– धर्मेंद्र मलिक*
नई दिल्ली: आगामी 1 फरवरी को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2023 -24 का बजट पेश किया जाना है जिसमे कृषि पर विशेष फोकस होना चाहिए।
वर्तमान में देश की कृषि हेतु सैकड़ों छोटे-बड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। भारत की काफ़ी बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर हैं। उनकी आजीविका का प्राथमिक स्त्रोत खेती ही है। केंद्रीय बजट में कृषि पर विशेष फोकस किया जाना अनिवार्य है। सरकार को कुछ नये प्रावधान भी करने चाहिए, जिनसे किसानों की आमदनी बढ़ सके।
1-सप्लाई चेन में फार्मर प्रोडूसर ऑर्गनाइज़ेशन्स (एफपीओ) और एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी कंपनियों को इंटीग्रेट करने के लिए कार्यशील पूंजी की क्रेडिट गारंटी दी जा सकती है। इससे किसानों को समय पर भुगतान मिल सकेगा और बाजार के साथ एफपीओ का प्रभावी जुड़ाव भी हो सकेगा।
2-देश में यूनिवर्सल फसल बीमा योजना भी लागू की जानी चाहिए, जिसमें 2 हेक्टेयर से कम जमीन वाले सीमांत किसानों को प्रीमियम में 100 प्रतिशत सब्सिडी मिले।
3- कृषि क्षेत्र में ड्रोन के लिए अभी जो ग्रांट और सब्सिडी की स्कीमें हैं, उनका विस्तार एग्रीटेक, एग्रीफिनटेक और निजी रिसर्च संस्थानों तक किया जाना चाहिए। विशेषकर उनके लिए जो कृषि के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।
4- देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य का दायरा बढ़ाते हुए फल सब्जियों सहित प्रत्येक फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करते हुए देश के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाना सुनिश्चित करने हेतु भावांतर कोष का गठन करते हुए फसल खरीद हेतु दोगुनी राशि का प्रावधान किया जाय।
5-आगामी बजट में किसान सम्मान निधि को बढ़ाया जाए।
6-आगामी बजट में कृषि में उपयोग होने वाले यंत्रों, खरपतवार नाशक, कीटनाशक, खाद, बीज, मुर्गी दाना, पशु आहार सहित सभी वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से मुक्त किया जाए।
7-कृषि क्षेत्र के लिए एक विशेष पैकेज का ऐलान किया जाए।
8-किसान क्रेडिट कार्ड की अवधि समाप्त होने पर ही पूरा पैसा जमा कराया जाए। प्रत्येक वर्ष किसानों से केवल ब्याज लिए जाने का प्रावधान किया जाए।
9-देश में देश में कृषि निर्यात को प्रोत्साहन देने हेतु देश के प्रत्येक जनपद में एक जनपद एक उत्पाद के तर्ज पर कृषि निर्यात प्रोत्साहन केंद्र खोले जाएं।
10- जलवायु परिवर्तन से प्रभावित कृषि क्षेत्र के लिए जलवायु आपदा फंड का प्रावधान किया जाय।
11-ईंधन की खेती,सोलर पावर पंप, प्राकृतिक खेती आदि पर बजट में राशि बढ़ाए जाने का प्रावधान किया जाय।
इस बजट से भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक को काफी उम्मीदें हैं। पूर्व में भी भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक (भाकियू अराजनैतिक) द्वारा इस संबंध में भारत सरकार के साथ पत्राचार एवं देश के कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मुलाकात के माध्यम से किसानों की आवश्यक एवं तत्कालिक मांगों के संबंध में अवगत कराया जा चुका है।
*राष्ट्रीय प्रवक्ता, भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक। प्रस्तुत विचार व्यक्तिगत हैं।