बगोता, कोलंबिया: 5 जून 2025 को यहां एक बड़ी बैठक का आयोजन किया गया जिसमें कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो जी ने अपनी पूरी कैबिनेट और कम्युनिटी द पाज़ के 15 छोटे – बड़े गांव के लोगों के साथ मुझे बुलाया था। इस बैठक में यहां राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने कहा कि, “मैं जानता हूं कि मैं कोलंबिया का राष्ट्रपति हूं लेकिन इस देश में कुछ दूसरी बहुत बड़ी ताकतें भी हैं। यहां की उन बड़ी ताकतों ने गरीबों के संरक्षण के लिए नहीं बल्कि उनके विनाश के लिए काम किया है। मेरे राष्ट्रपति होते हुए भी, उनको रोक नहीं पाया। हमने यहां सच्चाई और शांति का आयोग बनाया लेकिन इस आयोग के होते हुए भी जजों और बड़े अधिकारियों ने जांच करके दोषियों को सजा नहीं दी। मैंने कई बार कोशिश कि इन हत्याओ को रोका जाए लेकिन जो पैरा मिलिट्री गरीबों के संरक्षण के लिए बनी है, जो न्यायालय गरीबों को न्याय देने के लिए बना है वो गरीबों का न्याय छोड़कर, हत्याओं का काम होने दिया। यह कोलंबिया के लिए बहुत भयानक है।”
कोलंबिया के शांति मंत्रालय और गृह मंत्रालय को भी को चंबल की शांति, जल संसाधन मंत्रालय को तरुण भारत संघ के नदी पुनर्जीवन, चंबल के अनुभव बताते करते हुए मैंने कहा कि, जो काम आर्मी, पुलिस नहीं कर पाई, वो चंबल के समाज ने खुद काम की जरूरत का एहसास करके, संकट से मुक्ति का आभास पा लिया है। आज 6 हजार से भी अधिक बागी बंदूकें छोड़कर, खेती करने के काम में लग गए है।
यहां मेरी कोलंबिया की लीना एस्ट्राडा एनोकाज़ी, पर्यावरण और सतत विकास मंत्री, कोलंबियाई राजनयिक अकादमी के पूर्व निदेशक साथ बातचीत हुई। इन्होनें कहा कि, कोलंबिया में पानी संकट बढ़ता जा रहा है। यहां बाढ़-सुखाड़ दोनां का खतरा पैदा हो गया। बाढ़ के कारण खेती की उपजाऊ भूमि पानी के साथ बहती जा रही है, जिससे सुखाड़ बढ़ रहा है। जिसके कारण बगोता जैसे शहर में लगातार पानी की कमी हो रही है, इसके अलावा पानी का निजीकरण भी बड़ी समस्या उभर कर आ रही है। अभी बहुत आवश्यकता है कि पानी का संरक्षण करने वाले लोगों की संख्या बढ़े, इसलिए हम सिर्फ मंत्रालय के लोगों से नहीं बल्कि उन समुदायों से भी मुझे मिलवाना चाहते है जो पानी का काम कर रहे है; जिससे चंबल में जो परिवर्तन हुआ है, उसे कोलंबिया में कैसे लाया जा सकता है।
4 जून को ही ट्रुथ एंड पीस कमीशन, कोलंबिया की डिप्टी चेयरमैन ग्लोरिया के साथ कोलंबिया के पांच मंत्रालय पर्यावरण, वन, जल, कल्चर, शांति के निदेशक व अधिकारियों के साथ 3 घंटे की बातचीत हुई। इन 3 घंटे की बातचीत में कोलंबिया के पांचों मंत्रालयों के अधिकारियों ने अपनी-अपनी बात रखी। उसके बाद मैंने तरुण भारत संघ के अनुभवों को कोलंबिया में जमीनी स्तर पर करने हेतु बातचीत की और अनुभव साझा किए।
इसके बाद मैंने पर्यावरण मंत्रालय को तरुण भारत संघ के पिछले 50 सालों के जल संरक्षण से जलवायु परिवर्तन, अनुकूलन, उन्मूलन के अनुभव बांटे और लंबी बातचीत हुई क्योंकि कोलंबिया में भी पानी और जलवायु परिवर्तन का बड़ा संकट है। यहां अलग-अलग लोगों के विभिन्न विषय से संबंधित सवालों के जवाब देते हुए बैठक रात 7ः30 बजे तक चली।
जब मैं पिछली बार यहां आया था, उसकी पूरी कहानी मैंने आप सभी के बीच रखी थी। फिर भी इस कहानी को संक्षिप्त में बताना चाहता हूं कि, यहां की 15 गांव की कम्यूनिटी महात्मा गांधी के सिद्धांतों ‘सत्य और अहिंसा’ के रास्ते पर चलकर जीवित है लेकिन यहां की पेरा मिलिट्री व गोरिल्ला ने पिछले 12 वर्षों में 400 से ज्यादा लोगों को मार दिया है। क्योंकि बड़ी खनन कंपनिया इनकी जमीन पर कब्जा करके, इन्हे हटाना चाहती है। यह शांति से जीने वाला समाज, हत्याओं के होते हुए भी एक सच्चे सत्याग्रही की तरह आपकी जगह पर डटे हुए है।
यहां के एक क्षेत्र को यहां की कम्युनिटी ने अलग-अलग जंगलों के रूप में बचाने का काम किया है। एक बड़े जंगल जिस पर बड़ी कंपनी आकर कब्जा करना चाहती है, उस जंगल को ‘राजेंद्र सिंह’ नाम दिया था। वह जंगल 15 कम्युनिटी ने मिलकर बचा लिया है। यह कम्युनिटी मेरे साथ पिछले साल पानी बचाने के काम में बहुत कुछ सीखने- सिखाने का काम कर रही थी; इसलिए राष्ट्रपति ने जब इस कम्युनिटी को बुलाया तो सबसे पहले कम्युनिटी ने मेरा नाम भी दिया।
इसलिए इस बैठक में जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी भी उपस्थित रहे।
इसके बाद ट्रुथ एंड पीस कमीशन कोलंबिया की डिप्टी चेयरमैन ग्लोरिया जी ने तभासं के साथ मिलकर कोलंबिया में गरीब किसानों के साथ पानी का काम करने के लिए अगले दौर में बातचीत करने पर सहमति बनायी।
*जलपुरुष के नाम से विख्यात जल संरक्षक

