– अनिल शर्मा*
उरई: 2017 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से कांग्रेस में आये उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी के पद पर उनकी तीन गलतियों के कारण खतरे की तलवार लटक गई है।
उन्होंने पार्टी हाईकमान को खुश करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की पुण्यतिथि 21 मई 2023 को अपने ग्रह नगर उरई के जिला कांग्रेस कमेटी के दफ्तर, ‘शहीद भवन’, में गरीब कन्याओं के सामूहिक विवाह का आयोजन किया पर पहली गलती उन्होंने यह की कि सामूहिक विवाह के बात की खुशी में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर देश और प्रदेश के लोगों को शुभकामनाएं दे डाली जो वीडियो वायरल हो गया और वह उनके खिलाफ चला गया।
दूसरी गलती उन्होंने यह की इस सामूहिक विवाह समारोह में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आचार्य प्रमोद कृष्णम को मुख्य अतिथि बनाया। कुछ दिनों बाद ही कृष्णम ने बयान दिए की प्रधानमंत्री के रूप में अगर राहुल गांधी की जगह प्रियंका गांधी को प्रधान मंत्री का चेहरा बनाया जाए तो कांग्रेस के लिए ज्यादा बेहतर होगा। नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर कांग्रेस के धुर विरोधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कृष्णम ने यहां तक कह डाला के नई संसद बनवाना एक बड़ा ऐतिहासिक काम है और कांग्रेस को ऐसे अच्छे काम का विरोध नहीं करना चाहिए।
खाबरी ने तीसरी गलती यह की है कि उन्होंने झांसी और जौनपुर जिले के अध्यक्ष बदलकर कार्यवाहक अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी जिसके बारे में उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे से नहीं पूछा। इससे पार्टी आला कमान नाराज हो गया। और इसके तुरंत बाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने खाबरी को बीती 29 मई 2023 को एक पत्र भेजा जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी से पूछे बिना उन्होंने झांसी और जौनपुर में जो कार्यवाहक अध्यक्ष की नियुक्ति की है वह पार्टी की नीति के अनुसार यह गलत है इसलिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे और कांग्रेस कमेटी ने उनके द्वारा की गई नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है।
इन तीन गलतियों के कारण सिर्फ नौ महीने पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने खाबरी पर उनके पद पर पार्टी हाईकमान की खतरे की तलवार लटक गई है।
मालूम हो खाबरी तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं बसपा सुप्रीमो मायावती के कार्यकाल मे राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ बहुत ताकतवर नेता बनकर उभरे थे। उन्हे मायावती बहुत विश्वास,पात्र माना जाता था।उन्हें बसपा के राष्ट्रीय महासचिव के नाते यह आदत पड़ी हुई थी की तमाम जिलों के पदाधिकारियों को बदल देते थे और उसकी स्वीकृत बाद में बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती से ले लेते थे। लेकिन कांग्रेस का संविधान कांग्रेस की राजनीति कुछ अलग है जिसे खाबरी समझ नहीं पाए।
खाबरी बसपा के राष्ट्रीय महासचिव के साथ एक अपने गृह जनपद जालौन गरौठा भोगनीपुर सुरक्षित संसदीय क्षेत्र से बसपा के टिकट वर्ष 1999 में सांसद चुने गए थे और फिर उन्हें बसपा सुप्रीमो मायावती ने वर्ष 2008 से 2014 तक के लिए पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सदस्य भी बनवाया था। लेकिन फिर पार्टी के कुछ नेताओं ने बसपा सुप्रीमो मायावती के ऐसे कान भरे कि बसपा सुप्रीमो ने एक एक नहीं दो दो बार पार्टी से निष्कासित किया। बसपा में अपना भविष्य ना देखकर और बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती से नाराज होकर वर्ष 2017 में खाबरी ने बसपा से अपना नाता तोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
*वरिष्ठ पत्रकार