पिछले छह वर्षों से पर्यावरण के प्रति ही मैं समर्पित हो गया और साइकिल उठा कर एक यात्रा पर निकल गया क्योंकि मुझे लगा कि पर्यावरण ही ऐसा विषय है जिसकी हर जाति, हर धर्म, सभी पूजा करते हैं और बिना पर्यावरण के किसी भी व्यक्ति का जीवन संभव नहीं है।
मैं कुछ ऐसे लोगों से मिला जिन्होंने भारत यात्रा की थी। और उनके द्वारा भारत की अलग अलग राज्यों की कहानियाँ सुनना और यात्रा के बारे में संबंधित फोटोग्राफ्स और भी अलग लग चीज़ों को देखकर रुचि और भी बढ़ी थी। देश के युवा, कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों और गांव में जा कर पेड़ की बात करना और पेड़ लगवाना मुझे बहुत मुश्किल जैसा तो नहीं लगा पर लगता था पर इस प्रकार कि यात्रा के दौरान उस समय उतनी आदत भी नहीं थी कि माँग के खाने की और अनजान लोगों से सहयोग लेने की। ख़ैर मन में विचार आया कुछ वीडियो यात्रा की लगातार यूट्यूब पर देखा। जब देखा कई लोग यात्रा कर रहे हैं अलग अलग जगहों पर अलग अलग मक़सद से तो हौंसला मिला और निर्णय लिया कि ठीक है साइकिल यात्रा करते हैं । फ़रीदाबाद में बड़े भाई साहब के पास आ के चर्चा किया तो उन्होंने बोला यात्रा तो ठीक है पैसा कहाँ से आयेगा और भी कई बात उन्होंने बोली और सोचा कि ऐसे ही बोल रहा है तो मैंने तो मन में तय कर लिया था कि करना है तो करना है।
एक आम परिवार में सबसे बड़ी दिक़्क़त तब आती है जब आप नौकरी की ना सोच के समाज के लिए पूर्ण समर्पित हो कर काम करना चाहते हो।
मैं प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश के का रहने वाला हूँ तीन भाइयों में सबसे छोटा हूँ। पिता जी मुम्बई में ऑटो रिक्शा चालक हैं। दोनों भाई फ़रीदाबाद में नौकरी करते है मैं उन्हीं के पास रहता हूँ। यहाँ से पूर्ण रूप से समाज के लिए निःशुल्क कार्य अपना पैसा लगा के करना बहुत दिक़्क़त और मुश्किल काम है लेकिन तय किया था।
विषय क्लियर किया और किस के बीच कार्य करना है यह मन में तय किया। फिर मैंने 6 महीने के आस पास की एक यात्रा की सोची और साइकिल यात्रा की शुरुआत मैंने २४ जुलाई 2021 को कर दी।पहला पड़ाव फ़रीदाबाद और उसके बाद पास का ज़िला पलवल और उसके पास ही अरावली की पहाड़ियों के बिलकुल पास बसा के पास बसा गाँव हथिन। वहाँ एक संगठन के माध्यम से पहले 11 पीपल पौधे लगाकर यात्रा शुरुआत किया लगभग 5 से 8 लोग उनके साथ पर्यावरण पर चर्चा कार्यक्रम में आए थे । और उन्होंने मुझसे पूछा कौन सा पेड़ सही रहेगा ? जहाँ हम लोग चर्चा कर रहे थे वह एक स्कूल था । उसके बाद उन लोगों ने ही अपने पैसे से पीपल का पेड़ लगाया और संकल्प लिया की पेड़ की रक्षा करेंगे । फिर मैंने पहले मेवात की यात्रा शुरू करी । मेवात में वहीं पास में एक शिशु मंदिर में जिसमें बच्चों की संख्या लगभग 400 या 500 रही होगी वहां पर्यावरण और अरावली पर्वत श्रृंखला की उपयोगिता के विषय में संवाद के बाद देखा काफ़ी ध्यान से बच्चे सुन रहे हैं । उन विषयों पर चर्चा हुई साथ वहाँ के पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले कुछ युवा थे उनको भी अपने साथ में रखा क्योंकि अपनेपन की भावना के साथ वे वहाँ की स्थिति के बारे में अच्छे से बता सकते थे।
जब मैं फ़रीदाबाद वापस आ रहा था तो सोच रहा था कि बच्चों ने जो सुना उसका कुछ असर हुआ है या नहीं। मैंने अपना नंबर साझा किया था कि वे मुझसे बात कर सकते थे |उस दिन मेरे पास दस बच्चों के फ़ोन आये और मुझे लगा की वाक़ई सब ध्यान से सुन रहे थे तो मुझे बहुत अच्छा लगा।
अगले दिन मैं फरीदाबाद के बड़खल झील के समीप महर्षि पराशर की तपोभूमि मंदिर की तरफ गया। वहाँ से निकलते हुए बहुत सुंदर झरने और जैव विविधता की बातें आपको ध्यान में आती लेकिन वर्तमान में तो बड़खल झील में ऐसा देखने को नहीं मिलेगा |मन्दिर पर बड़ा झरना हुआ करता था। वह अब बिलकुल सूख चुका था। कारण क्या था ?
पहले हमने झील सूखने दिया, झरना सूखने दिया और अब करोड़ों लगा कर पुनः जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं। वह तो ऐसे प्रतीत होता है पहले मरने दो और फिर उसे बचाये जाने का प्रयास करेंगे। और जब मैंने यहाँ बसे लोगों से पूछा उन्होंने बताया कि जब झील में पानी था तो यहाँ पर पानी 50 फीट पर था और पीने योग्य होता था। लेकिन पहाड़ों में अवैध माइनिंग और वृक्षों की कटाई से झील धीरे धीरे सुख गई। पानी की वजह से कई लोग पलायन कर गये और ऐसा बताते हैं कि जो जल प्रपात पूरे साल चलता था वह आपको बारिशों के दौरान ही थोड़ा सा देखने को मिलेगा| और दुख की बात थी कि महर्षि पराशर की तपोभूमि की ऐतिहासिक भूमि और आस पास में अवैध रूप से बने हुए मकान और बड़े बड़े फ़ार्महाउस ने झील पर क़ब्ज़ा कर रखा है।
यहाँ पर आके देखने के बाद लगा और स्कूल में बच्चों के साथ चर्चा किया। और मुझे लगा जब एक जगह का ये हाल है तो देश का क्या होगा? उसे ही जानने के लिए ६ साल पहले मैंने साइकिल यात्रा शुरू की जो अभी भी ज़ारी है। मुझे ख़ुशी है कि इस यात्रा के दौरान पर्यावरण के बारे में मुझे जो जानकारी मिल रही है उसे मैं हर जगह स्थानीय लोगों , खासकर युवाओं और बच्चों के साथ साझा कर पा रहा हूँ।
*पर्यावरण यात्री जो पर्यावरण के प्रति चेतना के लिए 2021 से देश भर में साइकिल से यात्रा कर रहे हैं।