गदग: कर्नाटक राज्य के नामकरण का यह स्वर्ण जयंती वर्ष है। यह राज्य इस वर्ष सूखे की मार झेल रहा है। यहां अगस्त माह में 73 प्रतिशत कम और अक्टूबर माह में 63 प्रतिशत कम बारिश हुई है। अभी इस नवंबर माह में कोई बारिश की संभावनाएं नजर नहीं आ रही। यहां के हालात बहुत खराब है। कर्नाटक राज्य के 236 ब्लॉक में से 216 ब्लॉक अकाल ग्रस्त घोषित कर दिए हैं। 50 प्रतिशत वर्षा कम होने वाले क्षेत्र को भारत सरकार और राज्य सरकार राष्ट्रीय आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर देती है। यहां तो आधे से भी कम बारिश हुई है,इसलिए सरकार को राष्ट्रीय आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर देना चाहिए।
उत्तर और दक्षिण कर्नाटक में पहली बार ऐसा हुआ है कि बारिश आधे से कम हुई और जो बारिश हुई वो असमय हुई है। इस कारण से बीजापुर, बागलकोट, कोपला , गुलवर्गा, गदग, धारवाड़, हुबली, बेलगाम जिले ज्यादा प्रभावित हैं । यहाँ मक्का, ज्वार आदि फसल सूख गई हैं, और इन जिलों के गांव के लोग विस्थापित होकर शहरों की तरफ जा रहे हैं। पशुओं के लिए पीने के पानी की समस्या बनी हुई है।
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ये बुरे दिन ऐसे वक्त पर आए हैं जब कर्नाटक राज्य, मैसूर से कर्नाटक के नाम परिवर्तन के 50 साल पूरे किए हैं। यहां के लोगों में एक तरफ स्वर्ण जयंती मनाने का उत्साह है और दूसरी तरफ दुष्काल की बुरी मार झेल रहे हैं। कर्नाटक राज्य के लोग हिम्मत नहीं हारते हैं, वह अपने बुरे वक्त में भी उतने ही उत्साहित रहते हैं जितने बुरे वक्त को अच्छे वक्त में बदलने के लिए रहते हैं। इसलिए 1 नवंबर से स्वर्ण जयंती समारोह शुरू हो गया है।
इस समारोह की शुरुआत गदग जिले से हुई है क्योंकि कर्नाटक राज्य बनने की ज्योति यहां जली थी। यहां के तत्कालीन मंत्री के.एच. पाटिल ने यह ज्योति जलाई थी। इस ज्योति के प्रकाश में यह राज्य बना था। कर्नाटक के पचास वर्ष के उपलक्ष्य में निर्माण से किसानों, शिक्षकों, विद्यार्थियों और युवाओं में बहुत उत्साह है कि, हम अपना स्वर्ण जयंती वर्ष जरूर पुरे उत्साह से मनाएंगे।
1 नवंबर 2023 को गदग में स्वर्ण जयंती समारोह का शुभारंभ हुआ। जिसमें यहां के प्रभारी मंत्री, विधायकों, अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओ की बड़ी उपस्थिति में इस दुष्काल के वक़्त लाजिमी था कि जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने इसका उद्घाटन किया। उद्घाटन करते वक्त यह भी संकल्प हुआ कि, कर्नाटक में आनंद के साथ यह स्वर्ण जयंती साल मानना चाहिए। सुखाड़ मुक्ति से मुक्त होने के लिए वह सब जरुरी काम करने चाहिए, जिनकी आज जरूरत है।
यहां के पर्यटन और संसदीय सचिव मंत्री एच के पाटील ने शुभारंभ करते हुए अपने कर्नाटक के गौरव को गदग में मानते हुए अपनी खुशी का इजहार किया। दूसरी तरफ इन्होंने जो 20 साल पहले सुखाड़ मुक्ति के लिए गदग जिले में इच्चनहल्ला नाम की छोटी नदी को पुनर्जीवित किया था, उस काम के आरंभ में जलपुरुष ने यहां की सरकार को मार्गदर्शन किया था। यह नदी आज इस सुखाड़ में भी बह रही है। कर्नाटक में यह एकमात्र उदाहरण है जो सुखाड़ मुक्ति का एक सफल समय सिद्ध अनुभव प्रस्तुत करता है। जलपुरुष राजेंद्र सिंह के राजस्थान के अनुभव से सीखकर ही आसुंडी, हर्ती गांव के समुदाय ने पानी का बहुत अच्छा कार्य किया किया है, वैसा कार्य अभी बहुत करने की ज़रूरत है।
कर्नाटक राज्य के राजस्व मंत्री कृष्णा वायगेगोड़ा,ग्रामीण विकास मंत्री प्रयांक खड़गे ने भारत सरकार के केंद्रीय गृह और कृषि मंत्रालय के सचिवों से मुलाकात करके, सूखा राहत के लिए 17901 करोड़ रूपए की राहत देने के लिए विस्तृत विवरण वाला प्रस्ताव दिया है।
जलपुरुष राजेंद्र सिंह 27 अक्टूबर से कर्नाटक राज्य में ही है। यहां जहां-जहां सुखाड़ आया है और जहां सुखाड़ की मुक्ति के लिए काम हुए हैं, उन सब स्थानों का दौरा और लोगों से बैठक कर रहे हैं। स्वर्ण वर्ष जयंती के अवसर पर जब उद्घाटन हुआ तो उस वक्त हजारों की भीड़ में जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि कर्नाटक अद्भुत राज्य है, जो सुखाड़ के दुख में भी अपनी खुशियों का इजहार कर रहा है। यह कर्नाटक का गौरव और अपनी अद्वितीय पहचान है। इसलिए हम जब अपने दुख को भूलकर खुशियों में आते है तो हमारे दुख को कम करने का रास्ते खोज लेते हैं। इसलिए यह जानने और समझने की अत्यंत जरूरत है कि, इस समय कर्नाटक राज्य को दुष्काल मुक्त बनाने का सब प्रयास करें।
राजेंद्र सिंह ने आगे कहा कि,कर्नाटक राज्य ने इस दुष्काल को राष्ट्रीय दुष्काल घोषित करने और राहत का काम करने के लिए भारत सरकार से मदद मांगी है। भारत सरकार को दुष्काल मुक्ति के लिए जरूर मदद करनी चाहिए। यह मदद से इच्चनहल्ला नदी के जैसा काम हो। यहां की सूखी नदियां, तालाब ,झील और अन्य जल संरचनाओं के पुनर्जीवन का काम हो। यहां के तालाब महासमंद पुराना तालाब,मूलगुंड आदि तालाब मिट्टी से भरे हुए, उन सबको पुनर्जीवित करने का काम भारत सरकार से राहत प्राप्त करके, कर्नाटक सरकार को पूरे प्रदेश में करना चाहिए। कर्नाटक को अभी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सुखाड़ मुक्ति का काम करना चाहिए।
*वरिष्ठ पत्रकार