विरासत स्वराज यात्रा 2022: मां गंगा के लिए शुभ क्या है?
बद्रीनाथ: मां गंगा के लिए शुभ क्या है? मां गंगा के लिए शुभ यह है कि जब गंगा के दोनों तरफ नैसर्गिक खेती होगी तो गंगा पर जहर का बोझ कम होगा। मां गंगा के लिए शुभ यह है कि भारत के युवा लोग ऐसी खेती करें जिसमें रसायन का उपयोग ना हो। जिस खेती में जहरीले दवाइयों का उपयोग ना होता हो।
10 अक्टूबर 2022 को विरासत स्वराज यात्रा पंडुकेशर से सुबह 7 बजे प्रस्थान हुई। यहां दोनो तरफ ऊंचे पहाड़ देखकर, आनंद हो रहा है। पंडुकेशर एक तीर्थ स्थल है। यहां रात को रास्ता बंद हो गया था,जिसके कारण हम सभी पंडुकेशर में रुके थे।
यहां बड़ी संख्या में लोग यहां आ रहे हैं। आज यहां बहुत ठंड है। बहुत अंधेरा छाया हुआ है। पंडुकेशर से रामबगड़ पहुंचे, यह बहुत भयानक जगह है। जहां बहुत बड़े बड़े पत्थर तेजी से नीचे आते है। यह लंबा इलाका है। अलकनंदा जी यहां अलख जगाती हुई, नीचे आ रही है।पहाड़ आगे निकला है, रास्ता कटा हुआ है। गंगा जी दूध जैसी सफेद दिखाई दे रही है। यहां गंगा जी की अविरलता से निर्मलता दिख रही है।
यात्रीगण हनुमान चक्की पहुंचे, यहां दर्शन किए और ऊपर के लिए प्रस्थान किया। हम सभी अलकनंदा के विपरीत जा रहे हैं। अलकनंदा नीचे की तरफ आ रही है और हम उपर की तरफ जा रहे हैं। यह रास्ता बहुत ही कठिन है।
9 अक्टूबर की रात का अनुभव बहुत विचित्र है। इस दौरान श्री शिवानंद सरस्वती ने सभी प्रशासनिक अधिकारियों को कॉल लगाया। तब शराब के नशे में झूमते हुए पुलिस वाले हमारे पास आए। तब गुरुदेव ने कहा कि यह नशा में था। बहुत हंसी आई थी। इस बार की यह यात्रा अस्मरणीय है। मन बहुत प्रफुल्लित है। दोनों तरफ बादलों से ढके हुए पर्वत हैं। यहां प्रकृति ने हम सभी को बहुत आनंद दिया।
इसके बाद यात्रा स्वामी श्री शिवानंद सरस्वती जी के बद्रीनाथ आश्रम पहुंची। यहां स्वामी श्री ने एक बहुत सुंदर ऊंची पहाड़ी पर बद्री विशाल के सम्मुख स्थान बनाया है। यह बहुत सुंदर स्थान है। यहां भारत की मूल विरासत अध्यात्म और विज्ञान के संबंध, वेदों, उपनिषदों का चिंतन मंथन करेंगे।
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इस बार की विरासत यात्रा स्वामी सदानंद स्वामी सानंद की स्मृति यात्रा है। यात्रा दौरान यहां शिक्षा और विद्या के अंतर पर भी संवाद करेंगे। तरुण भारत संघ ने जो शिक्षा और विद्या की पुस्तिका तैयार की है, जिसको स्वराज विश्वविद्यालय ने भी अपने दो-तीन दिन के चिंतन मनन में करके अंतिम रुप दिया। इस पर यहां बद्री विशाल में बद्रीनाथ में उस को अंतिम रूप देकर दुनिया के लिए प्रचारित प्रसारित करेंगे।
इसके बाद स्वामी सानंद जी जिन्होंने अपनी मां गंगा के लिए अपने प्राणों का त्याग किया, उनकी स्मृति में श्री शिवानन्द स्वामी ने एक संवाद स्थापित करने के लिए अपने बद्रीनाथ आश्रम में एक संगोष्ठी बुलाई। इस संगोष्ठी में देश भर से बड़े प्रसिद्ध प्रशासनिक सामाजिक कार्य करने वाले श्री कमल टावरी सीनियर आईएस, उत्तराखंड के भोपाल चौधरी, प्रवीण ध्यानी यहां के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष अशोक पूनिया, गो ग्रीन के संस्थापक श्री अंकित ध्यानी,अनिल चंदन, स्वामी श्री ब्रह्मचार्य आत्मबोधानंद, दीपक कोठरी आदि कई संत भी शामिल हुए। आज बातचीत में कमल टावरी ने कहा कि, हम शुभ- लाभ को साथ-साथ चला कर क्या कर सकते हैं। वैसा काम स्वामी सानंद जी को बहुत पसंद था। स्वामी सानंद जी सदैव अपने जीवन में लाख से ज्यादा शुभ को महत्व देते थे। शुभ उनके जीवन का उद्देश्य था, इसीलिए उन्होंने अपना जीवन मां गंगा के काम समर्पित किया था। भोपाल चौधरी ने कहा कि इस वक्त इस देश में जो आंदोलन चल रहे हैं, उन सब को संगठित होकर कुछ अच्छे काम करने चाहिए। यह आंदोलन एक होते तो स्वामी जी को अपने प्राण नहीं गंवाने पड़ते। स्वामी सानंद जी उच्च कोटि के वैज्ञानिक संत थे।
अलकनंदा के लिए, मां गंगा के लिए शुभ क्या है? तब मैंने कहा कि मां गंगा के लिए शुभ यह है कि भारत के युवा लोग ऐसी खेती करें जिसमें रसायन का उपयोग ना हो। जिस खेती में जहरीले दवाइयों का उपयोग ना होता हो। जब मां गंगा के दोनों तरफ शुभ नैसर्गिक खेती होगी तो मां गंगा पर जहर का बोझ कम होगा, इसलिए हमें मिलकर यह तय करना चाहिए कि हम सब 21 वीं शताब्दी में भारत की नदियों की अमृत वाहिनी बनाएं। हम सब लोगों को अपनी सरकार को दबाव डालकर यह करना चाहिए कि भारत की नदियां अमृत वाहिनी हो। इसी तरह अंकित ध्यानी जी ने भी कहा कि यदि धरती को हरी भरी बनाएंगे तो फिर है, तो वातावरण शुद्ध होगा। स्वामी शिवानंद सरस्वती जी ने कहा कि, हम लोग अपनी पहचान और अपनी लोकप्रियता बनाने के लिए भूल जाते हैं कि, क्या अच्छा है? क्या बुरा है! हमारी लोकप्रियता का लालच और सबका भला बना रहने का लालच हमें अच्छे काम करने से रोकता है। इसलिए हम अपनी पहचान की चिंता किए बिना, अपने आप को प्रतिष्ठित किए बिना, यदि हम समाज के भले के काम करेंगे तो यह देश दोबारा से विश्व गुरु बनेगा। भारत की आर्थिक और बाजार सभ्यता इसे गुरु नहीं बना सकती।
मैंने कहा कि, हमें ग्राम स्वराज्य की कल्पना को साकार करने के लिए बद्रीनाथ से शुरुआत करें । 17 तारीख को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी का शंकराचार्य अभिषेक है। इस अभिषेक हेतु पूरा संत समाज और शंकराचार्य इकट्ठे होंगे। मैं भी वहां जाऊंगा।