नेताजी की राष्ट्रमाता मां बाप की कस्तूर आस-पड़ोस की कस्तूरी मोनिया, मोहन की संगिनी सिर्फ अपनी अधिकार ही अधिकार अधिकार से बाहर धिक्कार।
खुद से सीखने की चाह पति की शिक्षण की राह मोह का रोड़ा घणा नहीं तो थोड़ा मन को मोड़ा असफलताओं का जोड़ा।
हार न मानी पति करता मनमानी कस्तूरबा ने पक्की ठानी नहीं चलेगी मनमानी।
नया जीवन, नई राह दृढ़ता की अपनी चाह नहीं झुकूंगी, नहीं टुटूंगी अपनी राह पर साथ चलूंगी।
दुख सहना मुंह से न कहना सहन करती घात रखती अपनी बात।
झेले उतार चढ़ाव बंधन और बहाव रहा सहज स्वभाव पके मन के भाव।
कैसा भी मचा धमाल सबकी करी संभाल बिगड़ी नहीं जीवन चाल ऐसा बा ने किया कमाल।
बापू को समझाया नया जीवन अपनाया कमजोर थी काया बनकर रही छाया।
जेल की राह अपनाई रोग ने पकड़ी कलाई नहीं कभी घबराई जीवन वापिस पाई।
अनेक आई मजबूरी रखी छद्म से दूरी न छोड़ी अपनी धुरी दिखावे से रखी दूरी।
बा की जीवन रेखा प्रेम घट घट में देखा देश को माना अपना परिवार सेवा, त्याग के लिए सदैव तैयार देश के लिए जीवन अर्पण बापू के प्रति सच्चा समर्पण।
करेंगे-मरेंगे, बापू का नारा बा को लगा बड़ा ही प्यारा नौ अगस्त की गिरफ्तारी मरने तक की पूरी तैयारी आगा खां पैलेस, पूणे में जेल बनाई महादेव, कस्तूरबा की बलि चढ़ाई।
बापू पड़ गए चाहे अकेले सीने में अनेकों दुख झेले नहीं बाजी कभी हारी सत्याग्रह की रही तैयारी प्रार्थना का समय, तीस जनवरी आई पीठ नहीं दिखाई, सीने पर गोली खाई।
सत्य, अहिंसा, प्रेम पर जिन्होंने जीवन वारा पापियों ने अद्भुत जोड़ी, बा-बापू को मारा।
बा बापू तूम्हें शत शत सलाम देश का बढ़ाया दुनिया में सम्मान नेताजी थे सच्चे ज्ञाता कस्तूरबा को कहा राष्ट्रमाता।।