अलवर: सम्पूर्ण देश में पंचायत से राष्ट्रीय स्तर तक विधिवत पानी पंचायत आयोजित करने की आवश्यकता है। जल स्त्रोतों के संरक्षण एवं संर्वद्धन हेतु पानी पंचायत जैसे राष्ट्रीय स्तर पर दबाव समूहों का गठन होना चाहिए। पानी पंचायत के पंचों का चुनाव करते समय समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए तथा पानी पंचायत सदस्यों के लिए आचार संहिता बननी चाहिए और साथ ही पानी पंचायत के कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचानें के लिए सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया में संवाद होना चाहिए।
तरूण आश्रम, भीकमपुरा, अलवर में दिनांक 30 व 31 मई 2024 को एक अनूठा पानी पंचायत का आयोजन किया गया जिसमें देश भर से आये जल विशेषज्ञों ने यह मांग रखी कि अभी तक नदियों के सुधार के लिए सरकार द्वारा बनाये गये विभिन्न योजनाओं पर हुए खर्च के विवरण के लिए भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) का रिर्पोट एक महीने में सार्वजनिक किया जाये। साथ ही उसने मांग रखी कि नदियों में न्यूनतम प्रवाह सुनिश्चित किया जाये और इसकी निगरानी सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा की जाये।
इस पंचायत ने माना कि नदियों के संरक्षण-पुनर्जीवन एवं प्रबंधन से संबंधित सारी जिम्मेदारी जलशक्ति मंत्रालय भारत सरकार की होनी चाहिए तथा जल शक्ति मंत्रालय को अपनी नीतियां एवं कानून बनाकर जल संरक्षण के क्षेत्र में व्यापक कार्य करना चाहिए। उसे नदियों और तालाबों को संरक्षित करते हुए इन पर होने वाले हर तरह के अतिक्रमण को शीघ्र मुक्त कराना चाहिए और इसकी प्रगति रिर्पोट से अदालत को एक महीने में अवगत कराया जाना चाहिए।
पंचायत में यह भी सुझाव रखा कि जल स्त्रोतों को प्रदूषण करने वाले सभी उद्योगों और अन्य व्यक्तियों एवं समूहों को चिन्हित करके कानून के अनुसार दण्डित किया जाना चाहिए और इनके लिए जो नियत विभाग और अधिकारी हैं, उनकी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए तथा एक स्वतंत्र निगरानी समिति बनाकर समय-समय पर स्वतंत्र आकलन की व्यवस्था करायी जाये। बूचड़खाने और उद्योगों के प्रदूषित पानी को जमीन के अंदर डालने वालों को कठोर से कठोर दण्ड देने के लिए कानून बनाया जाये।
साथ ही पंचायत ने यह मांग की कि भारत में नदी नीति के आलोक में नदी संरक्षण कानून का निर्माण किया जाये, जिसमें नदी के किनारों के समाजों एवं समुदायों और सभी जीव-जंतुओं के अधिकारों को संरक्षित किया जाये। नदी एवं अन्य जल स्त्रातों को सामुदायिक संपत्ति माना जाये एवं इनका निजीकरण एवं व्यवसायीकरण उपयोग न होने दिया जाये।
नदियों की सुरक्षा के लिए विशेषज्ञों और नदी कार्यकर्ताओं की एक समिति बनाने और समय-समय पर अपनी राय का अनुपालन करने का सुझाव देते हुए पंचायत ने कहा कि भारत के संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार है, जब तक कि, उस व्यक्ति की बात के पीछे निजी या व्यावसायिक लाभ न हो। उसने कहा कि नदियों में हो रहे अवैध खनन को रोका जाये और वैद्य खनन की भी निगरानी नदी के आस-पास के समाज द्वारा की जाये।
पानी से ही हमारे जीवन में समृद्धि व स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। पानी से ही प्रेम और हरियाली बढ़ेगी। हरियाली हमे समृद्ध बनाएगी। ज़रुरत है कि पानी पंचायत का विधिवत जिलावार एवं राज्यवार संगठन के निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाये।
*जल पुरुष के नाम से विख्यात जल संरक्षक