नयी दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन इस वर्ष 19 अगस्त रक्षा बन्धन और 26 अगस्त जन्माष्टमी के पर्वों के बीच हो जाने की पूरी सम्भावना है।
नये राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के लिये राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से नियुक्त भाजपा के राष्ट्रीय महामन्त्री (संगठन) बी.एल. सन्तोष, प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृह मन्त्री अमित शाह, तथा पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा वर्तमान रक्षामन्त्री राजनाथ सिंह आदि की टीम पर पूरा दारोमदार है।
भाजपा सूत्रों के अनुसार नये राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिये केन्द्रीय मन्त्री नितिन गडकरी, गुजरात प्रदेश के मन्त्री पुरुषोत्तम रूपाला, केन्द्रीय कृषि मन्त्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल, राष्ट्रीय महासचिव विनोद तांवड़े, महाराष्ट्र के उप मुख्यमन्त्री देवेन्द्र फड़नवीस के नामों पर भाजपा ओर संघ का शीर्ष नेतृत्व पिछले कई दिनों से गहन मंथन कर रहा है।
गुजरात के पुरुषोत्तम रूपाला जो दलित बिरादरी से आते हैं उनके बारे में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के कुछ नेताओं का यह तर्क था कि रूपाला के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने से देश में दलितों में अच्छा संदेश जायेगा। लेकिन भाजपा और संघ के शीर्ष नेतृत्व के कुछ प्रमुख लोगों का यह मानना था कि रूपाला के बयानों के कारण बीते लोक सभा चुनाव में भाजपा को राजस्थान और उत्तर प्रदेश की क्षत्रिय राजपूत बिरादरी में खासा आक्रोश रहा जिसके चलते इस बिरादरी के वोटों से भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
इसी तरह केन्द्रीय मन्त्री नितिन गडकरी संघ के बहुत करीबी माने जाते हैं लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से उनकी अदावत जग जाहिर है इसके चलते, सूत्रों के अनुसार, उनको राष्ट्रीय अध्यक्ष को बनाने को लेकर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व एक राय नहीं हो सका।
संघ से भाजपा में आये राष्ट्रीय महामन्त्री सुनील बंसल को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने में संघ का शीर्ष नेतृत्व सहमत नहीं है क्योंकि वो संघ की पृष्ठ भूमि से आने के बाद भाजपा की गुजरात लाबी के ज्यादा करीब हो गये। चूंकि महाराष्ट्र में जल्द ही विधान सभा चुनाव होने हैं और भाजपा के राष्ट्रीय महामन्त्री विनोद तावड़े दलित समाज से आते हैं और महाराष्ट्र में दलित समाज के मतदाताओं की बड़ी संख्या है, इस लिये भाजपा और संघ का शीर्ष नेतृत्व इस बात पर सहमत हैं कि विनोद तावड़े की जरूरत महाराष्ट्र में अभी ज्यादा है। इसलिये उनको महाराष्ट्र में संगठन और चुनाव की जरूरत को ध्यान में रखते हुये उन्हें वापस महाराष्ट्र की राजनीति में भेजा जा सकता है।
केन्द्रीय कृषि मन्त्री शिवराज सिंह चौहान के नाम की चर्चा भी इस पद के लिये हुई लेकिन मध्य प्रदेश के मुख्यमन्त्री के रूप में वे किसानों के बीच काफी लोकप्रिय थे, इसी तरह केन्द्रीय कृषि मन्त्री के रूप में भी किसानों में उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है।इसलिये भाजपा और संघ का शीर्ष नेतृत्व किसानों की लम्बे समय से लम्बित पड़ीं समस्याओं के निराकरण के लिये उनका कारगर उपयोग करना चाहता है।
इसी बीच मन्थन के दौरान महाराष्ट्र के उप मुख्यमन्त्री देवेन्द्र फड़नवीस का नाम तेजी से उभर कर सामने आ रहा है। उनसे न तो संघ नेतृत्व नाराज है और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व। उनकी कार्य प्रणाली से भी दोनों खुश नज़र आते हैं । फड़नवीस महाराष्ट्र से आते हैं जहां पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा और राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक गठबंधन का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। अब जल्द ही महाराष्ट्र में विधान सभा चुनाव है। वे ब्राह्मण बिरादरी के हैं और इसी बिरादरी के जे.पी. नड्डा भी हैं। फड़नवीस के महाराष्ट्र के उप मुख्यमन्त्री रहने का लाभ जहां महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव में मिल सकता है वहीं सौम्य स्वभाव और कार्य करने में तेजी के कारण देवेन्द्र फड़नवीस देश में संगठन को और बेहतर बनाने के मामले में नड्डा का स्थान ले सकते हैं। इस लिये देवेन्द्र फड़नवीस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने की संभावनायें काफी बढ़ गईं हैं।
*वरिष्ठ पत्रकार