बेबाक
कोटा: कोटा के सांसद और हमारे चिर परिचित ओम बिरला दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष के लिए मनोनीत हो गए हैं। प्रत्येक कोटवासी के लिए गौरव की बात है कि उनके सांसद संसद के सर्वोच्च पद पर पहुंच गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओम बिरला की प्रशंसा में जो शब्द कहे उससे कोटा के लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। पर हवाई जहाज के साथ और भी कई प्राथमिकताएं हैं ओम बिरला के लिए!
हमारे सांसद से क्षेत्र की जनता को और भी अपेक्षाएं हैं। कोटा शहर जो पिछले कुछ सालों से कोचिंग के कारण देश भर में चर्चा में आया है आत्महत्याओं के कलंक ने इसे काफी नुकसान पहुंचाया है। अभी हाल ही की एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बार कोटा आने वाले छात्रों की संख्या कम रही। ऐसा भी नहीं है कि सरकार में बैठे लोग आत्महत्या को लेकर चिंतित नहीं है लेकिन इसे रोकने के प्रयास पर्याप्त नहीं हो रहे हैं ये भी सत्य है।
राजस्थान के लोगों को भी बिरला जी से अपेक्षा है की आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी एवं संजीवनी सोसाइटी में लाखों निवेशकों के हजारों करोड़ रूपया केंद्र सरकार की उदासीनता के कारण अटका पड़ा है। हालांकि सहकारिता विभाग के मंत्री अमित शाह ने गत लोकसभा चुनाव के अभियान में ही कर दिया था कि बिरला जी को संसद भेज दीजिए बाकी जिम्मेदारी हमारी है। अब देश , प्रदेश के 21 लाख निवेशकों को उम्मीद है कि उनका अटका हुआ धन वापस मिलेगा। बिरला खुद लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान आश्वासन दे चुके हैं कि इस मसले को हम ही हल करवाएंगे।
लोकसभा कार्यवाही को संचालित करने में बिरला की कुशलता को लोग मान रहे हैं लेकिन एक सांसद के रूप में बिरला जी की जो प्राथमिकताएं एक दैनिक को दिए साक्षात्कार में झलकती है। उनमें कोटा एयरपोर्ट का मुद्दा सबसे कम है और इसी के साथ मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की भी बात बिरला ने कही है कि वो उनकी प्राथमिकता में है। कोटा में हवाई जहाज चले इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना सरकारी तंत्र की जिम्मेदारी है जबकि मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से ही तैयार है जमीन कहीं से नहीं लानी सिर्फ मुकुंदरा में बाघ संरक्षण की योजना को मूर्त रूप देना बाकी है जिससे कि हाडोती के पर्यटन विकास में चार चांद लग सके। मुकुंदरा टाइगर रिजर्व का विस्तार इसलिए भी आवश्यक है कि भविष्य में यहां भी चीता लाने की योजना है। वन्य जीव विशेषज्ञों ने मुकुंदरा के सावन भादो क्षेत्र में चीता को बसाया जाने की सिफारिश की है। मुकुंदरा टाइगर रिजर्व तो धुंआ रहित उद्योग है। जिसकी आयु बहुत लंबी है अन्य औद्योगिक इकाइयों की तरह नहीं की 30-35 साल चलकर बंद हो जाए।मुकुंदरा को विकास की नहीं संरक्षण की आवश्यकता है और आधारभूत ढांचा हमारे हाथ में मौजूद है। केंद्र और राज्य सरकारों को सिर्फ इसकी सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित करनी है। यहां पर्याप्त स्टाफ और सुरक्षा कर्मियों को तत्काल लगाए जाने की आवश्यकता है एवं पर्यटन के लिए मुकुंदरा के द्वारा शीघ्र खुलें ऐसी सब की भावना है।
कोटा के लोगों को बिरला से यह भी उम्मीद है कि कोटा शहर के विस्तारीकरण के तहत पिछली कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में बिना कोई चर्चा के कोटा विकास प्राधिकरण का गठन कर दिया उसे समय भी बिरला समेत कई भाजपा के और कांग्रेस के नेताओं ने विकास प्राधिकरण की नीयत पर सवाल उठाते हुए इस बिल को निरस्त करने की मांग की थी। बिरला जी ने तो आगे बढ़ते हुए कड़ा आयुक्त की नियुक्ति ही रुकवा दी थी। दर असल जिस शहर में भी विकास प्राधिकरण बने हैं वहां की आबादी में अचानक बहुत बड़ी वृद्धि हो जाती है आसपास के खेत, खलिहान , नदी, पहाड़, पेड़, जंगल,खेती किसानी सब कुछ नष्ट होकर सीमेंट कंक्रीट के जंगलों में शहर बदल जाता है जो बढ़ते हुए तापमान का प्रमुख कारण है। कोटा विकास प्राधिकरण के तहत कोटा और बूंदी के लगभग 300 गांव इसकी जद में आ रहे हैं जहां की खेती और किसी सभी नष्ट होने की आशंका से घिर गए हैं। आने वाले समय में कोटा क्षेत्र में कृषि भूमि में भयंकर गिरावट आने वाली है। जिसका सीधा असर खाद्यान्न उत्पादन पर भी पड़ेगा गांव का किसान शहर में दिहाड़ी मजदूर बन जाएगा।
कोटा और बूंदी के किसान नेताओं एवं पर्यावरण प्रेमियों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा एवं स्वास्थ्य शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा को भी इस बारे में सूचित किया है। कांग्रेस नेता जन प्रतिनिधि एवं पूर्व मंत्री भरत सिंह भी इस पर अपनी पार्टी की सरकार में ही गहरीआपत्ति दर्ज करा चुके हैं। कोटा शहर में सीमेंट कंक्रीटाईजेशन के कारण पेड़ लगाने की परिस्थितियां खत्म हो चुकी है। गर्मी जानलेवा बन गई है। जलवायु परिवर्तन का संकट कोटा शहर पर भी दिखने लगा है। भीषण गर्मी के मौसम में यहां का तापमान 49 डिग्री सेल्सियस तक छू गया था। बढ़ता तापमान न केवल पर्यटन और पर्यावरण के लिए घातक है अपितु आम लोगों के स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ मुद्दा है। तापघात के कारण देश की राजधानी में तो आपातकालीन इमरजेंसी तक लग चुकी है और कोटा समेत कई शहरों में दिन में 6 घंटे अघोषित कर्फ्यू जैसा माहौल रहता है। कोटा के अधिकांश उप खंडों में भूगर्भ जल रीत गया है। जिसका सीधा दुष्प्रभाव कृषि एवं खाद्यान्न उत्पादन तथा पेयजल पर पड़ता है।
बिरला की प्राथमिकताओं में चंबल को प्रदूषण मुक्त करना भी मुख्य मुद्दा होना चाहिए। कोटा शहर ऐसा शहर है जो इस नदी को सर्वाधिक प्रदूषित कर रहा है।
8.हमारे सांसद से यह भी अपेक्षा है कि कोटा और पुणे के बीच में एक नियमित ट्रेन भी चले क्योंकि राजस्थान में कोटा समेत अन्य जगहों से हजारों छात्रों और उनके अभिभावकों का पुणे आना जाना लगा रहता है। इसी प्रकार दिल्ली, मथुरा बड़ौदा, नागदा, गुना की ट्रेनों में सामान्य कोचों की संख्या बढ़ानी चाहिए।
बिरला तो लोकसभा के सर्वोच्च आसन पर विराजमान हो गए हैं अभी केंद्र सरकार की परीक्षा भी है कि कोटा के मुद्दों को वह किस प्रकार हल करती है।
ज्ञात हो कि 26 जून 2024 ओम बिरला को 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में फिर से चुना गया। प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने चुनाव प्रक्रिया का संचालन किया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रस्ताव पेश किया, जिसका रक्षा मंत्री राज नाथ सिंह ने समर्थन किया। केंद्रीय मंत्रियों, पार्टियों के नेताओं और अन्य संसद सदस्यों ने भी बिरला को फिर से चुने जाने की मांग करते हुए प्रस्ताव पेश किए। अरविंद गणपत सावंत, सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष के रूप में के. सुरेश, सांसद के चुनाव के लिए प्रस्ताव पेश किया। अन्य लोगों के अलावा, प्रस्ताव का समर्थन एन.के. प्रेमचंद्रन, सांसद, ने किया। प्रस्ताव को प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने मतदान के लिए रखा और मतदान के बाद ओम बिरला को 18वीं लोकसभा का अध्यक्ष घोषित किया गया। इसके बाद महताब ने बिरला को अध्यक्ष की कुर्सी संभालने और सदन की कार्यवाही संचालित करने के लिए आमंत्रित किया।
*स्वतंत्र पत्रकार