बाली: केपटाउन के लोगों को पानी की जरूरत कम थी, लेकिन म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने 500 लीटर प्रति परिवार पानी के टैंकर के हिसाब से देने और पैसा लेने का एक बड़ा व्यापार खड़ा कर दिया। केपटाउन से आयी फेजा मेयर, इब्राहिम फोरिया, कोनी बेन्सन टीम ने केपटाउन के जल संकट के बारे में 22 मई 2024 यहां जन जल सम्मेलन को यह बताया।
केपटाउन की स्थिति ने पूरी दुनिया की जनता को डरा दिया है। क्योंकि केपटाउन जैसे बुरे हालात में कोई भी जीना नहीं चाहता।आज दुनिया में केवल एक केपटाउन नहीं है, हजारों ऐसे केपटाउन हैं। यहां नेपाल से आई दुर्गा ने कहा कि नेपाल में भी केपटाउन से ज्यादा भयानक समस्याएं हैं। इसी तरह मध्य- पूर्व एशिया में भी जल का संकट बढ़ता ही जा रहा है। इसे रोकने के लिए जन जल मंच की दुनिया के सारे देशों में आयोजित हो और वहां की जल नीति व कानून को बनाने में जनता का सहयोग करें।
विश्व जल मंच जल का व्यापारीकरण लोगों के हाथों से पानी को छीनने की प्रक्रिया है।जन जल सम्मेलन द्वारा आयोजित इस चर्चा में संयुक्त राष्ट्र संघ के स्पेशल रिपोटियर प्रोफेसर पेडरो भी साथ रहे। इन्होने दुनिया में जल मानव अधिकार हनन के संबंधित केसों की सुनवाई की। अंत में कहा कि, दुनिया में जल संकट चिंता जनक है। लोकतांत्रिक सरकारों को इस पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। जल का निजीकरण व व्यापारीकरण मानव के बड़े वर्ग को बेपानी बना रहा है। इसके द्वारा होने वाले प्रदूषण व भूजल के शोषण से जलवायु परिवर्तन का संकट बढ़ता ही जा रहा है।
विश्व जल मंच और जन जल मंच के बीच आज जो लड़ाई है, उसका परिणाम है कि, दुनिया के देशों में तनाव बढ़ रहा है। इस तनाव से गरीब व बेपानी लोग और ज्यादा लाचार, बेकार और बीमार हो रहे हैं। क्योंकि विश्व जल मंच जल का व्यापारीकरण करके लोगों के हाथों से पानी को छीनने की प्रक्रिया जारी है।
जल का अधिकार और जल के लिए राज समाज की जिम्मेदारी और हकदारी दोनों को जानना, समझना, एहसास और आभास करना अत्यंत जरूरी है। जब व्यक्ति को जल की जिम्मेदारी का एहसास हो जाता है, तो वह जल बचाने के काम में लग जाता है और जल के अधिकार के लिए संघर्ष करता है। जल के काम से अपनी जिंदगी में स्वयं करने की शक्ति का आभास करके, जल संरक्षण के काम में जुट जाता है। जल को समझना, सहेजना,समझाना , हकदारी और जिम्मेदारी मानकर जल संरक्षण के काम में जुटने के लिए, इन स्तरों पर काम करना होगा, तभी हम दुनिया में जल की समस्या का समाधान कर पाएंगे।
दुनिया में जल के निजीकरण के खिलाफ चल रहे आंदोलन की वार्ता में दुनिया भर से लोग शामिल हो रहे हैं। इंडोनेशिया में निजीकरण के खिलाफ लड़ने वाले आंदोलनकारियों को सरकार ने जेल से मुक्त किया है और इन लोगों ने सरकार से आज सम्मेलन आयोजित करने की इजाजत प्राप्त कर ली।
अभी भी समय है कि , विश्व जल मंच इस बात को स्वीकार करे कि वह लोगों के पानी को ना छीने नहीं तो जल संकट की समस्या और बढ़ जाएगी। इस जल संकट को रोकना सामुदायिक विकेंद्रित जल प्रबंधन से ही संभव होगा। इसलिए अब विश्व जल मंच को पानी के व्यापार को बढ़ाने का काम बंद करना चाहिए और सामुदायिक विकेंद्रित जल प्रबंधन को स्वतः आगे बढ़ने देना चाहिए। विश्व जल मंच के कारण सामुदायिक विकेंद्रित जल प्रबंधन के काम में रुकावट आ रही है क्योंकि जो भी जल नीति – कानून बना रहे हैं, वह सब उद्योगों के पक्ष वाली नीति के रूप में जनता के ऊपर लादते जा रहे हैं। विश्व जल मंच सरकारों से ऐसी नीतियां बनवाता है,जिससे सरकारों के नेता और अफसर, जो पानी के बारे में कुछ नहीं जानते, वे निर्णय लेने में मुख्य भूमिका निभाकर जनता के जीवन को त्रस्त कर देते हैं।
ये जल संकट दुनिया के युवाओं के लिए जीवन के खतरे की घंटी है। इसलिए समय रहते युवाओं को जल संकट की मुक्ति के लिए संगठित होकर जल साक्षरता, जल अधिकार व जल संरक्षण के लिए काम करना अब सबसे पहली जरूरत है। युवाओं का स्वास्थ्य जल के स्वास्थ्य से जुड़ा है। स्वस्थ जल पीने के लिए मिलेगा, तो युवा स्वस्थ रहेगा। यह बात युवाओं को समझने की जरूरत है।
*जल पुरुष के नाम से विख्यात जल संरक्षक। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार हैं।