प्रत्येक वर्ष 22 मई को विश्व जैव विविधता दिवस मनाया जाता है। यह दिन पृथ्वी पर जीवन की विविधता और उसकी रक्षा के महत्व को रेखांकित करता है। जैव विविधता का अर्थ है पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीवों — पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव और उनके पारिस्थितिक तंत्रों — की विविधता। यह विविधता ही हमारे जीवन का आधार है, लेकिन आज भौतिकतावादी जीवन, बढ़ती आबादी, जलवायु परिवर्तन, आदि के चलते यह संकट में है।
प्रकृति की यह विविधता हमारी खाद्य सुरक्षा, जल सुरक्षा,औषधियों, जलवायु संतुलन, मिट्टी की उर्वरता, परागण, प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा और सांस्कृतिक संपन्नता को सुनिश्चित करती है। एक स्वस्थ और संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र ही जीवन के विभिन्न रूपों को पनपने का अवसर देता है।
मनुष्य की अनियंत्रित गतिविधियाँ जैव विविधता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी हैं। जैव विविधता में संकट का पशु-पक्षियों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। जैसे-जैसे प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं, जलवायु परिवर्तन हो रहा है और मानवीय गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे कई जीव संकट में आ गए।
वनों की कटाई, शहरीकरण, कृषि विस्तार से जानवरों और पक्षियों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है। जिस वजह से बंगाल टाइगर, गिद्ध, गौरैया, तोता,सारस जैसी प्रजातियां अपने निवास स्थान घटने के कारण संकट में हैं। माटी,पानी व हवा के प्रदूषण से जीवों की जीवन प्रणाली प्रभावित होती है। प्लास्टिक और रासायनिक प्रदूषकों से समुद्री जीवों और पक्षियों की मृत्यु दर बढ़ रही है। जैसे कछुए प्लास्टिक खाने से मर रहे हैं, और जलाशयों में पारा मिलने से मछलियों पर नकारात्म असर पड़ रहा है। खेतों में पेस्टीसाइड फर्टिलाइजर का अत्यधिक प्रयोग होने से किसान का साथी केंचुआ विलुप्त होने के कगार में है। जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान और वर्षा के पैटर्न में बदलाव से प्रवासी पक्षियों की यात्रा प्रभावित होती है।
कई जानवरों के प्रजनन का समय और भोजन की उपलब्धता गड़बड़ा रही है। हिमालयी क्षेत्र की कई तितलियाँ और पक्षी अब ऊँचाई की ओर पलायन कर रहे हैं। अवैध शिकार और तस्करी लगातार बढ़ रही है खास तौर पर दुर्लभ प्रजातियों का शिकार उनके अंगों, खाल, पंख, आदि के लिए लगातार बढ़ रहे हैं। जिससे गैंडा, तेंदुआ, तोता, और सुर्ख गिद्ध जैसी प्रजातियाँ लुप्त हो रही हैं। अत्यधिक बालू उत्खन, पहाड़ों का अत्यधिक उत्खन,तालाबों/ नदियों में अतिक्रमण, चरागाहों का विलुप्त होने जैसे कारणों से हजारों प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं और अनेक प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं। एक बार जब कोई प्रजाति समाप्त हो जाती है, तो वह सदा के लिए खो जाती है, और पारिस्थितिक तंत्र में उसकी भूमिका भी समाप्त हो जाती है।
अगर समय रहते मनुष्य जागरूक और अपना स्वार्थपन नहीं छोड़ेगा तो निश्चित रूप से पृथ्वी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जैव विविधता के संकट से पृथ्वी में प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती जाएंगी। ऐसे में पृथ्वी को प्राकृतिक आपदाओं से बचने हेतु हम सभी को जैव विविधता संरक्षण के कार्य करने होंगे।
जैव विविधता संरक्षण का अर्थ है धरती पर पाए जाने वाले सभी प्रकार के जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों और उनके पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करना। जैव विविधता का संरक्षण न केवल पर्यावरण की स्थिरता के लिए जरूरी है, बल्कि यह मानव जीवन की गुणवत्ता और अस्तित्व से भी जुड़ा हुआ है। जैव विविधता का संरक्षण केवल वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी हो होनी चाहिए।
प्राकृतिक आवासों का संरक्षण,वनों की कटाई पर रोक लगाना। राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, और बायोस्फियर रिजर्व की स्थापना और रख-रखाव करना। नदी, तालाब, पर्वत और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखना। जल, वायु, भूमि और ध्वनि प्रदूषण को कम करना।प्लास्टिक का उपयोग सीमित करना और कचरे का उचित निपटान करना। कबाड़ से जुगाड़ बनाना। कृषि में जैविक खाद और कीटनाशकों का विवेकपूर्ण उपयोग करना। परंपरागत खेती की ओर लौटना। संकटग्रस्त और विलुप्तप्राय प्रजातियों की पहचान कर उनके लिए विशेष संरक्षण योजना बनाना। ब्रीडिंग (प्रजनन) केंद्र स्थापित करना और पुनर्स्थापन करना। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 जैसे कानूनों का सख्ती से पालन। जैव विविधता अधिनियम, 2002 के अंतर्गत स्थानीय जैव विविधता रजिस्टर बनाना। जैव संसाधनों के उपयोग पर उचित अधिकार और लाभ साझा करने की व्यवस्था करना। जैव विविधता के प्रति जागरूकता अभियान या प्रकृति की पाठशाला चलाना। आदिवासी और ग्रामीण समुदायों का पारंपरिक ज्ञान जैव विविधता संरक्षण में सहायक होता है। साझा वन प्रबंधन जैसे कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देना।
जैव विविधता को संपन्न बनाने हेतु हर वर्ष विश्व जैव विविधता दिवस की एक विशेष थीम होती है। वर्ष 2025 की थीम है: “हमारी जड़ें प्रकृति में हैं” । यह थीम हमें यह याद दिलाती है कि हमारी पहचान, हमारा स्वास्थ्य, और हमारा भविष्य — सब कुछ प्रकृति की गोद से ही जुड़ा है।
जैव विविधता केवल वैज्ञानिक शब्द नहीं, बल्कि जीवन का आधार है। यदि हमें एक सुरक्षित, संतुलित और समृद्ध भविष्य चाहिए, तो हमें आज ही जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। प्रकृति हमारी मां है, जैव विविधता उसकी विविध संतानें। इनकी रक्षा कर हम स्वयं की रक्षा करते हैं। जैव विविधता का संरक्षण एक सामूहिक जिम्मेदारी है। इसमें सरकार, वैज्ञानिक, किसान, छात्र, शिक्षक, और आम नागरिक — सभी को भागीदारी निभानी होगी। यदि हम आज प्रकृति की रक्षा करेंगे, तभी भविष्य में जीवन सुरक्षित रहेगा।
तो आइए, इस विश्व जैव विविधता दिवस पर हम संकल्प लें — प्रकृति से प्रेम करेंगे, जीवन की विविधता का सम्मान करेंगे, और अपनी धरती को हरा-भरा बनाएंगे।
*पर्यावरणविद
