राजस्थान धौलपुर जिले के रामबक्शपुरा, मथारा जैसे गाँवों में पहले बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर पाते थे। इन गाँवों के लोग उन्हें लूट लेते थे। परन्तु आज ये गाँव इस बात के बेहतरीन उदाहरण बन गए हैं कि हिंसा अर्थतंत्र को अहिंसा अर्थतंत्र में बदलने के लिए समाज पानी का काम करके ही आगे बढ़ता है। गर्मी के दिनों में ये गाँव बेपानी होकर उजड़ जाते थे। इस वजह से इन गाँवों के लोगों ने हिंसा का मार्ग अपना लिया था।
पर आज इन्हीं गाँवों को जानने, समझने, देखने के लिए दुनिया के 16 देशों से लोग आये हुए थे।
जब यह समझ आया कि यह हिंसा पानी की कमी के कारण, रहने व जीने की असुरक्षा के कारण है, तब तरुण भारत संघ ने इन गांव के लोगों के साथ मिलकर पानी का काम शुरू किया था। यहां जल संरक्षण का काम के लिए विभिन्न जल संरचनाएं का निर्माण करवाया। जब इनमे पानी आया तो ,धरती में पानी आया, तब लोग वीरान पड़ी जमीन पर खेती करने लगे। जो लोग चारो तरफ बंदूक लिए घूमते, फिरते थे, उन लोगों ने बंदूक छोड़कर पानी के काम में लगा लिया।
इन लोगों से बात करने के लिए आज कोलंबिया, जर्मनी, पुर्तगाल, आदि देशों से विशेषज्ञ इन गाँवों में आए। इन लोगों ने यह जानने का प्रयास किया कि जल के काम से इतना बड़ा परिवर्तन कैसे होता है। इन सभी लोगो ने गांव के घरों में जाकर, उनके साथ रहे व बैठक करके गंभीरता से बात की। यह सभी सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे में रहे। वे जानना चाहते थे कि आखिर इन गाँवों के लोगों का हृदय परिवर्तन कैसे हुआ?
बातचीत व बैठक करके अंत में लोगों के घर में ही भोजन किया।निष्कर्ष के तौर पर विशेषज्ञों ने कहा कि जब लोग अपने जीवन में विश्वास अर्जित करते तो लोगों का डर निकल जाता है, फिर वो हिंसा करना छोड़ देते हैं और सदाचारी से अहिंसमय जीवन जीते हैं। हिंसक वो होते हैं, जो डरते हैं। इन गांव की यात्रा के बाद सभी विशेषज्ञ अहिंसा परमो धर्म, जिओ और जीने दो का संदेश देने वाले श्री महावीर स्वामी जी के मंदिर में पहुंचे। उन्होंने कहा वे अब यहां जिओ और जीने दो का संदेश सीखकर इस काम को आगे बढ़ाएंगे।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो