विरासत स्वराज यात्रा 2022
कॉप-27, इजिप्ट
– डॉ राजेंद्र सिंह*
शर्म अल-शेख: विरासत स्वराज यात्रा भारत से कॉप-27 में भाग लेने इजिप्ट पहुंची और यहाँ शर्म अल-शेख के बास पैराडाइज, रेड सी में विश्व जल सम्मेलन की शुरुआत हुई। यह समुद्र का बहुत ही सुंदर किनारा है। इस सम्मेलन की शुरुआत करते हुए मैंने जल की पूजा कराई। यहां दुनिया भर के जल पर काम करने वाले विशेषज्ञ मौजूद थे। दुनिया के जल के लिए काम करने वाले यह जल विशेषज्ञ परंपरागत ज्ञान तंत्र में विश्वास रखते हैl इन्होंने जीवन भर पानी का कार्य अपने स्वदेशी ज्ञान से किया है।
यहां मैंने सभी को संकल्प दिलाया कि अपने परंपरागत ज्ञान तंत्र में विश्वास करके, पूरी दुनिया को पानीदार बनाने के लिए, हम सभी मिलकर काम करेंगे। जल सक्रियता क्या है? पूरी दुनिया में जल सक्रियता के क्या हालात है। जल सक्रियता को हम सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ज्ञान के साथ कैसे सनातन बना सकते हैं? इस सम्मेलन के पहले सत्र में इन विषयों पर लंबी बातचीत हुई। इस बात की शुरुआत करते हुए अमेरिका के साथी जैक ने कहा कि जल एक सांस्कृतिक तत्व है। इसका ज्ञान बहुत ज्यादा है। इसलिए हमें उस पक्ष को समझना चाहिए। जब उस पक्ष को समझेंगे तो जो दुनिया में जल सक्रियता चल रही है, उनको सांस्कृतिक रूप से ही सनातन बना पाएंगे।
साउथ अफ्रीका से पूर्व राष्ट्रपति (स्वर्गीय) नेल्सन मंडेला के संचार के कैबिनेट मंत्री ने कहा कि इस दुनिया को पानी की आवाज सुननी चाहिए। पानी की अपनी एक आवाज और संदेश होता है। लेकिन हम उस संदेश को, उसकी तरह से नहीं समझ रहे। साउथ अफ्रीका के ही बड़े नेता पुवेस रामलिंगम ने भी अपनी बात रखी । 15- 16 महिलाओं और पुरुषों ने अपनी-अपनी बात रखी।
मैंने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमें पानी के विज्ञान को संवेदना और चेतना के साथ समझने की जरूरत है। पानी का अपना विज्ञान, इंजीनियरिंग और तकनीक होती है। लेकिन उसको हम आर्थिक दृष्टिकोण से गणनात्मकरूप में समझ रहे है। हम इसे संवेदनाओं के साथ नहीं समझ रहे, इसलिए हम बेपानी होते जा रहे हैं। हमारी आंखों का पानी सूख गया है। यदि हमारी आंखों में पानी होगा, तो फिर हमारे दिल-दिमाग में भी पानी होगा। इसलिए हमें इस काम को संवेदनाओं के साथ मिलकर करने की जरूरत है। अंत में कहा कि, हम लोगों को कुछ मुद्दों पर सहमत बना लेनी चाहिए। यदि हमारी सहमति बनेगी तो फिर हम लोग इसको अन्य ग्रुपों में भी कह सकेंगे।
इस ग्रुप में दुनिया के 80 वैज्ञानिक शामिल हुए है। रात्रि में हमने यहां कें विभिन्न जल स्त्रोतों का भ्रमण किया।
*लेखक स्टॉकहोल्म वाटर प्राइज से सम्मानित और जलपुरुष के नाम से प्रख्यात पर्यावरणविद हैं। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार हैं।