के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते पर किसान संगठनों से भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) दिल्ली में अहम संवाद में उन्होंने कहा कि कोई समझौता किसानों, डेयरी किसानों, और मछुआरों के हितों के खिलाफ नहीं होगा। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि अमेरिका के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते में किसानों, डेयरी किसानों, और मछुआरों के हितों की रक्षा पहली शर्त होगी।
चौहान ने 7 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को दोहराया: “किसानों का कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है; मैं व्यक्तिगत कीमत चुकाने को तैयार हूँ।” अमेरिका ने डेयरी, सोयाबीन, मक्का, बादाम, सेब में बाजार पहुँच की माँग की है, पर चौहान ने स्पष्ट किया कि कोई दबाव स्वीकार नहीं होगा।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी यह बयान अमेरिकी प्रशासन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर चल रही बातचीत की पृष्ठभूमि में आया है। बताया गया है कि अमेरिका ने भारतीय कृषि बाजारों, खासकर डेयरी क्षेत्र, और सोयाबीन, मक्का, बादाम और सेब जैसे उत्पादों के निर्यात तक पहुँच की माँग की थी।मोदी ने कहा है कि भारत अपने किसानों, डेयरी किसानों और मछुआरों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा।
भाकियू (अ) के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि प्रधान मंत्री मोदी ने साफ संदेश दिया है कि किसानों का कल्याण उनकी सरकार के लिए “सर्वोच्च प्राथमिकता” है। यह संकल्प भारत के 2019 में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) से बाहर निकलने के फैसले को दर्शाता है, जिसे भाकियू (अ) ने किसान हितों की रक्षा में समझदारी भरा कदम बताया।
आरसीईपी का ग्लोबल साउथ में प्रभाव मिश्रित है। यह व्यापार और निवेश को बढ़ावा देता है, लेकिन भारत जैसे देशों ने किसानों की आजीविका की रक्षा के लिए इससे बाहर रहना चुना।
मलिक ने कहा कि आशा जताई कि जिस भावना के कारण भारत ने आरसीईपी व्यापार वार्ता से समझदारी से पीछे हटने का फ़ैसला किया, वही भावना अमेरिका के मामले में भी प्रबल होगी। बता दें कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी 15 एशिया-पैसिफिक देशों का व्यापार समझौता है, जिसमें आसियान के 10 सदस्य—ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम—तथा ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण कोरिया शामिल हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा व्यापार ब्लॉक है, जो वैश्विक जनसंख्या और सकल घरेलू उत्पाद का ~30% कवर करता है। यह 20 वर्षों में ~90% शुल्क समाप्त करता है और ई-कॉमर्स, व्यापार, बौद्धिक संपदा के नियम बनाता है। भारत ने 2019 में, चीन के साथ प्रतिस्पर्धा और किसान हितों की चिंताओं के कारण, इससे बाहर रहना चुना।
मलिक ने ज़ोर दिया कि कोई अंतरिम समझौता भी किसानों के लिए हानिकारक नहीं होना चाहिए। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह यह सुनिश्चित करें कि अब या भविष्य में किसी भी व्यापार समझौते (यहां तक कि अंतरिम समझौते) पर बातचीत या हस्ताक्षर न किया जाए, जो हमारे किसानों के हितों के लिए हानिकारक हो। उन्होंने कहा कि भारत को अमेरिका के साथ ऐसे किसी भी व्यापार समझौते पर आगे नहीं बढ़ना चाहिए जिसमें कृषि शामिल हो और जो कृषि आजीविका के लिए ख़तरा हो। “हम विश्व व्यापार संगठन में अमेरिका के साथ लंबित मुद्दों, विशेष रूप से उसकी कृषि सब्सिडी के संबंध में, को सुलझाने का अनुरोध करते हैं, जो भारत के किसानों के प्रति समर्थन को कमज़ोर करती है और साथ ही उसकी अपनी पर्याप्त सब्सिडी को भी सुरक्षित रखती है,” उन्होंने कहा।
आज की मीटिंग में पीजेंट के चेयरमेन अशोक बालियान, भाकियू (अ) के, राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक व् गठवाला खाप के चौधरी बाबा राजेंद्र सिंह मलिक,पीजेंट के पैट्रन बोर्ड के सदस्य के पी सिंह (पूर्व वीपी,शुगर इंडस्ट्री), विपिम पटेल, राष्ट्रीय अध्यक्ष सिफा, कोटि रेड्डी (सिफा हैदराबाद), उदयवीर सिंह (पूर्व सीओ), सीपी सिंह (पूर्व सीओ), शिवचरन अत्री (पूर्व सीओ कालू प्रधान जिलाध्यक्ष मेरठ, सुधीर पंवार जिलाध्यक्ष मुजफ्फरनगर, जगपाल सिंह प्रदेश उपाध्यक्ष, सुदेशपाल सिंह जिलाध्यक्ष सहारनपुर, अतुल बालियान प्रदेश उपाध्यक्ष, बिजनौर, राजकुमार तोमर मण्डल अध्यक्ष आगरा, महेंद्र मुखिया, दया प्रधान, दुष्यन्त मलिक के आलावा देश भर के अनेकों किसान नेता शामिल थे।
पीजेंट के चेयरमेन अशोक बालियान ने अपने सम्बोधन में कहा कि आपने भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौते में कृषि क्षेत्र पर सहमति नहीं बन पाने के मुद्दे पर कहा, कि “राष्ट्र प्रथम हमारा मूल मंत्र है। किसी भी दबाव में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यदि समझौता होगा, तो वह भारत के किसानों के हितों को ध्यान में रखकर ही होगा। भारत किसी दबाव में नहीं झुकेगा।” भाकियू (अ) व पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने कहा वे केंद्र सरकार के इन प्रयासों का समर्थन करते हैं।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो
