
कविता: गर्मी रानी बड़ी सयानी
गर्मी रानी, बड़ी सयानी
गर्मी आई, करो तैयारी
गर्मी हमको लगती प्यारी
बाग बगीचे में घूमने जाओ
मीठी, ठंडी कुल्फी खाओ
चुस्की, बर्फ, आइसक्रीम लाओ
छुपा छुपा कर उसको खाओ
डाट डपट की किसको परवाह
खाते ही मुंह से निकले वाह वाह
कच्चे दूध, दही की लस्सी आई
शरबत, रस, नींबू पानी, ठंडाई
अच्छा लगे कच्चे आम का पाना
बेल शरबत के बारे में खूब जाना
घाट की राबड़ी, जौ चने का सत्तू
हरदम पीने को तैयार है मन मत्तू
ककड़ी, खरबूजा और तरबूज
राजा आम को कैसे जाएं भूल
काले काले जामुन की बहार
फालसे का अपना ही प्यार
भूना चना (भूगडे) खाएं सब बच्चे
जौ की धानी के दिन आए अच्छे
हरदम पानी पीकर बाहर निकलें
धूप में सर से कपड़ा कभी न फिसले
लू के थपेड़ो से बचना बहन भाई
नहीं डाक्टर की कराओगे कमाई
खाओ पीओ नाचो गाओ
छुट्टियां पड़ गई मौज मनाओ।।