
बकिंघम पैलेस में लेखक के साथ किंग चार्ल्स तृतीय
लंदन: 13 मार्च 2025 को बकिंघम पैलेस, लंदन में इंग्लैंड के राजा किंग चार्ल्स तृतीय के आमंत्रण पर मैंने उनसे मुलाक़ात की और चंबल में हमारे पानी के काम को देखने का निमंत्रण दिया।
किंग चार्ल्स तृतीय ने कहा कि भारत में प्रकृति की रक्षा के लिए हो रहे समुदायिक कामों को देखकर सीखने की इच्छा रहती है। इसलिए भारत आने की उन्होंने इच्छा जाहिर की है। “यह कब संभव होगा, वह मैं बताऊंगा,” उन्होंने कहा।

इस मुलाकात के दौरान इंग्लैंड के राजा ने मुझसे कहा, ‘‘राजेंद्र तुम्हारा यह सामुदायिक प्राकृतिक संरक्षण काम बहुत अच्छा है। ऐसे कामों की पूरी दुनिया को जरूरत है; ऐसे काम आगे बढ़ना चाहिए।’’
किंग चार्ल्स ने साथ ही भारत के बंकर रॉय के सौर ऊर्जा के काम का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अफ्रीका में भी सौर ऊर्जा का बहुत अच्छा काम किया है। उन्होंने कहा कि इस शताब्दी को जलवायु परिवर्तन के संकट से बचाना है तो पूरी दुनिया में ऐसे कामों को ही आगे बढ़ाना होगा।
चंबल के कामों को देखने के लिए किंग चार्ल्स जी को आमंत्रित करते हुए मैंने कहा कि, जब राजा बनने से पूर्व वे भारत आए थे, तब उन्होंने अरवरी नदी को देखा था। मैंने उन्हें ‘‘पानी पंचायत’’ पुस्तक के चौथे अध्याय को भी दिखाया, जिसमें तब प्रिंस चार्ल्स के अरवरी भ्रमण का फोटो था। मैंने उन्हें डॉ. इंदिरा खुराना द्वारा लिखित “क्लाइमेट रेसिलिएंट सोशोइकोनोमिक ग्रोथ थ्रू वाटर कन्सेर्वटिव” पुस्तक की भी जानकारी दी।
मैंने उन्हें बताया कि अब हमनें अरवरी जैसी कई छोटी नदियों को चंबल क्षेत्र में पुनर्जीवित किया है। जहां नदियों के साथ संस्कृति और सभ्यता भी पुनर्जीवित हुई है। जो लोग पहले हिंसक कार्य में लगे रहते थे, अब वो हिंसा को छोड़कर खेती और पशुपालन कर रहे है। यह सब शांति के दूत बन गए है। मैंने किंग चार्ल्स से कहा कि उनके वहां आने से इनको बहुत बल और सम्मान मिलेगा।
इसके बाद किंग चार्ल्स ने कहा कि सस्टैनबिलिटी सामुदायिक विकेन्द्रित प्रयासों से ही संभव है। ऐसे प्रयास अब धीरे-धीरे अफ्रीका, एशिया, यूरोप में बढ़ते हुए दिखायी दे रहे है। हम सबको मिलकर ऐसे ही कामों को आगे बढ़ाने की जरूरत है।
*जलपुरुष के नाम से विख्यात जल संरक्षक।