वाराणसी: आज गंगा दशहरा के अवसर पर गंगा के घाटों की इस नगरी में ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य के आह्वाहन पर सैकड़ों गंगा भक्तों की उपस्थिति में सविधि पूजन अर्चन कर गंगा को वस्त्र,पुष्प,फल,नैवेद्य अर्पित कर उनका दुग्धाभिषेक कर उनके प्रति श्रद्धा निवेदित की गई।
शहर के केदारघाट के बगल में स्थित शंकराचार्य घाट में आज सायं 5 बजे पर साध्वी पूर्णम्बा के सान्निध्य में गंगा का वैदिक मंत्रोच्चार किया गया। सभी ने प्रार्थना की कि भारतीय संस्कृति की मेरुदंड, त्रिताप भंजनी, पतित पावनी भगवती गंगा सभी मनुष्यों के दसविध पापों का हरण करें ।
ऐसी मान्यता है कि गंगा दशहरा ही के दिन – ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि तदनुसार – राजा भगीरथ की तपस्या की वजह से स्वर्ग की नदी गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था।
गंगा तट पर उपस्थित गंगा भक्तों को सम्बोधित करते हुए साध्वी पूर्णम्बा ने कहा कि राष्ट्रीय नदी गंगा को राष्ट्रध्वज की ही तरह समुचित आदर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि गंगा के ऊपर बांध बनाकर उनका मार्ग अवरुद्ध कर दिया गया है।
“माँ गंगा को बांधों के मकड़जाल से मुक्त कर उनके जल को अविरल रूप से बहने हेतु मार्ग प्रशस्त किया जाना चाहिए व उनको भी राष्ट्रीय नदी का समुचित सम्मान प्रदान किया जाना चाहिए,” उन्होंने मांग रखी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रध्वज की ही तरह राष्ट्रीय नदी गंगा को समुचित आदर मिलना चाहिए।
आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापन ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय ने दिया।
-ग्लोबल बिहारी ब्यूरो