गंगा कल, आज और कल
पहले की सुन लो मेरी बात
सभी चाहे गंगा मैया का साथ
जहां जहां बहता जल
आवाज होती कल-कल
हरियाली होती पल-पल
जीवन जीता क्षण-क्षण
खेती-बाड़ी खूब लहलाए
प्राणी भोजन भर पेट खाए
क्षेत्र में जब होती खुशहाली
हरे जंगल का जागरूक माली
पशु-पक्षियों को भरपूर चारा
खुशहाल हंसता गांव हमारा
गंगा मैया को निर्मल बहने दो
प्राणियों को सुख से जीने दो
निर्मल, अविरल गंगा संग म्हारे
तू भी संकल्प कर ले मेरे प्यारे
अब हम शिक्षित हुआ विकास
संस्कार भूले कर रहे विनाश
नदियों को कहते थे माई
करते है उससे अब कमाई
नदियां मैला सबका ढोती
कुपुत्रों के कर्मों को रोती
जहरीली गैस कचरे में रहती
रोती घुटती बंधन में बहती
अपने दुखड़े किससे कहती
दुःख से पीड़ित रहती बहती
छोटे-बड़े खोटे आश्वासन
नेता सिर्फ दिए झूठे भाषण
पैसा फूंका घोट दिया गला
तनिक नहीं हुआ मेरा भला
बड़ी योजना नमामि गंगे
हमाम में निकले सब नंगे
दुखयारी मैं, घायल हिमालय
मंदिर जैसे बिना शिवालय
डालो मत कूड़ा-कचरा गंदगी
लौटा लूंगी खुद अपनी जिंदगी
मुझे अब ना अधिक सताओ
मुक्त कब करोगे सही बताओ

