विनाश की प्रक्रिया है। रावण केवल महल से संतुष्ट नहीं होता, वह पूरी लंका को “सोने की लंका“ बनाने का प्रयत्न करता है। इसी लक्ष्य के विस्तार में रावण लगा रहता है। इस हेतु उसे शक्ति ही शक्ति चाहिए; और शक्ति तो जप-पूजा पाठ से ही मिलती है। जबकि ऊर्जा साधना और तप-त्याग से मिलती है।
रावण का जप और राम का तप, दोनों की लक्ष्य प्राप्ति अलग-अलग है। एक स्वयं को शक्तिशाली बनाता है, दूसरा सभी को ऊर्जावान बनाता है। सबको ऊर्जा देने वाला जीत जाता है और पूजा करके, अपने को ही शक्तिशाली बनाने वाला हारता है।
शक्ति से होने वाले काम का प्रभाव शीघ्र दिखता है। ऊर्जा से होने वाला काम धीमी गति से प्रभाव दिखाता है। तप और धैर्य से किए हुए काम सबके लिए उर्जादायी होते हैं, जबकि पूजा-पाठ व शीघ्रता से किये हुए काम केवल कर्ता को ही शक्तिशाली बनाते हैं। ऊर्जा हमेशा शक्ति का उत्पादन करने वाले तथा उससे चलने वाली विनाशक शक्ति को नष्ट करके, समता से पोषण करने वाली होती है।
शक्ति का अर्जन दूसरों को नष्ट करने के लिए किया जाता है; जबकि ऊर्जा सभी को बनाए रखने के लिए, हरियाली के लिए चाहिए। यहां ऊर्जा का अभिप्राय विद्युत् ऊर्जा से नहीं, व्यक्ति की आन्तरिक ऊर्जा से है। ऊर्जा किसी को नष्ट नहीं करती, जबकि शक्ति व विद्युत नष्ट भी करती है। सूरज की गर्मी जब पेड़-पौधों की पत्तियों पर पड़ती हैं, तभी वह प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया करके ऊर्जा देने वाली प्राण-वायु बनाती है। राम हम सभी को प्राणवायु प्रदान करने वाली ऊर्जा का नाम है। रावण बादलों को टकरा कर बिजली गिराने वाली शक्ति है। बिजली गिरना नष्ट करना ही है।
अब 21वीं सदी में हमें राम की ऊर्जा चाहिए, बादलों को टकरा कर पैदा करने वाली रावण रूपी बिजली नहीं चाहिए। हमें सबमें सद्भावना लाने वाले “राम“ की जरूरत है। नफरत को मिटाकर सभी को प्यार करने वाले तथा समता, सादगी और सच्चाई के रास्ते पर साधना व तप करने वाले राम आएंगे, तभी नफरत फैलाने वाले रावण जायेंगे। अब राम को आने का ही समय है, रावण के आने का नहीं है। 2024 राम के आगमन का समय है। जनता राम और रावण को पहचाने और जाने कि, जप व तप में से उन्हें किसे चुनना है। राम तपस्वी है, रावण कर्मकांडी पंडित है। रावण “जप“ है और राम “तप“ है। इसलिए राम की तरह न्याय, सद्भावना और समता हेतु ‘तप और साधना’ करने वाले रास्ते पर चलें।
*जलपुरुष के नाम से विख्यात जल संरक्षक। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार हैं।