जाने माने पत्रकार, लेखक, शिक्षक-प्रशासक, संस्कृति-कर्मी सिद्धार्थ मिश्रा की बोरिंग रोड के बाराती पटना के नामी बोरिंग रोड स्थित राय साहब और उनके कुनबे के खट्टे मीठे किस्सों से भरी है। किस्सागोई के अंदाज़ में बयान की गयी इन कहानियों के केंद्र में हैं डाक्टर साहब, फलाना बाबू और सुधीन जैसे कई यादगार किरदार, और कुछ मज़ेदार घटनाएं जो भारत की मिट्टी की सौंधी खुशबू से सराबोर हैं।
संकलन की लगभग सभी कहानियां उत्सव-धर्मी हैं ! इनमें बिहार के शादी-ब्याह, भोज-भट, बैंड-बाजा-बारात, छठि-श्राद्ध , तिलक-छेका, सबका संगीत और स्वाद व्याप्त है! बारात सिर्फ बारात नहीं है पर वह बिहार की संस्कृति का प्रतीक है!
छोटानागपुर पठार और संथाल परगना के जनजातीय इलाकों के कटने के बाद भी बिहार सांस्कृतिक रूप से एक परिपूर्ण प्रदेश है। भारत का सांस्कृतिक मठाधीश समझे जाने वाले, बिहार राज्य के पड़ोसी प्रदेश बंगाल से कहीं ज़्यादा विभिन्न सांस्कृतिक स्रोत बिहार में मिलते हैं। बिहार के पश्चिमी भाग को भोजपुरी एवं गिरमिटिया संस्कृति की मातृभूमि कहा जा सकता है। इसके अलावा तिरहुत, मिथिला, मगध एवं अंग के इलाकों की अपनी सांस्कृतिक पहचान है।
बोरिंग रोड के बाराती एक बड़े संयुक्त परिवार के कई रोचक किस्सों — जैसे शादियों की अफरा-तफ़री, लड़के का छेका, पति पत्नी का अभिव्यक्ति-रहित प्रेम, चाचा-भतीजे की महाभारत, क्रिकेट वर्ल्ड कप का मैच, और ब्राह्मणों का भोज — को जीवंत किरदारों के इर्द-गिर्द पिरो कर प्रस्तुत करती है।
‘पंप स्टोव की चाय’ जैसी अन्य कहानियां 1950 से 1980 तक के बिहार के गांव की सटीक चित्रण कर पुरानी सुनहरी यादों को जीवंत करती हैं। ये किताब, बिहार की संस्कृति, बोल चाल, रहन-सहन, क्रिया कलाप को बहुत ही उम्दा तरीके से पाठकों, ख़ासकर भारत के कई शहरों और विदेशों में बसे प्रवासी बिहारियों, को उनकी मातृभूमि की परम्पराओं से रूबरू कराती है।
बोरिंग रोड के बाराती का शीर्षक गीत: बसंत पंचमी की तिथि पर इस साल जनवरी महीने में यह पुस्तक बिना किसी लाग-भाग के बाज़ार में आई।ऑनलाइन मंचों का बखूबी इस्तेमाल करते हुए बिक्री की ऊंचाइयों को तो छुआ, इन कहानियों के एक प्रशंसक ने तो डिजिटल रूपांतरण की पेशकश भी कर दी| इस दिशा में पहला कदम हैं इस सीरीज का शीर्षक गीत। इसे लिखा है संजय श्रीवास्तव ने, स्वरबद्ध किया भास्कर-गौतम ने और गायन किया हैं निकिता गुप्ता, भास्कर झा और गौतम गुप्ता ने। बिहार में विवाह का मौसम हैं, इससे खूब बजाइए।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो
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