रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस पार्टी जैसी दो बड़ी राजनीतिक मछलियों से अपनी पार्टी को बचाने के लिए कमर कस ली है। उन्होंने अपनी पार्टी की टूट और फ्लोर टेस्ट में अपनी पार्टी और सरकार को बचाने के लिए व्यूह रचना कर ली है।
मालूम हो कि इंफोर्स्मेंट डायरेक्टरेट (ईडी) द्वारा भूमि घोटाले में अपने पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कोर्ट के माध्यम से 5 दिनों के लिए हिरासत में लिए जाने के बाद झारखंड में सरकार के सामने अभूतपूर्व संकट पैदा हो गया था। ऐसे खतरे के सामने शिबू सोरेन ने आनन फानन में अपने और अपने पुत्र हेमंत सोरेन के विश्वसनीय सात बार के विधायक चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनवाकर एक मंत्री कांग्रेस का और एक मंत्री राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का बनवाकर सरकार की रक्षा करने की कोशिश की।
राज्यपाल द्वारा 5 फरवरी 2024 को फ्लोर टेस्ट में बहुमत सिद्ध करने का निर्देश दिए जाने के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने सभी विधायकों को अपनी तेलंगाना सरकार के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के माध्यम से हैदराबाद में एक शानदार लूनिया रिसोर्ट में ले जाने की तत्काल व्यवस्था की।
लेकिन झारखंड की राजनीति के माहिर खिलाड़ी शिबू सोरेन को यह खतरा भी सता रहा था की एक ओर जहां भाजपा उनकी बहू सीता सोरेन को माध्यम बनाकर उनकी पार्टी में तोड़फोड़ कर सकती है, वहीं सीता सोरेन के साथ शिबू के सबसे छोटे बेटे बसंत सोरेन के भी साथ आ जाने से खतरा बढ़ गया था।
शिबू सोरेन कांग्रेस को भी एक बड़ी मछली मानते हैं क्योंकि वह भी राष्ट्रीय पार्टी है उन्हें यह भी डर था की कहीं सीता सोरेन और बसंत सोरेन के माध्यम से कांग्रेस उनके विधायकों को तोड़कर अपना मुख्यमंत्री ना बना ले।
इसलिए उन्होंने सबसे पहले कोर्ट से अपने बेटे पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को फ्लोर टेस्ट में मौजूद रहने की अनुमति ले ली और फिर शिबू बहू और छोटे बेटे को मनाने में जुट गए।
हेमंत सोरेन के फ्लोर टेस्ट में मौजूद रहने से जेएमएम में टूट की संभावना थोड़ी कम हो गई है। मालूम हो कि झारखंड विधानसभा में कल 82 विधायकों है। इनमें दो विधायकों की सीटे रिक्त है जिनमे झामुमो के कुल विधायकों की संख्या 29 जबकि उनके सहयोगी जल कांग्रेस की संख्या 17 है इसके राजद और कम का एक-एक विधायक है इस तरह से इनके बहुमत की संख्या 48 हो जाती है जबकि भाजपा के विधायकों की संख्या 27 है लेकिन हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से यह संख्या घटकर 47 रह गई है।
देखने वाली बात यह है कि हैदराबाद के लुनिया रिसोर्ट में कांग्रेस और जीएमएम के कुल मिलाकर 39 विधायक की पहुंचे थे। तेलंगाना की कांग्रेस की सरकार द्वारा इन विधायकों की सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए थे और उनके मोबाइल फोन रखवा लिए गए थे ताकि वह किसी से गोपनीय बातचीत न कर सकें और पार्टी में तोड़फोड़ की संभावना कम की जाए।इसके अलावा रिसोर्ट की जो परंपरा है की सभी मेहमानों को जो ब्रेकफास्ट ओपन में स्विमिंग पूल के पास दिया जाता है। उसकी जगह उन्हें तगड़ी सुरक्षा में हाल में ही ब्रेकफास्ट लंच और डिनर दिया गया।
उधर कांग्रेस नेतृत्व को यह भी खतरा है कि कहीं भाजपा के रणनीतिकार उनके 17 विधायकों में से 12 को तोड़कर भाजपा की सरकार ना बनवा लें जिससे कांग्रेस का नेतृत्व और शिबू सोरेन दोनों ही डरे हुए हैं । लेकिन शिबू सोरेन भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही राजनीति की बड़ी मछली मानते हैं इसलिए अंदर खाने में वह दोनों से भी सतर्क है।
अब कल जब फ्लोर टेस्ट होगा तो इसमें इसकी संभावना बढ़ गई है कि चंपई सोरेन की सरकार शायद बच भी जाए । भविष्य में चंपई सोरेन की सरकार को भाजपा और विधायक सीता सोरेन और बसंत सोरेन की नाराजगी से सरकार को खतरा बना ही रहेगा और भाजपा को जब भी मौका मिलेगा वह सीता सोरेन के माध्यम से अपनी सरकार बनाने की बार-बार कोशिश करेगी।
*वरिष्ठ पत्रकार