राजस्थान एवं भारत के अन्य राज्यों में में पानी के लिए अनूठे प्रयास के कारण जल संरक्षण में अपनी एक विशिष्ट स्थान बनाने वाले तरुण भारत संघ ने पिछले पचास वर्षों में भारत भूमि पर मई 2024 तक छोटी-बड़ी 23 से ज्यादा नदियों को पुनर्जीवित किया है और नई शेष नदियों पर काम चल रहा है। तरुण भारत संघ के पंजीकरण की तिथि 30 मई से अपने 50वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। तब से अब तक प्राकृतिक संरक्षण हेतु सामाजिक चेतना में कार्यों में लगा है ।जिन नदियों के दस्तावेज अभी तक के पुनर्जीवित होने के बने हैं, उनकी संख्या 19 है। सभी नदियों के कामों के आंतरिक, बाह्य मूल्यांकनों, विविध विशेषज्ञों द्वारा हुए मूल्यांकनों का प्रमाण है, कि, इन नदियों को हम पुनर्जीवित कर सके हैं। अभी मोटे तौर पर देखें तो तरूण भारत संघ ने समुदाय के साथ मिलकर पिछले पांच दशक में 15000 से ज्यादा जल संरचनाओं का निर्माण किया है। औसत 350 प्रति वर्ष जल संरचनाएं , अलग-अलग स्तर पर छोटी-बड़ी सब तरह की बनी है, वैसे वर्ष 1992 से 1996 तक तो वर्ष जल संरचनाओं के निर्माण की संख्या 1 हजार से भी अधिक रही है। इन संरचनाओं का निर्माण ज्यादातर राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में किया गया है।
यहाँ स्पष्ट करना चाहता हूँ कि पूरी अरावली, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात में खनन के कारण पूरे पहाड़ और जंगल नंगे होकर तपने लगे थे। जयपुर की झालाना डोंगरी का खनन तो जयपुर में तीन डिग्री संटीग्रेट तापमान को बढ़ा रहा था। दोपहर और दोपहरी के बाद में इस क्षेत्र में ‘लू’(हीटवेव) चलती थी। अरावली के खनन ने अरावली के सभी गांवों व शहरों को त्रस्त कर दिया था। इन जंगलों व पहाड़ों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़कर, सन् 1991 में खदाने बंद करवायी थी। 7 मई 1992 को अरावली में खनन को रोकने के लिए कानून बनवाया था। भारत के चार राज्यों में फैली अरावली का खनन रूकवाने और भारत भर में जल संरक्षण के लिए जमीनी काम करने जलवायु परिवर्तन अनुकूलन का काम करने छोटी नदियों के पुनर्जीवन हेतु सरकारों व समाज के साझे अभिक्रम चलवाने में सफल हुआ था।
जब यह खनन रुका, तो बहुत सारे लोग बेरोजगार हो गए। उन बेरोजगार हुए सभी लोगों को पानी के काम मे लगाया। उस समय प्राकृतिक पुनर्जनन का काम करने वाली एक बड़ी मानवीय शक्ति हम में मौजूद थी। तब जल संरक्षण का काम आंदोलन जैसा खड़ा हो गया था। जिसमें हजारों जल संरचनाओं का निर्माण प्रतिवर्ष होने लगा था। फिर ये काम थोड़े कम हुए क्योंकि इस बड़ी मानवीय शक्ति को सहायता स्वरूप कुछ दिलाने के लिए पूरे देश में लाचार, बेकार और बीमार मजदूरों को मजूदरी दिलाने के मनरेगा जैसी योजना शुरू करवायी। इसमें ज्यादातर जल संरक्षण के कामों पर ही जोर था। इसमें समुदाय और तरुण भारत संघ ने मिलकर कार्य किया। राजस्थान के काम के बाद जब इसका कार्यक्षेत्र बढ़ा और देशभर में फैला तो उसके लिए जल बिरादरी का गठन किया गया। राजस्थान राज्य में सभी कार्य तरुण भारत संघ की मदद से हुए और राजस्थान के बाहर के कार्यों में जल बिरादरी का योगदान रहा है।जल बिरादरी ने वर्ष 2013 में जल जन जोड़ो अभियान शुरू किया। जल बिरादरी द्वारा काम करते-करते यह कार्य दुनिया भर में फैलने लगा। तब दुनिया में काम करने के लिए सुखाड़-बाढ़ विश्व जन आयोग का गठन किया गया। इसका मुख्यालय तरुण आश्रम, भीकमपुरा, अलवर राजस्थान में ही है। तरूण भारत संघ व जल बिरादरी ही सुखाड़-बाढ़ विश्व जन आयोग का मुख्य जन्मदाता संगठन है। इन संगठनों ने अभी तक जो काम किये हैं, उनका असर है कि, पिछले साल 500 से ज्यादा काम भारत से बाहर हुए है। दुनिया में ऐसे कामों को करने के लिए एक अलग तरह की चेतना की जरूरत थी। इसलिए कईं चेतनाजनक काम हुए। केन्या और इजिप्ट में कुछ जमीनी काम भी शुरू हुए।
अब तरुण भारत संघ अपनी पूरी समझ श्रद्धा और शक्ति को भारत भर में नदी पुनर्जीवन की दिशा में काम करने पर लगा है। तरुण भारत संघ की स्वर्णिम जयंती के उपलक्ष्य में जल, जंगल, जमीन, जलवायु संरक्षण का ज़मीनी काम करने वाले साथियों से निवेदन है कि हम इस वर्ष में कुछ नये जमीनी काम करने का संकल्प लें। इसमें पहला संकल्प है कि हम जल-जंगल-जमीन की चेतना बढ़ाने वाली और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, उन्मूलन करने वाली 51 चेतना करने वाली छोटी नदियों की यात्राएँ भारत और दुनिया भर में शुरू करें। इसके लिए हमने 30 मई 2024 का दिन निर्धारित किया है। इस दिन छोटी नदियों पर काम करने वाले लोगों का 30 मई से 1 जून 2024 तक प्रशिक्षण होगा। यह जल संरक्षण व जल उपयोग दक्षता बढ़ाने की दिशा में काम करने की चेतना यात्रा होगी।
हम दुनिया को एक मानते हैं, इसलिए हम छोटे कामों से देश-दुनिया के बड़े काम करने का निर्णय कर सकते हैं, छोटे-छोटे काम साकार रूप में बना सकते हैं, यह तरुण भारत संघ ने सिद्ध किया है। इस वर्ष से हमने तय किया है कि, तरुण भारत संघ के सामाजिक कार्यों को दोगुनी गति से आगे बढ़़ायेंगे। इन सामाजिक कार्यों को मोटे-तौर पर हम यह मानते हैं कि प्राकृतिक संरक्षण और युवाओं को सामाजिक कार्य में लगाने के लिए प्रेरित करना, शिक्षित करना और प्रशिक्षित करना है। हमने इन कार्यों में योग्य बनाकर, विविध प्रकार के कार्यों में हजारों युवाओं को लगाया है। युवाओं को जल संरक्षण कार्यों में प्रशिक्षित करने के लिए तरुण जल विद्यापीठ भी बनाई है।
*जल पुरुष के नाम से विख्यात जल संरक्षक एवं तरुण भारत संघ के अध्यक्ष