नई दिल्ली: आम चुनाव में ज़रुरत है कि सभी राजनीतिक दल देश की जल धरोहर को समृद्ध करने और प्रत्येक देशवासी को उसके हिस्से का जल मुहैया करवाने के लिए घोषणापत्र में स्पष्ट उल्लेख करें। भारत जल आत्मनिर्भर बने यह 2047 का वाटर एजेंडा तभी सम्भव हो सकेगा जब जल उपलब्धता के साथ साथ जल संवर्धन, संरक्षण के लिए भी स्पष्ट इच्छाशक्ति को प्रत्येक राजनीतिक दल रोडमैप के तौर पर अपने चुनावी घोषणापत्र में बताएं।
राजनितिक दलों का पानी के प्रति गंभीरता से ध्यान आकर्षित करने के लिए एक अनूठे जल संरक्षण घोषणापत्र का ऐलान चंबल के बीहड़ों में जल संरक्षण कर जीवन संवारने वाले पूर्व दस्यु 20 और 21 मार्च 2024 को जैन तीर्थ महावीर जी, बनबरीपुर करौली, राजस्थान में जल एवम् शांति लोक सम्मेलन में करेंगे। राजधानी में यूनेस्को मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरानस्टॉकहोल्म वाटर प्राइज और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित और जल पुरुष के नाम से विख्यात डॉ राजेन्द्र सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सम्मेलन में चंबल क्षेत्र के बंदूक छोड़कर, अपना जीवन पानी के काम के लिए समर्पित करने वाले शांतिदूत बने दस्यु जल उपलब्धता के बाद उनके जीवन मे आए बदलाव का पूरी दुनिया के सामने बयां करेंगे।
डॉ सिंह ने कहा कि इन लोगों की पहचान दुनिया को पता चले, जिससे प्रेरित होकर दुनिया में अन्य लोग भी इस तरह के काम कर सके। क्योंकि भारत शांति का दूत रहा है, इसलिए यह कार्य संभव हुआ है, लेकिन दुनिया के दूसरे देशों में भी ऐसे काम हो, उसके लिए यह सम्मेलन करौली में आयोजित किया जा रहा है ।
यह वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व जल शांति वर्ष घोषित किया है। 22 मार्च 2024 को विश्व जल शांति दिवस के रूप में मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने पिछले साल 22 मार्च 2023 को न्यूयॉर्क में आयोजित विश्व जल सम्मेलन में की थी । संयुक्त राष्ट्र संघ की यह घोषणा शांति के लिए थी। डॉ सिंह ने कहा भारत के चंबल क्षेत्र में शांति का वास्तविक काम लोगों ने किया है। जो चंबल का इलाका आज से 10 साल पहले तक बंदूकों की आवाज से गूंजता रहता था, वह क्षेत्र अब शांति में बदल गया है । यह चंबल का करौली, धौलपुर, सवाई माधोपुर का इलाका है, जो अब शांति का संदेश देने वाला देने वाला बन गया है। यहां पहले लोग बंदूक लेकर इसलिए घूमते थे क्योंकि पानी नहीं था। जल संकट के कारण खेती नहीं होती थी और कहीं तो पीने तक का पानी नहीं था । चंबल की सारी सहायक नदियां सूख कर मर गई थी लेकिन इस साल कम बारिश में भी चंबल की सहायक नदियां पार्बती, तेवर, नोहरा ,भवनी इस तरह की दर्जनों नदी अब पानीदार बनकर बह रही है।
यह काम किसी सरकार ने नहीं किया । यह काम वहां के लोगों ने स्वयं डॉ सिंह की नेतृत्व वाली गैर सरकारी संस्था तरुण भारत संघ के साथ मिलकर किया । तरुण भारत संघ ने इस क्षेत्र में जहां-जहां जल का संकट था, उस संकट के समाधान के लिए इन लोगों को प्रेरित करके, तैयार करके पानी के काम में लगा दिया। जब इनके पास पानी आया तो, उन्होंने बंदूक के छोड़ दी और बंदूक के छोड़कर यह पानी के काम में लग गए और खेती करने लगे।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो